Chhattisgarh Elections: इस विधानसभा सीट के दौरे से 'कतराते' आए हैं छत्तीसगढ़ के सीएम! जानें- क्या है इसका राज?
Chhattisgarh Assembly Elections: छत्तीसगढ़ में सीएम एक खास विधानसभा क्षेत्र में जाने से कतराते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां जाने पर वह सत्ता के सुख से वंचित हो जाएंगे. इसको लेकर रोचक कहानियां भी हैं.

Akaltara Assembly Seat History: छत्तीसगढ़ में अकलतरा (Akaltara) विधानसभा सीट के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी नेता यहां आता है वह दोबारा मुख्यमंत्री(chief minister) नहीं बनता है. इस लिए दिग्गज नेता यहां आने के लिए कतराते हैं. यहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM bhupesh baghel)भी लगभग 5 साल में एक बार भी नहीं गए. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी...
जांजगीर चांपा जिले का अकलतरा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बहुत दिलचस्प है और छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय भी बना रहता है. अकलतरा में पिछले 3 चुनाव से एक पैटर्न देखने को मिला है कि जब भी कोई पार्टी का प्रत्याशी अकलतरा विधानसभा से चुनाव जीतता है तो वो पार्टी सत्ता से बाहर हो जाती है और जो सत्ता में रहते हैं उसकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव हार जाते है. स्थानीय पत्रकार बताते है कि 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान रमन सिंह अकलतरा गए थे और वह सत्ता से बाहर हो गए.
ये दिग्गज नेता अकलतरा गए और दोबारा सीएम नहीं बने
ये सिर्फ एक उदाहरण नहीं है. इससे पहले जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तब 1958 में अविभाजित मध्य प्रदेश के कैलाशनाथ काटजू आए थे. इसके बाद 1973 में प्रकाशचंद्र सेठी का अकलतरा नगर पालिक क्षेत्र में आगमन हुआ था. इसके बाद ये दोनों दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सके. इसके बाद 2002 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी अकलतरा पहुंचे थे. लेकिन उनका दोबारा मुख्यमंत्री बनना सपना रह गया. इसके अलावा एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह, सुंदरलाल पटवा और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए अकलतरा नहीं आए.
15 साल तक रमन सिंह नहीं गए थे और 5 साल से भूपेश बघेल नहीं जा रहे है
स्थानीय पत्रकार जयदास मानिकपुरी ने ये भी बताया कि 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह एक बार भी अकलतरा नहीं गए.हालाकि 2018 में चुनावी कैंपेन के दौरान तरौद चौक तक पहुंचे थे. लेकिन सत्ता से बाहर हो गए. इसके बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात करें तो वह सीएम बनने के बाद अबतक अकलतरा नहीं गए है.
अकलतरा विधानसभा का राजनीति इतिहास क्या है?
कांग्रेस के लीडर धीरेंद्र सिंह के बेटे सौरभ सिंह इस वक्त बीजेपी से विधायक है.2008 में बहुजन समाज पार्टी से सौरभ सिंह विधायक बने लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट चाहते थे. लेकिन कांग्रेस ने चुन्नीलाल साहू को टिकट दिया और चुन्नीलाल साहू जीत भी गए. फिर सौरभ सिंह ने 2018 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में चले गए और दूसरी बार विधायक अकलतरा विधानसभा से बने.
सौरभ सिंह बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को छोड़ने के बाद अब बीजेपी के साथ हैं. इस दौरान भी देखा गया कि 2008 में बीएसपी से जब विधायक थे तब बीजेपी की सरकार सत्ता में आई. 2013 में जब कांग्रेस का विधायक अकलतरा में था तब भी बीजेपी की सरकार आई और अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो अकलतरा से बीजेपी के नेता विधायक बने.
अकलतरा विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा और राजनीतिक समीकरण क्या है
अकलतरा विधानसभा में ओबीसी और एससी वर्ग सबसे बड़ा वोट बैंक है. राजनीति जानकर मानते हैं कि ओबीसी और एससी का जिस तरफ झुकाव होता है वो विधानसभा चुनाव जीत जाते हैं. अकलतरा में 2 लाख से ज्यादा वोटर हैं. इसमें से 50 हजार के आस पास केवल एससी वर्ग का वोट बैंक है. इस लिए इस वर्ग को यहां किंग मेकर कहा जाता है. वहीं अकलतरा विधानसभा के प्रमुख मुद्दे की बात करें तो विकास की रफ्तार धीमी है.
आज तक अच्छे सड़क नहीं बनाए गए हैं. कई बड़े कोल डिपो यहां जिसके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. इसके अलावा स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोग पलायन करते है.मुरूम का अवैध उत्खनन होता है, राज्य की पहचान बनने वाले क्रोकोडाइल पार्क का विकास नहीं किया गया और बिजली कटौती होती है.
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