Raipur Activa Wala MLA: एक ऐसा विधायक जिसको एक्टिवा वाला विधायक कहा जाता है. जिसका कोई कार्यालय नहीं है ना उनके साथ कोई काफिला चलता है. सुबह से ही सड़को में चौक चौराहे में दफ्तर लगाते फिरता है. कुर्सी की जगह एक्टिवा की सीट पर ही बैठकर कर आम जनता से मुलाकात करते है.


वह अपनी स्कूटी की डिक्की में सील स्टांप हमेशा लेकर घूमते है. जरूरी फाइल पर दस्तक ऑन द स्पॉट करते है. आज के समय में ये विधायक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष है. लेकिन आज भी स्कूटर की सवारी नहीं छोड़ते. चलिए जानते है इस एक्टिवा वाला विधायक की पूरी कहानी.


रायपुर के एक्टिवा वाला विधायक की कहानी
दरअसल रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप सिंह जुनेजा की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है. MLA साहब आज के समय में भी अपने इस खास अंदाज के लिए राज्य ही नहीं बल्कि देश में जाने पहचाने जाते है. बिन चार दिवारी के दफ्तर में बड़े बड़े राजनेता उनसे मिलने आते है. बॉलीवुड के मशहूर एक्टर राज बब्बर, किसान नेता राकेश टिकैत, कवि साहित्यकार कुमार विश्वास जैसे दिग्गज लोग एक्टिवा वाले विधायक के इस अंदाज के फैन है.


लोगों की शिकायत दूर करने के लिए स्कूटर में घूमते है
पार्षद से विधायक बने कुलदीप जुनेजा अपने इस अंदाज को लेकर कहते है कि पार्षद का क्षेत्र के हर नागरिक के साथ सीधा संबंध रहता है. विधायक बनने के बाद मैंने खुद को चेंज नहीं किया. लोग बोलते थे कि विधायक बनने के बाद स्कूटी में नहीं घूमेगा. रोड़ में नहीं बैठेगा. लेकिन मैं आज भी स्कूटर में घूमता हूं और रोड में बैठता हूं. जनता को नेताओं से तकलीफ रहती है कि बड़े पद में आने के बाद नेता दिखते नहीं है. हम लोग भी यही ज्यादा सुनते थे इसलिए जनता की इस भावना को दूर करने के लिए वैसी ही रहूंगा जैसे पहले रहता था.


रायपुर के कुष्ठ बस्तियों से दशकों पुराना रिश्ता
कुलदीप जुनेजा ने अपने इस अंदाज के पीछे कहानी बताई है कि उनके बड़े भैया बलबीर सिंह जुनेजा रायपुर के मेयर रह चुके है. उनकी राजनीति कम थी सेवा भावना ज्यादा थी. हमेशा जनता की सेवा में लगे रहते थे. रायपुर में जितनी कुष्ठ रोगी बस्ती है उन्होंने ही बसाई है. घर परिवार के सदस्य के समान सेवा करते थे. आज मेरा भी उन बस्तियों में वैसी ही संबंध है जैसे उन्होंने छोड़ के गए है. उनको देखते देखते मैंने भी राजनीति में एंट्री ली. पहली बार पार्षद बना नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष बना और उसके बाद विधायक बना हूं. 


एमएलए ने क्यों नहीं बनाया आज तक दफ्तर? 
कुलदीप सिंह जुनेजा बताते है कि दफ्तर इसलिए नहीं बनाया क्योंकि जनता को मिलने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. कोई भी आदमी सीधा मेरे से बात कर सकता है. रास्ते में कोई मुझे आवाज देते है तो मैं उसके समाधान के लिए सील लगाकर 2 लाइन लिख के दे देता हूं. इस लिए जनता और प्यार मिल रहा है. सड़क के ट्रैफिक सिग्नल के सामने शेड बनाया गया है. पानी बरसात से लोगों को समस्या आती थी इसलिए मैंने ये बनवाया है. लोग गर्मी और बारिश में इधर उधर भागने लगते है.


राजनीति की एंट्री में ही मिली थी असफलता
बता दें कि कुलदीप जुनेजा पहले बार पार्षद चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2000 में पहली बार नगर निगम रायपुर के पार्षद बने इसके बाद 2004 में फिर से पार्षद बने और नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी मिली. 2008 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और चुनाव जीतकर नगर निगम से विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2013 में हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2018 में दूसरी बाद जुनेजा विधायक बने और सरकार ने उन्हें हाउसिंग बोर्ड की भी जिम्मेदारी सौंप दी.


राशन कार्ड वालों को फ्री में मिलता है दवा
कुलदीप जुनेजा एक बड़े ज्वाइंट फैमिली में रहते है. उनके परिवार में 35 लोग एक साथ रहते है. एक बाउंड्री के अंदर सभी परिवार रहते है. कुलदीप जुनेजा घर के पास ही देवेंद्र के नमस्ते चौक में सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक एक्टिवा में घूमते और रोड में लोगों की फरियाद सुनते नजर आते है.उन्होंने देवेंद्र नगर में मुफ्त में दवाई का लंगर बनाया है. इसकी चर्चा देशभर में होती है. क्योंकि केवल बीपीएल राशन कार्ड से ही लोगों को फ्री में दवा मिलती है.


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