Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस (Congress) ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में 53 प्रत्याशियों के नाम जारी किए गए हैं. इस लिस्ट में भी पहली लिस्ट की तरह विधायकों के टिकट काटे गए हैं. अब तक कांग्रेस ने 83 सीट पर प्रत्याशियों का नाम जारी किया है. इसमें 18 विधायकों का टिकट काटा गया है, लेकिन दिलचस्प कहानी ये है कि रायपुर दक्षिण से कांग्रेस ने हिंदुत्व कार्ड खेला है. कांग्रेस ने यहां से महंत राम सुंदर दास (Mahant Ram Sundar Das) को बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agrawal) के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है.
दरअसल, महंत रामसुंदर दास का नाम चर्चा में इसलिए है क्योंकि, दिसंबर 2021 में जब रायपुर के धर्म संसद में कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे थे, तब महंत ने मंच से विवादित कालीचरण का विरोध किया था. इसके बाद रामसुंदर दास का नाम चर्चा में आया था. अब कांग्रेस ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए बीजेपी के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ रायपुर दक्षिण से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है.
दो बार विधायक रह चुके हैं महंत रामसुंदर दास
इस चुनावी लड़ाई को गुरु शिष्य की लड़ाई की तरह भी देखा जा रहा है, क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल महंत राम सुंदर दास के अच्छे संबंध हैं. बृजमोहन अग्रवाल मठ के कार्यक्रमों में लगातार शामिल होते रहते हैं. वो महंत का आशीर्वाद भी लेते हैं. महंत रामसुंदर दास भूपेश बघेल सरकार में गौसेवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. वो 2003 में पामगढ़ और 2008 में जैजैपुर से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. इसके बाद महंत राम सुंदर दास अब 2023 में चुनावी मैदान में उतरे हैं.
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का इतिहास
महंत ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि मैनें जांजगीर चांपा से दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने मुझे रायपुर दक्षिण से प्रत्याशी बनाया है, क्योंकि दक्षिण सीट में ही हमारा मठ है. लेकिन महंत के लिए रायपुर दक्षिण सीट को भेदना आसान नहीं होगा, क्योंकि ये सीट बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाती है. बता दें की राज्य गठन के पहले यानी सन 2000 के पहले रायपुर शहर केवल एक सीट का हुआ करती थी. तब से बृजमोहन अग्रवाल यहां के विधायक रहते हुए आए हैं. वर्तमान में रायपुर सिटी में चार विधानसभा सीटे हैं.
बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बनें. इसके बाद वो साल 1993 और 1998 में अविभाजित मध्य प्रदेश में तीन बार विधायक बनें. फिर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वो लगातार यहां से चार बार साल 2003, 2008, 2013, 2018 में चुनाव जीत चुके हैं.