Ambikapur News: जब समय इंसान, इंसान को अपना दुश्मन समझ रहा हो. जब इंसानों के बीच रिश्तों के बंधन कमजोर पड़ रहे हों. ऐसे में एक वृद्ध महिला के मन में मवेशियों थे प्रति ऐसी संवेदना चर्चा का विषय बन ही जाती है. मामला छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर शहर का हैं. जहां एक वयोवृद्ध महिला ने लावारिस मवेशियों की बेहतरी के लिए अपने पास बची सारी पूंजी एक वाहन के लिए दान कर दी. 


जीवनभर की बचत पूंजी दान
85 साल की शांति देवी अग्रवाल अंबिकापुर के अग्रसेन वार्ड में रहती हैं. शांति देवी के मुताबिक वो रोज अखबारों और अन्य माध्यमों से ये कभी सुनती थीं कि सडक में लावारिस मवेशी किसी वाहन की ठोकर से घायल पड़ा है. जिसे वाहन के आभाव में अस्पताल नहीं ले जाया जा सका या फिर किसी मवेशी की मौत के बाद उसका शव सार्वजनिक स्थलों या सड़क पर पड़े पड़े खराब हो जाता है. इस दर्द को समझते हुए उन्होंने अपने पुत्र अजय अग्रवाल से कहा कि मैंने कुछ रुपए जोडकर रखे हैं. उसकी जरूरत मेरे से ज्यादा लावारिस मवेशियों की बेहतरी के लिए है. लिहाजा उन्होंने अपनी जमा चार लाख 90 हजार रुपए की पूंजी पुत्र को दे दी. गौर करने वाली बात है कि उन्होंने 100-50-500 की नोट जो धीरे धीरे जमा की थी वो पूरे एक साथ पशुओं की बेहतरी के लिए दान कर दी.


मां की इच्छा पर पुत्र ने बनवाया वाहन
अजय को मां ने कहा कि इन रुपयों से एक सुविधा युक्त ऐसा वाहन बना कर दान कर दो जिससे कि कोई भी लावारिस मवेशी हादसे या बिमारी के बाद वाहन की कमी में दम ना तोड़ें. इधर मां की जीवनभर की जमा पूंजी और उनकी इच्छा के अनुसार पुत्र अजय अग्रवाल ने एक मालवाहक वाहन को माडीफाई करवाया. अजय ने फिर वाहन में हाइड्रोलिक ट्राली बनावाकर लगवाई. ये वाहन गौ सेवा मंडल के लोगों को आज दान कर दिया है. अजय के मुताबिक शहर में गौसेवकों को ऐसे वाहन की आवश्यकता थी और मां का ये सपना था. जो दोनों आज साकार हो गया.


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