Ankita Jain: छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jashpur) की प्रसिद्ध लेखिका अंकिता जैन (Ankita Jain) को पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से मेदिनी पुरस्कार दिया गया. छोटे किसानों की समस्याओं को लेकर जशपुर की लेखिका अंकिता जैन ने "ओह रे किसान" नाम की किताब लिखी थी. जिसके लिए पर्यावरण जल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से देश में तृतीय पुरस्कार दिया गया. विभाग के राज्यमंत्री के हाथों अंकिता जैन को प्रशस्ति पत्र शाल और 50 हजार रुपये का चेक सौंपा गया.


तीन साल में एक बार आयोजित होती है प्रतियोगिता


मेदिनी पुरस्कार के लिए देशभर से प्रविष्टियां मंगाई गई थी, जिसमें हजारों लेखकों ने आवेदन किया था. पर्यावरण मंत्रालय द्वारा यह प्रतियोगिता 03 साल में एक बार आयोजित की जाती है. यह किताब कम जमीन वाले किसानों की बात कहती है, जिनका अस्तित्व अब खतरे के निशान तक पहुंच चुका है. जो अपनी आने वाली पीढ़ी को किसान नहीं बनाना चाहते. जो समाज, सरकार, बिचौलियों सबकी तरफ से उदासीन हैं.


यह किताब इन किसानों के साथ-साथ भारतीय वैदिक परंपरा में अपनाई जाने वाली खेती का वर्तमान रूप भी बताती है और वे तरीके भी बताती है. जिससे प्रकृति, किसान और मानवता को बचाया जा सकता है. इसके अलावा इस किताब में बताया गया है कि किस तरह वनस्पति भी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं और उनसे जुड़कर हम इस धरती को मरने से बचा सकते हैं.


30 सितंबर को पर्यावरण मंत्रालय बुलाया गया


लेखिका अंकिता जैन ने बताया कि ये अवॉर्ड पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दिया जाता है. यह प्रतियोगिता हर तीन साल में आयोजित होता है. इसका नाम मेदिनी पुरस्कार योजना है. उन्होंने कहा कि मुझे मेदिनी पुरस्कार 2020-21 मिला है. इसमें पूरे भारत से प्रविष्टियां मंगाई जाती है और उनमें से प्रक्रिया के अंगर्गत चुनाव होता है. लेखिका ने बताया कि मुझे दस दिन पहले फोन आया था कि मेदिनी पुरस्कार योजना के लिए आपको चुना गया है, और तृतीय पुरस्कार की राशि 50 हजार मिलने वाला है. यदि यह आपको स्वीकृत है तो अपनी स्वीकृति भेज दें. उन्होंने आगे बताया कि 30 सितंबर को दिल्ली में पर्यावरण मंत्रालय में बुलाया गया था, जहां कार्यक्रम आयोजित था.


छोटो किसानों की समस्या पर लिखी किताब


लेखिका अंकिता ने आगे बताया कि मूलरूप से उनकी लिखी किताब किसानों के उपर ही है. इसे पर्यावरण के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि किसानों की समस्याओं को पर्यावरण से अलग करके नहीं देखा जा सकता. मिट्टी, जल और वायु से किसानों का सीधा संबंध है और यदि वे अशुद्ध रहेंगे तो किसानों की समस्याओं का हल नहीं हो पाएगा. जशपुर के आसपास बहुत से छोटे-छोटे किसान हैं. ऐसा कह सकते हैं कि जशपुर में छोटे किसान ही हैं और उनकी समस्याओं में उतना ध्यान नहीं दिया जाता है.


जब देश के स्तर पर किसानों की बात होती है तो छोटे किसानों को दरकिनार कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश ये रही है कि इस किताब के जरिए उन किसानों की बात करें जो छोटी भूमि के मालिक हैं, जिनकी समस्याएं बड़ी है, जो सिर्फ पैसे से सॉल्व नहीं की जा सकती. उनका निराकरण पैसों को या उनकी बीमा आदि को देखकर नहीं किया जा सकता. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना पड़ेगा, उन्हीं के बारे में इस किताब में लिखा गया है.


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