Chhattisgarh Election 2023: बस्तर के इस गांव में पहली बार होगा मतदान, निर्दोष ग्रामीणों की जेल से रिहाई पर परिवार खुश
Chhattisgarh Elections 2023: बस्तर जिले का चांदामेटा गांव नक्सल प्रभावित इलाका है. इस गांव में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप भी रहा करता था. ऐसे में आजादी के 75 साल बाद पहली बार इस गांव में मतदान होगा.
Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. बस्तर जिले के अंतिम छोर में बसा नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव में आजादी के 75 साल बाद पहली बार मतदान होना है. दशकों बाद यहां के ग्रामीणों को नक्सल भयमुक्त कर जिला प्रशासन की टीम लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए जागरूक कर रही है. इधर एक तरफ जहां यहां के ग्रामीणों में मतदान को लेकर उत्साह दिख रहा है, तो वहीं नक्सल मामलों में पिछले कई सालों से जेल में बंद ग्रामीणों के रिहाई होने के बाद उनके परिवार वालों में खुशी लौट आयी है.
दरअसल चांदामेटा गांव के 25 से अधिक ग्रामीण पिछले कुछ सालों से नक्सली सहयोगी के आरोप में जेल में सजा काट रहे थे. लंबे समय तक चले सुनवाई के बाद ग्रामीणों के निर्दोष साबित होने पर 25 में से 16 ग्रामीणों को रिहा कर दिया गया है और सभी अपने घर वापस लौट आए हैं. इसके साथ ही अन्य ग्रामीणों की रिहाई के लिए भी न्यायालयीन प्रक्रिया जारी है.
चांदामेटा गांव के16 ग्रामीण हुए अब तक रिहा
दरअसल छत्तीसगढ़-उड़ीसा के बॉर्डर में स्थित दरभा ब्लॉक के चांदामेटा गांव में नक्सलियों के बड़े नेता हमेशा इस इलाके में सक्रिय रहते थे. नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप भी चांदामेटा इलाके में रहा करता था. यही कारण है कि इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को शक की निगाहों से पुलिस देखती थी और इन इलाके में हुए नक्सली घटनाओं में गांव के संदिग्ध ग्रामीणों को नक्सल सहयोगी बताकर गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया गया था. हालांकि, न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते इन ग्रामीणों को रिहाई मिल रही है और अब ग्रामीण जेल से रिहा होकर अपने घर की ओर लौट रहे हैं.
रविवार (20 अक्टूबर) को जेल से रिहा हुए चांदामेटा गांव के ग्रामीण परदेशी ने बताया कि वह पिछले 8 सालों से जेल में बंद था. 2015 में उसे नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया था और अब 8 सालों के बाद रिहा होकर वापस अपने गांव और घर चांदामेटा पहुंचा है. जिससे वह काफी खुश है .उनके परिवार के लोगों में भी काफी उत्साह देखने को मिला है.
परदेसी ने बताया कि जेल में रहने के दौरान परिवार और गांव की याद उन्हें हमेशा सताती थी. उनके मामले में 8 सालो तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार उन्हें निर्दोष साबित करते हुए जेल से रिहा कर दिया गया. उनके साथ गांव के ही और 2 ग्रामीण वापस लौट आये हैं. रिहा हुए परदेसी और चांदामेटा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव के करीब 25 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया था. उनमें से एक ग्रामीण की जेल में ही मौत हो गई. फिलहाल ग्रामीणों के अनुसार जेल में अभी 8 से 9 ग्रामीण और हैं. वहीं अन्य ग्रामीण अलग अलग जेलों से रिहा हो गए हैं. चांदामेटा ग्रामीणों की मांग है कि जेल में बंद अन्य ग्रामीणों को भी जल्द से जल्द रिहा किया जाए. क्योंकि वे निर्दोष हैं और इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से बात भी मांग की है.
जेल से रिहा हुए ग्रामीण पहली बार डालेंगे वोट
इधर बस्तर जिले के एसएसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीणों की रिहाई की न्यायालयीन प्रक्रिया जारी है. बस्तर पुलिस की ओर से यह लगातार कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द न्यायालयीन प्रक्रिया में गवाहों को प्रस्तुत कर सके, जिससे कि न्यायालय की प्रक्रिया पूरी हो जाए. इधर पहली बार चांदामेटा गांव के ग्रामीणों के साथ-साथ जेल से रिहा हुए ग्रामीण भी 7 नवंबर को लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल होकर वोट डालेंगे.
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