Chhattisgarh: डिमांड बढ़ने से बढे बिल्डिंग मटेरियल के रेट, लोग बोले सपना हो गया है अपना घर
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बिल्डिंग मटेरियल (Building material) थे बढ़े दाम ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. घर बनाना बजट से बाहर हो गया है.
Chhattisgarh Building Material Price: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बिल्डिंग मटेरियल (Building material) थे बढ़े दाम ने आम लोगों के सपनों में खलल पैदा कर दी है. घर बनाने का सपना देखने वालों के सपने टूटते हुए नजर आ रहे हैं. सरगुजा संभाग मे छड़ के दाम में थोड़ी नरमी जरूर आई है पर सीमेंट के भाव अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं. हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में बिल्डिंग मटेरियल के दामों में गिरावट आ सकती है कीमतें पिछले साल की तुलना से ज्यादा ही रहेंगी.
बढ़े छड़ के भाव
सरगुजा संभाग मुख्यालय स्थित बिल्डिंग मटेरियल व्यवसायी पिंटू बंसल ने बताया कि इस साल छड़ के रेट बहुत बढे हैं. कुछ दिन पहले सबसे मंहगे ब्रांड का छड़ 80 रुपए के पार पहुंच गया था. लेकिन, फिलहाल आज के बाजार भाव के अनुसार ब्रांडेड छड़ 78 रुपए और रायगढ़ वाले छड़ का भाव 73 रुपए तक पहुंच गया है. छड़ के भाव को लेकर पिंटू बसंल ने बताया कि छड़ के भाव और कम हो सकते हैं. पिछले साल छड़ का भाव 55-56 रुपए प्रति किलो था. ऐसे में मौजूदा हालात को देखकर पिछले साल वाली स्थिति तो नहीं बनेगी पर रेट और कम होगें.
सीमेंट की भी बढ़ी कीमतें
घर को बनाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले सीमेंट का भाव आसमान छू रहा है. एक सीमेंट कारोबारी ने बताया कि फिलहाल सीमेंट का औसतन दाम 330 रुपए प्रति बोरी है जो पिछले साल भी लगभग इतना ही था. हालांकि, पिछले साल सीमेंट का रेट 300 रुपए के आसपास था. सीमेंट के दाम छड़ की तुलना में कम बढ़े हैं लेकिन सीमेंट के ज्यादा उपयोग की वजह से ये लोगों के लिए परेशानी का कारण है. आम लोग बिल्डिंग मटेरियल के भाव थमने का इंतजार कर रहे हैं.
घर बनाने के सपने पर फिरा पानी
एक प्राइवेट बीज कंपनी में नौकरी करने वाले विनय दुबे पिछले 3-4 साल से घर बनाने का सपना संजोए बैठे हैं. लेकिन, पहले कोविड की मार और अब मंहगाई की मार ने उनके घर बनाने की उम्मीद पर पानी फेर दिया है. दुबे कहते हैं कि आज के समय में घर बनाना सबसे कठिन काम हो गया है. महंगी जमीन खरीदकर महंगे बिल्डिंग मटेरियल से घर तैयार करना मुश्किल है. छड़ और सीमेंट ने घर बनाने के सपने को फिलहाल सपना ही रहने दिया है. दुबे ने ये भी कहा कि सीमेंट और छड़ कंपनी के लोग चुनाव में चंदा देते हैं. जिसकी भरपाई और अगले चुनाव की फंडिंग के लिए धन एकत्र करने के कारण मटेरियल के रेट बढ़ा दिए जाते हैं.
बजट से बाहर है घर बनाना
वहीं, प्राइवेट जॉब करने वाले आकाश नाम के एक युवक ने बताया कि प्राइवेट नौकरी करने वालों को बैंक फाइनेंस नहीं करता है. ऊपर से छड़, सीमेंट, बालू की मंहगाई ने कमर तोड़ दी है. घर बनाना भगवान भरोसे हो गया है. एक आम इंसान सुनित मिश्रा ने कहा कि बिल्डिंग मटेरियल की आसमान छूती कीमतों ने निर्माण की लागत को बढ़ा दिया है, जो बजट से बाहर है.
डिमांड बढ़ने से बढ़ी कीमतें
राखी सिंह नाम की एक शासकीय सेवक ने कहा कि आज डामर की जगह सीमेंट की रोड बन रही है. शासकीय सेक्टर में सीमेंट छड़ की सप्लाई ज्यादा होने लगी है. जब जिस सामान की डिमांड बढ़ती है तो उसका भाव भी बढ़ जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि कोविड में लोग घर नहीं बना पाए. इसलिए 2-3 साल इंतजार के बाद काफी लोगों ने घर बनवाना शुरू किया, जिसकी वजह से भी डिमांड बढ़ी है.
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