Chhattisgarh Election 2023: सरगुजा संभाग की इस एक सीट पर बीजेपी ने अब तक नहीं उतारा कैंडिडेट, दावेदारों में बढ़ रही बेचैनी
Chhattisgarh Election: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है. बाकी 14 सीटों पर पार्टी के सारे प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं.
Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर (Ambikapur) की अनारक्षित विधानसभा सीट के लिए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singh Dev) के खिलाफ बीजेपी प्रत्याशी अब तक तय न होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है. संभाग की कुल 14 सीटों में अंबिकापुर को छोड़कर बीजेपी के सारे प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं और नामांकन शुरू होने के तीसरे दिन तक प्रत्याशी को लेकर बीजेपी (BJP) के दावेदारों में अभी भी बेचैनी का आलम है. बीजेपी नेताओं के श्रीकोट दौरे के बाद अंबिकापुर के संभावित प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी के दावेदारों में अनिश्चय की स्थिति और बढ़ गई है.
गौरतलब है कि 2008 में परिसीमन के बाद से उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव लगातार अंबिकापुर सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. बीजेपी ने लगातार हार के बावजूद तीनों चुनाव में एक ही प्रत्याशी पर दांव लगाया मगर हार का अंतर बढ़ता ही गया. 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी शुरू से ही नए प्रत्याशी उतारने का फैसला कर चुकी थी. मगर नामांकन के तीन दिनों बाद तक वह तय नहीं कर पाई है कि इस सीट से वह किसे प्रत्याशी बनाए. छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब तक हुए कुल चार मुकाबलों में बीजेपी सिर्फ 2003 में सफल हो पाई थी.
जब लगातार पांच बार विधायक रह चुके कांग्रेस के स्व. मदन गोपाल सिंह (Madan Gopal Singh) को जोगी विरोधी लहर में बीजेपी के कमलभान (Kamalbhan) ने 37222 मतों से पराजित किया. 2008 में परिसीमन के बाद अंबिकापुर सीट अनारक्षित घोषित हुई और मौजूदा उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने पहला चुनाव कड़े संघर्ष के बाद बीजेपी के युवा प्रत्याशी अनुराग सिंहदेव (Anurag Singh Deo) से महज 980 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की. 2013 में बीजेपी ने फिर से अनुराग सिंहदेव को चुनाव मैदान में उतारा, मगर अपनी स्थिति मजबूत करते हुए श्री सिंहदेव ने 2013 में 19598 और 2018 में रिकॉर्ड 39624 मतों से पराजित किया.
लगातार बदल रहा है अटकलों का बाजार
अम्बिकापुर विधानसभा सीट में मजबूत बीजेपी प्रत्याशी के लिए पिछले 15 वर्षों से जारी तलाश अब तक खत्म नहीं हुई है. 2013 के चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता संघर्ष के बीच बीजेपी को पहले उम्मीद थी कि शायद कांग्रेस की ऊपरी लड़ाई के बीच सिंहदेव खेमे से ही कोई प्रत्याशी मिल जाए, मगर अंतिम समय तक उससे सफलता नहीं मिली. दूसरी ओर बीजेपी ने नए प्रत्याशी की तलाश शुरू की तो उसके पुराने कैडर का खुला विरोध अम्बिकापुर में टिकट के संघर्ष को और बढ़ा दिया और अब चिंतामणी महाराज (Chintamani Maharaj) के सामरी से टिकट न मिलने के बाद उपजी नाराजगी और बीजेपी नेताओं के तरफ से उन्हें वापस लाने का प्रयास फिर से अम्बिकापुर में बीजेपी प्रत्याशी को लेकर अटकलों के बाजार को गर्म रखे हुए है. नामांकन के दूसरे दिन भी प्रत्याशी घोषित न होने और श्रीकोट में बीजेपी की हलचल बढ़ने के बाद आज नए प्रत्याशी को लेकर गहमा गहमी और बढ़ गई.
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