Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की टिकट बंटवारे के बाद भड़की विद्रोह की आग सूबे के उत्तरी छोर तक पहुंच गई है. सरगुजा संभाग में कांग्रेस ने एक पूर्व मंत्री समेत चार सीटिंग एमएलए के टिकट काट दिए हैं. जिसके बाद बगावत की आवाज कांग्रेस के अंदरखाने से बाहर निकल कर आ गई है. इसी बीच सामरी से कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज अचानक सुर्ख़ियों में आ गए हैं, क्योंकि टिकट मिलने से अंदर ही अंदर नाराज चल रहे चिंतामणि महाराज से मिलने पूर्व केन्द्रीय मंत्री विष्णु देव साय, पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और सरगुजा संभाग के संगठन प्रभारी संजय श्रीवास्तव हेलीकॉप्टर से उनके सामरी स्थित आश्रम श्रीकोट पहुंच गए.
सरगुजा के पूज्य संत गहिरा गुरु के पुत्र और दो बार कांग्रेस से विधायक चिंतामणि महाराज के सामरी विधानसभा स्थित श्रीकोट में आज काली माता के मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था. जिस धार्मिक आयोजन में अचानक पूर्व केन्द्रीय मंत्री विष्णुदेव साय, पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और सरगुजा संभाग के संगठन प्रभारी संजय श्रीवास्तव पहुंच गए. जिसके बाद चिंतामणि के भाजपा में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है और संभावना इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि टिकट कटने के बाद उनके अनुयायी और वो खुद काफी आहत थे. एबीपी लाइव के कार्यक्रम में भी अनुयायियों के नाराजगी की बात चिंतामणि ने खुद स्वीकार की थी. खैर फिलहाल धार्मिक आयोजन के बहाने ही सही भाजपा के बड़े नेताओं के साथ उनकी बातचीत जारी है. लेकिन कुछ शर्त की वजह से मामला थोड़ी देर के लिए लटकता नजर आ रहा है.
चिंतामणि ने रखी शर्त
चिंतामणि ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आश्रम में आए भाजपा नेताओं ने भाजपा में शामिल होने की पेशकश की है. साथ ही उनको सरगुजा लोकसभा से चुनाव लड़ाने की बात भी कही है. जिस पर चिंतामणि का कहना है कि मुझे अम्बिकापुर विधानसभा से चुनाव लड़ाया जाए. क्योंकि लोकसभा चुनाव 6 महीने बाद है. मै 6 महीने इंतज़ार क्यों करूँ. चिंतामणि के इस मांग पर अंबिकापुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके नेताओं की चिंता बढ़ सकती है. एक संभावना के मुताबिक अगर चिंतामणि महाराज भाजपा में शामिल हो जाते हैं. तो सामरी और लुंड्रा विधानसभा के साथ जशपुर जिले की एक दो सीट पर उनके प्रभाव से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती है.
बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे चिंतामणि
चिंतामणि महाराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से की थी. जिसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्हें संस्कृत बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया था. लेकिन विधानसभा में टिकट न मिलने से नाराज चिंतामणि 2013 विधानसभा के पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. और फिर 2013 में कांग्रेस ने उन्हें लुंड्रा विधानसभा से टिकट दिया और वो जीत गए. जिसके बाद 2018 विधानसभा में कांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत चिंतामणि महाराज को सामरी से टिकट दिया और वो वहां से भी चुनाव जीत गए. जिसके बाद 2023 के चुनाव में परफॉर्मेंस के आधार पर उनकी टिकट काट दी गई और पैलेस ख़ेमे के नए युवा प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया. तब से ही कयास लगाए जा रहे थे, कि चिंतामणि कांग्रेस की चिंता बढ़ा सकते है. पर अब उन्होंने अंबिकापुर से टिकट मांग कर कांग्रेस के साथ भाजपा की चिंता भी बढ़ा दी है.
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