Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में बस्तर से ही चुनावी बिगुल क्यों फूंक रही BJP? सामने आई ये वजह, जानें पूरा समीकरण
छत्तीसगढ़ में चुनाव घोषणा के पहले बीजेपी का चुनावी अभियान शुरू हो रहा है. अमित शाह दंतेश्वरी मंदिर से पूजा अर्चना कर बीजेपी की परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करेंगे.
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Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में बीजेपी का आज से चुनावी अभियान परिवर्तन यात्रा(Parivartan yatra) का आगाज होने जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah)नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (Dantewada)जिले से बीजेपी की परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करेंगे. इसके 2 दिन बाद जशपुर (Jashpur)में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा(JP nadda) परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करेंगे.इस परिवर्तन यात्रा से बीजेपी छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का दावा कर रही है. लेकिन बस्तर और सरगुजा संभाग में ही क्यों इस परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की गई. इसके राजनीतिक मायने क्या है?
बस्तर से क्यों शुरू हो रहा बीजेपी का परिवर्तन यात्रा
दरअसल बस्तर और सरगुजा संभाग में मिलाकर कुल 26 विधानसभा सीट है. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां से लेवल एक सीट हो दंतेवाड़ा जीत पाई थी. लेकिन बीजेपी विधायक नक्सली हमले में मौत के बाद वो सीट भी उपचुनाव के बाद कांग्रेस के कब्जे में चली गई. यानी पूरे के पूरे 26 सीट कांग्रेस के कब्जे में है. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बस्तर और सरगुजा संभाग सबसे बड़ी चुनौती है. क्योंकि सत्ता को चाबी इसे ही माना जाता है. इसके अलावा 2019 में बस्तर के एक लोकसभा सीट पर भी बीजेपी को हार मिली थी. इस लिहाज से बीजेपी 2023 के चुनाव के लिए बस्तर संभाग में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
बस्तर और सरगुजा संभाग के आदिवासी सीटों पर बीजेपी की नज़र
सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीट है इसमें से 9 सीट अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इसके अलावा बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीट में से 11 सीट केवल जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर सभी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. यानी दोनों संभाग के आदिवासी आरक्षित सीटों को देखा जाए तो ये आंकड़ा 20 होता है और 6 विधानसभा सीट अनारक्षित कैटेगरी में है. यानी आंकड़े की माने तो आदिवासी वोट बैंक पर कांग्रेस का कब्जा है. जिसने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता की चाबी दी है. वहीं 90 विधानसभा सीट में एसटी सीटों की बात करें तो 29 विधानसभा सीट है. इसमें से रामपुर विधानसभा से बीजेपी के विधायक ननकी राम कंवर है और दूसरी सीट बिंद्रानवागढ़ विधानसभा से डमरूधर पुजारी बीजेपी से विधायक है. बाकी सभी 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
क्या सर्व आदिवासी समाज बढ़ाएगी कांग्रेस की टेंशन ?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बस्तर और सरगुजा संभाग में दोनों ही पार्टी पूरी ताकत झोंक रही है. खासकर बस्तर संभाग की बात करें तो कांग्रेस स्थिति बेहतर है लेकिन कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता अरविंद नेताम के पार्टी से अलग होने के बाद सर्व आदिवासी समाज का नेतृत्व कर रहे है और 2023 विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुके है. इसके बाद कांग्रेस को परेशानी आदिवासी सीटों पर बढ़ी है और बीजेपी इस परिवर्तन यात्रा के जरिए आदिवासियों के करीब जाने की कोशिश में जुटी है. ताकि अपनी स्थिति बेहतर कर सके. इसी तरह सरगुजा संभाग में भी बीजेपी अपनी स्थिति ठीक करने की कोशिश में जुटी है.
छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीट का समीकरण
पिछले 5 साल में छत्तीसगढ़ में 5 उपचुनाव हुए है. इसमें से 3 उपचुनाव केवल बस्तर संभाग में हुए है. तीनों उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा खैरागढ़ और मरवाही पर भी कांग्रेस को जीत मिली है. हालाकि इन 5 सीटों में केवल एक दंतेवाड़ा विधानसभा में बीजेपी के विधायक थे. बाकी 4 में से 2 कांग्रेस और 2 छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक थे. इस आंकड़े के बाद राज्य में कांग्रेस पार्टी 71 विधानसभा सीट के साथ सरकार में है. मुख्य विपक्ष के रूप में बीजेपी 14 सीट के साथ है. लेकिन हालही में एक सीट वैशाली नगर के बीजेपी विधायक के निधन के बाद अब बीजेपी 13 सीट पर है. बहुजन समाज पार्टी 2, जोगी कांग्रेस में केवल रेणु जोगी विधायक है. जोगी कांग्रेस के लोरमी विधायक बीजेपी में शामिल हो गए है. एक बलौदा बाजार के विधायक प्रमोद शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे चुके है.
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