Ambikapur News: छत्तीसगढ़ का सरगुजा संभाग मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ ओड़िशा जैसे राज्यों से लगा हुआ है. इस वजह से आदिवासी बाहुल्य सरगुजा इलाका पिछले कुछ वर्षों से अपराध और अपराधियों की शरण स्थली बन गया है. खासकर संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर तो लगातार अपराध के लिए सुर्खियों में बना रहता है, लेकिन बावजूद इसके पुलिस कुछ जरूरी और पहले प्रयोग किए गए उपायों को नजरअंदाज कर रही है, जिन उपाय को करने से बहुत हद तक अपराध और अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकता है. 


ऑटो चालकों के लिए बना नियम भी टूटा
आज से कुछ साल पहले सरगुजा पुलिस ने ऑटो चालकों के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिसमें ऑटो चालकों को नेम प्लेट लगी चालक वर्दी पहनना अनिवार्य था. इसके अलावा हर ऑटो चालक का नाम और उसका मोबाइल नंबर ऑटो में लिखा होना बेहद जरूरी था ताकि किसी अपराध के दौरान पीड़ित पक्ष उसके ऑटो में या वर्दी में लिखे नाम को पढ़ ले और मोबाइल नंबर के साथ रजिस्ट्रेशन नंबर पढ़ ले, लेकिन इस नियम को बनाने के बाद कुछ महीनों तक ये सिस्टम फॉलो करवाया गया पर धीरे धीरे ऑटो चालक फिर पुराने ढर्रे में आ गए. वे अब ना ही वर्दी में नजर आते हैं और ना ही उनके वाहनों में पहचान के लिए कोई नंबर या नाम लिखा है. 


काले फिल्म चढ़े वाहनों की नहीं होती जांच 
सरगुजा संभाग के सभी जिलों में चारपहिया वाहनों पर काले फिल्म चढ़े सैकड़ों वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं. ऐसे वाहनों को ज्यादातर अपराधी प्रवृत्ति के लोग उपयोग करते हैं. देखने में आता है कि पुलिस समय समय पर दो पहिया वाहनों की चेकिंग करती नजर आती है, लेकिन चार पहिया वाहनों को रुकवाने की जरूरत तक नहीं समझती. ऐसे में अपराध को बढ़ावा देने के लिए पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठने लगे हैं, जबकि कार के दरवाज़े वाले कांच पर काला फिल्म लगाना कानूनन मना है, लेकिन पुलिस इस ओर ध्यान नहीं देती है. बता दें कि पुलिस को जब मुखबिर से सूचना मिलती है कि उक्त काले फिल्म वाले वाहन में गांजा या मादक पदार्थों का परिवहन हो रहा है तभी पुलिस हरकत में आती है. 


मुसाफिरों की पहचान के लिए क्या? 
सरगुजा संभाग का सबसे बड़ा शहर अम्बिकापुर व्यापारिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत बड़ा हब बनते जा रहा है. इस वजह से बाहरी राज्यों से यहां छोटे से लेकर बड़े व्यापारी आ रहे हैं. फेरी वाला हो या फिर किसी और धंधे को करने की नीयत से यहां आने वाले लोग अम्बिकापुर शहर के तमाम मोहल्लों में रहते हैं, जिनकी पहचान किया जाना बहुत जरूरी है. इसके लिए उनको मकान देने वाले मकान मालिक को उनके पहचान पत्र लेकर रखना अनिवार्य और सुरक्षात्मक प्रकिया है. 


इसके अलावा उस इलाके की पुलिस टीम को भी समय समय पर मुहिम छेड़नी चाहिए, लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है. इस वजह से अपराध की आशंका हर वक्त बनी रहती है. अपराध होने के बाद बाहर से आए फेरी वाले या अन्य लोगों की तलाश कर पाना पुलिस के लिए चुनौती बन जाता है. इस संबंध में अम्बिकापुर कोतवाली थाना प्रभारी रूपेश नारंग ने एबीपी न्यूज से कहा कि, ट्रैफिक डीएसपी को इससे अवगत कराया जाएगा. ऐसे वाहनों की निगरानी कर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.


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