Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में 7 नवंबर को पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है लेकिन मतदान के प्रतिशत को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, इस आंकड़े ने सभी को चौंका दिया है. देश की आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर जिले के ग्रामीण इलाकों में जागरूक ग्रामीण मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर अपने मत का प्रयोग किया है. वहीं कुछ ऐसे भी आंकड़े निकलकर सामने आए हैं, जिसमें ग्रामीणों ने शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को भी जागरूक मतदाता में पीछे छोड़ दिया है और यहां शत प्रतिशत मतदान हुआ है. उन्हीं में से एक ऐसा गांव दंतेवाड़ा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मौजूद है, जहां 72 मतदाताओं में पूरे के पूरे 72 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया है. नक्सलियों के तरफ से चुनाव बहिष्कार के फरमान के बावजूद यहां लोकतंत्र की जीत हुई है. जिसको लेकर चुनाव आयोग ने भी यहां के जागरूक मतदाताओं को लेकर उन्हें धन्यवाद देते हुए खुशी जाहिर की है.


दरअसल नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों  में चुनाव आयोग को सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न कराना काफी चुनौती पूर्ण होती है. प्रथम चरण के मतदान के लिए चुनाव आयोग ने साधन संसाधन के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई थी. चुनाव आयोग के अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासन के साथ ही 7 जिलो के अधिकारी कर्मचारी ने भी पूरे सातों जिलों में ज्यादा से ज्यादा मतदान हो सके, इसके लिए गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाने के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से मतदान को लेकर ग्रामीण मतदाताओं से अपील भी की. माना जा रहा था कि नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के पर्चे के बीच नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीणों में मतदान को लेकर भय दिख सकता है लेकिन तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था और ग्रामीणों में चुनाव को लेकर दिखा उत्साह का कमाल था कि कई गांव में पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान के प्रतिशत में काफी बढ़ोतरी हुई और ग्रामीण मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर अपने मत का प्रयोग किया.


102 फीसदी हुआ मतदान


वहीं पूरे बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा जिले का एक ऐसा गांव है, जहां पूरे के पूरे मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया . यह गांव कटेकल्याण ब्लॉक में स्थित है. किडरीरास नाम के गांव में मतदाताओं की संख्या 72 है. पिछड़ा हुआ क्षेत्र कहे जाने वाले इस इलाके में आज भी मूलभूत सुविधाओ की कमी है लेकिन यहां के गांव के ग्रामीणों में मतदान को लेकर इरादे नेक है. यही वजह है कि सुबह 7 बजे से शुरू हुए मतदान में दोपहर 3 बजे तक गांव के सभी मतदाता अपने मत का प्रयोग करने केंद्रों तक पहुंचे और पूरे गांव के 72 मतदाताओं ने वोट किया. वहीं यहां ड्यूटी पर तैनात दो कर्मचारियों ने भी वोट डाला, कुल मिलाकर पूरे दंतेवाड़ा जिले में इस गांव में 102% मतदान हुआ.


नक्सल प्रभावित जिलों में बढ़-चढ़कर मतदान


इसके अलावा सुकमा ,नारायणपुर ,कांकेर और बस्तर जिले में भी मतदान का प्रतिशत बढ़ा. जिन इलाकों में नक्सलियों के खौफ से ग्रामीण वोट करने नहीं पहुंचते थे. वहां भी इस साल मतदान को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिला, हालांकि प्रशासन ने ग्रामीणों के सुविधा को देखते हुए इस बार ग्रामीणों के घरों से दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर ही मतदान केंद्र बनाया. वहीं गांव में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की वजह से और बस्तर पुलिस की त्रिवेणी योजना विकास ,विश्वास, सुरक्षा की पहल से ग्रामीणों में पुलिस के प्रति और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा और यही वजह रही कि लोकतंत्र के इस महापर्व में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया.


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