Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में छठपूजा के गीत गाने पर आरू साहू का विरोध, बाल कलाकर के पक्ष में भी उतरे लोग
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के कोरबा जिला संयोजक जैनेंद्र कुर्रे ने कहा कि परदेशिया संस्कृति को बढ़ावा देने वाली का हम बहिष्कार करते हैं. हमें बच्ची आरू साहू से कोई विरोध नहीं है.
Aaru Sahu Controversy: छत्तीसगढ़ में इस साल छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन इस साल एक बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया है. छठ के गीत गाने पर छत्तीसगढ़ की नन्हीं कलाकार आरू साहू का विरोध शुरू हो गया है. सोशल मीडिया पर बायकॉट किया जा रहा है. छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना से जुड़े लोगों ने परदेशीय संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. इससे आरू साहू के परिजन घबराए हुए हैं. दरअसल राजधानी रायपुर में छठ पर्व पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिसमें 14 साल की आरू साहू को बुलाया गया है. आरु साहू छत्तीसगढ़ी के साथ भोजपुरी गाने भी गाएगी.
इसके विरोध में राज्य की छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मुहिम चला रहे है. इसका पूरे प्रदेश में असर हो रहा है. राज्य में कोई आई स्पोर्ट आरू का कैंपेन चला रहे हैं तो कोई बायकॉट का कैंपेन चला रहे हैं.
पूरा छत्तीसगढ़ अब आरू के साथ
आरू की मां पूर्णिमा साहू ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि संस्कृति के नाम पर कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. बहुत दुख हो रहा है ये लोग छोटी सी बच्ची को डरा रहे हैं. इससे छोटी बच्ची की शुरुआत में मानसिकता ही खराब हो जाएगी. विरोध करने वालों को आज पता चल जाएगा. आरु आज रायपुर के वीरगांव में कार्यक्रम करने जा रही है. पूरे छत्तीसगढ़ में आरू को सपोर्ट किया जा रहा है. सबका आभार है हमें हिम्मत मिली हैं. आरू साहू की मां ने यह भी कहा कि शुरुआत में डर लगा था लेकिन अब छत्तीसगढ़ साथ है.
भोजली घाट को बनाया जा रहा है छठ घाट
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के कोरबा जिला संयोजक जैनेंद्र कुर्रे ने कहा कि परदेशिया संस्कृति को बढ़ावा देने वाली का हम बहिष्कार करते हैं. हमारी बच्ची आरू साहू का कोई विरोध नहीं है. भोजली घाट को छठ घाट बनाया जा रहा है. इससे मूल संस्कृति को खतरा है. आरी साहू का कोई विरोध नहीं है, उसके प्रतिभा को आगे बढ़ाएंगे. छत्तीसगढ़ में परदेसिया संस्कृति का अतिक्रमण हो रहा है, इसका विरोध है. हमारे जमीन पर हम अपने त्योहार का संरक्षण क्यों नहीं करें?
कलाकार को किसी भी राज्य में गीत गाने की स्वतंत्रता है
छत्तीसगढ़ी कलाकार और फिल्म डायरेक्टर मनोज वर्मा ने आरू के विरोध को लेकर एबीपी न्यूज से कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि हर कलाकार को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह किसी भी राज्य किसी भी देश किसी भी भाषा में गीत गा सके या वहां के लिए काम कर सके. यह तो हमारे लिए खुशी की बात होनी चाहिए कि हमारे प्रदेश की बच्ची को दूसरे संस्कृति के लोगों ने चुना कि वह गीत गाए.
50 से अधिक गाने गा चुकी है आरू
गौरतलब है कि आरू साहू पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय सिंगर बन गई है. अपनी काबिलियत से प्रदेश का नाम रौशन कर रही है. आरू ने बीते कुछ सालों में छत्तीसगढ़ी के 50 से अधिक गाने गाए है. इसके आरू के फैंस दिनों दिन बढ़ते जा रहे है. ऐसे में इस तरह का विरोध से आरू साहू की परेशानी बढ़ गई है.
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