Chhattisgarh Assembly Election 2023: चुनाव आयोग (Election Commission) ने छत्तीसगढ़ में कई आईएस और आईपीएस अफसरों को चुनाव से दूर रखने के लिए आदेश दिया है. छत्तीसगढ़ में अगले महीने सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है, लेकिन इससे पहले चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ के दो आईएएस, तीन आईपीएस और दो राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनकी जिम्मेदारियों से हटाने का निर्देश दे दिया है. 


इसके लिए चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. इसके पीछे चुनाव आयोग ने कहा है कि इन अधिकारियों ने चुनाव की जिम्मेदारियों में दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इससे प्रदेश भर में हड़कंप मच गया है. वहीं इस कार्रवाई को राजनीति से भी जोड़ा जा रहा है. दरअसल, बुधवार को चुनाव आयोग ने एक आदेश जारी किया है. इसमें रायगढ़ और बिलासपुर जिले के कलेक्टर को चुनावी जिम्मेदारी से हटाने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ दुर्ग जिले के भी एसपी और एडिशनल एसपी दोनों को हटाने का निर्देश दिया गया है. 




सीएम के करीबी अधिकारी हटाए गए
इसके साथ ही कोरबा और राजनांदगांव जिले के एसपी को भी हटाने का निर्देश दिया गया है. सबसे पहले आईएएस तारनप्रकाश सिन्हा के बारे में जान लीजिए. तारण प्रकाश सिन्हा को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है. क्योंकि जब सीएम भूपेश बघेल सरकार में आए तब तारन प्रकाश सिन्हा को जनसंपर्क आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई. सिन्हा मुख्यमंत्री सचिवालय में काम कर चुके हैं. इसके बाद राजनांदगांव में बतौर कलेक्टर पहुंचे.




 रायगढ़ जिले के कलेक्टर थे आईएएस सिन्हा
आईएएस तारनप्रकाश सिन्हा जांजगीर चांपा जिला के कलेक्टर बने और अभी रायगढ़ जिले के कलेक्टर  थे, लेकिन चुनाव आयोग ने तत्काल प्रभाव से तारन प्रकाश सिन्हा को हटाने का आदेश दिया है. इसके अलावा चर्चा ये भी हो रही है कि पूर्व आईएएस ओपी चौधरी रायगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. ओपी चौधरी की कम समय में ही बीजेपी में अच्छी पूछ परख हो गई है. से में चुनाव को कहीं से भी बाधित न किया जाए, इसलिए भी रायगढ़ से तारण प्रकाश सिन्हा को हटाने के कयास लगाए जा रहे हैं. ये भी जान लीजिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा रायगढ़ भी हो चुका है.




बिलासपुर कलेक्टर संजीव झा को हटाने के निर्देश
बिलासपुर कलेक्टर आईएएस संजीव झा कांग्रेस सरकार में कोरबा, सरगुजा , बलरामपुर -रामानुजगंज जिले के कलेक्टर रह चुके हैं. इन जिलों की राज्य के बड़े जिलों में गिनती होती है. खासकर कोरबा जिला जिसे छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कहा जाता है. वहीं राजनीतिक रूप से बात करें तो बिलासपुर में बीजेपी के पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर अमर अग्रवाल चुनाव लड़ रहे हैं. रमन सिंह सरकार में ताकतवर मंत्री रहे हैं, लेकिन पिछला चुनाव वो हार गए थे. राजनांदगांव के एसएसपी अभिषेक मीणा को भी हटा दिया गया है. अभिषेक मीणा इसके पहले कोरबा, रायगढ़ जिले के एसपी रह चुके हैं.  इसी साल उनका प्रमोशन एसपी से एसएसपी के पद में हुआ है. 




 एसपी शलभ सिन्हा भी हटाए गए
खास बात ये है कि राजनांदगांव ज़िला पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का विधानसभा क्षेत्र है. यही से रमन इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं. दुर्ग जिले के एसपी शलभ सिन्हा को भी हटा दिया गया है. दुर्ग जिले के एसपी शलभ सिन्हा नक्सलगढ़ में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. वो सुकमा,कांकेर जिले के एसपी भी रहे चुके हैं,  लेकिन कांग्रेस सरकार ने शलभ सिन्हा को सबसे पावरफुल जिला दुर्ग में भेजा. जो राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला है. इसके अलावा राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का भी ये गृह जिला है. दोनो इसी जिले में विधानसभा चुनाव लड़ते हैं. वहीं इस बार बीजेपी सांसद विजय बघेल सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से चुनाव लड़ रहे हैं.




राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अभिषेक माहेश्वरी भी गए हटाए
वहीं कोरबा जिले के एसपी आइपीएस उदय किरण को हटा दिया गया है. वो राज्य के बड़े जिलों में काम कर चुके हैं. वो रायगढ़, बिलासपुर, महासमुंद, दुर्ग, कोरबा, दंतेवाड़ा जिले में अलग अलग जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन  चुनावी साल में वो कोरबा जिले के एसपी की जिम्मेदारी निभा रहे थे. राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अभिषेक माहेश्वरी को भी हटा दिया गया है. अभिषेक माहेश्वरी डीएसपी थे. 2022 में उनका प्रमोशन हुआ और एएसपी बनाए गए. वो रायपुर में लंबे समय तक काम कर चुके हैं.  एएसपी क्राइम की भी कमान उनके पास थी,  लेकिन चुनावी साल में उनका ट्रांसफर बिलासपुर ग्रामीण में ASP के पद पर हुआ था. अब चुनाव आयोग ने तत्काल उन्हें पद से हटाने का निर्देश दिया है.


अभिषेक माहेश्वरी कांग्रेस सरकार में ताकतवर पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं. इसी तरह संजय ध्रुव को भी हटा दिया गया है. वो रायपुर, महसमुंद के ASP रह चुके हैं. पिछले साल दूर्ग एएसपी पद से उनका ट्रांसफर होने वाला था, लेकिन सरकार ने उन्हें दुर्ग में रहने दिया. उनकी जगह दूसरे अफसर को रायगढ़ भेजा गया. 


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