Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ चुनावी मुहाने पर खड़ा है. विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और 23 साल के छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता में रहे बीजेपी के बीच मुकाबला है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि छत्तीसगढ़ में किसका पलड़ा भारी है और 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कौन कितना तैयार है? इसे समझने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के राजनीति मायने से समझना होगा. क्योंकि एक महीने के भीतर तीसरी बार अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर आए है. आखिर बीजेपी चुनाव के पहले क्यों लड़खड़ा रही है की संभालने के लिए हाईकमान को जिम्मेदारी संभालना पड़ रहा है? 

चुनाव के पहले कांग्रेस ने रूठे नेताओं को मनाया
दरअसल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस जितनी मजबूत दिखाई दे रही है उतनी बीजेपी मजबूत नहीं दिख रही है. कांग्रेस ने पिछले एक महीने अंदरूनी गुटबाजी को शांत करने के लिए टी एस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाया, दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष और मोहन मरकाम को प्रेमसाय सिंह टेकाम की जगह कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पार्टी अब सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आगे बढ़ रही है. 

क्या बीजेपी जमीनी मुद्दों के लिए भटक रही है?
दूसरी तरफ बीजेपी में पूरी तरह से संगठन में बदलाव के बाद भी पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत नजर नहीं आ रही है और दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार बीजेपी के मुद्दे पर सीधा अटैक कर रही है. पीएम आवास योजना के नाम पर बीजेपी पिछले दो साल से कांग्रेस सरकार को घेर रही थी, लेकिन सीएम भूपेश बघेल ने चुनाव के ठीक पहले गरीबों को राज्य सरकार के पैसे से पक्का मकान देने का वादा कर दिया. सॉफ्ट हिंदुत्व के साथ कांग्रेस शुरू से ही आगे बढ़ रही है. भगवान राम के ननिहाल को संवारने की कोशिश की रही है. यहां तक धान खरीदी के मामले में भी चुनाव के ठीक पहले सीएम ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी की घोषणा कर सबसे बड़े वोट बैंक को साधने में भी पीछे नहीं रहे.

चार साल में बीजेपी ने 3 प्रदेश अध्यक्ष बदले
इसके बाद बीजेपी लगातार हर मोर्चे में कांग्रेस से मात खा रही है. इस लिए बीजेपी हाईकमान ने छत्तीसगढ़ की कमान संभाल ली है. इसके अलावा बीजेपी मुद्दों की तलाश में लगातार भटकती हुई नजर आ रही है. हालांकि पिछले 6 महीने में पार्टी में सक्रियता देखने को मिली पार्टी ने बेरोजगारी, शराबबंदी, पीएम आवास योजना और पीएससी घोटाले पर बड़े स्तर में प्रदर्शन किया है. लेकिन बीजेपी की चुनौती संगठन के नेतृत्व के मामले में बढ़ रही है. क्योंकि 4 साल में 3 प्रदेश अध्यक्ष बदल चुकी है. अब कमान सांसद अरुण साव को दी गई है. इसके बाद भी मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. बीजेपी ने युवा नेताओं की नई टीम को चुनावी मैदान में उतार रही है. तो इससे बीजेपी के पुराने नेता यानी 15 साल तक के सत्ता सुख भोगने वाले नेताओं की पूछ परख कम होने के साथ साइड लाइन किया जा रहा है. 

बीजेपी के पुराने नेताओं को क्या साइड लाइन किया जा रहा !
इसका असर 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रायपुर दौरे में देखने को मिला . जब मंच पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश मूणत को जगह नहीं मिली तो राजेश मूणत कलाकारों के लिए बनाए गए मंच में अकेले बैठकर पीएम मोदी को सुन रहे थे. इसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ तो राजेश मूणत ने किसी भी तरह की नाराजगी से इंकार कर दिया. लेकिन ये बीजेपी के राजनीतिक कार्यक्रमों में ये साफ दिखाई पड़ रहा है कि बीजेपी के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, प्रेम प्रकाश पांडेय, अमर अग्रवाल, पुन्नू लाल मोहले,राम सेवक पैकरा, रमशीला साहू, दयालदास बघेल और भैयालाल राजवाड़े जैसे पार्टी के सीनियर नेता पार्टी के कार्यक्रमों से दूर नजर आ रहे है. हालांकि इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कभी नाराजगी जाहिर नहीं की है. 

बीजेपी की डूबती नैया पार करने के लिए अमित शाह को कमान 
वहीं इसी साल 1 मई को बीजेपी के सीनियर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बीजेपी में उपेक्षा होने का खुलासा करते हुए बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. फिर कांग्रेस ने मौके का फायदा उठा कर नंदकुमार साय को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर पार्टी सत्ता में बड़ी जिम्मेदारी दे दी है. अब माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की डूबती नैया को पार करने की जिम्मेदारी अमित शाह को दी गई है. इस लिए छत्तीसगढ़ चुनावी रणनीतियों पर अमित शाह खुद निगरानी कर रहे है, लेकिन बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ सत्ता वापसी आसान नहीं है. क्योंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़िया वाद बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

अमित शाह के दौरे पर छत्तीसगढ़ में सियासत
छत्तीसगढ़ में लगातार अमित शाह दौरे पर कांग्रेस सवाल उठा रही है. कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा छत्तीसगढ़ बीजेपी चुनाव लड़ने के लिए सक्षम है. इस लिए अमित शाह को छत्तीसगढ़ की कमान संभाल रहे है. वहीं बीजेपी के नेता संजय श्रीवास्तव ने कहा जा रहा है कि बीजेपी चुनावी जीतने के लिए पूरी तरह से तैयार है. हमारी शक्ति बूथ स्तर पर बढ़ रहा है. एक महीने 4 बड़े नेताओं का दौरा हुआ अब आने वाले समय में हमारे राष्ट्रीय नेता छत्तीसगढ़ आने वाले है. इससे कांग्रेस घबरा गई है. अगर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी किसी राज्य में जाएंगे तो ये माना जाएगा की वहां को कांग्रेस खत्म हो गई है?

क्या विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार होगा!
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में बीजेपी लगातार मुद्दों की तलाश में भटक रही है. इस बीच अब छत्तीसगढ़ में ईडी और आयकर विभाग की छत्तीसगढ़ में एंट्री से खलबली मच गई है. ईडी ने पिछले 8 महीने में 500 करोड़ के कोयला घोटाला, 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले का खुलासा कर चुकी है.इसमें कई आईएएस अफसर और कांग्रेस नेताओं को सेंट्रल एजेंसी घेरे में ले रही है. वहीं पीएम मोदी ने भी 7 जुलाई को रायपुर की आम सभा में भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की गारंटी देकर गए है और छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार बनाने का दावा कर चुकी है. फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस के दावों में कितना दम है ये चुनाव परिणाम के बाद ही समझ आएगा.


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