Chhattisgarh Election 2023 News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में चुनावी बिगुल बजने के बाद दोनों शीर्ष पार्टी कांग्रेस और बीजेपी घोषणा पत्र (manifesto) तैयार कर रहr हैं. हालांकि यह कब तक जारी होगा, इस पर दोनों पार्टियों के नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं. दोनों ही दल एक-दूसरे के घोषणा पत्र का इंतजार कर रहे हैं.
यह दोनों ही पार्टी के नेता कुछ नहीं कह रहे हैं. कांग्रेस बीजेपी के घोषणा पत्र का इंतजार कर रही है तो बीजेपी कांग्रेस के घोषणा पत्र का. दूसरी ओर बीते 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने जहां कर्ज माफी और धान बोनस को प्रमुख मुद्दा बनाया था. वहीं बीजेपी की ओर से 15 साल के विकास मॉडल को लेकर ही चुनाव लड़ा गया था. उस दौर में कांग्रेस का कर्ज माफी और धान बोनस का असर हुआ और रायगढ़ जिले के पांचों विधानसभा कांग्रेस की झोली में चली गई.
बीजेपी के लिए भ्रष्टाचार मुख्य मुद्दा
इस बार भी कांग्रेस की ओर से धान खरीदी, बोनस, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा, छत्तीसगढ़ियावाद के साथ ग्रामीण विकास को लेकर चुनावी समर में उतरने की संभावना है. वहीं बीजेपी की ओर से भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया जा सकता है. हालांकि अब तक दोनों की पार्टी की ओर से टिकट घोषणा और जहां घोषित हो गई है, वहां केवल जनसंपर्क तक ही सीमित है.
अभी किसी भी पार्टी की ओर से कोई विशेष मुद्दों पर चर्चा नहीं की जा रही है. अविभाजित मध्यप्रदेश में 1998 में हुए चुनाव के बाद जब छत्तीसगढ़ निर्माण हुआ तो यहां कांग्रेस की सरकार बनी. उस दौर में जो विकास हुआ उसी को लेकर कांग्रेस ने 2003 में चुनाव लड़ा था.
धान बोनस, कर्ज माफी कांग्रेस के लिए फायदेमंद
हालांकि उस समय बदलाव हो गया और बीजेपी की सरकार बनी. तब से 2018 तक बीजेपी की सरकार रही. ऐसे में बीजेपी ने बीते 2018 के चुनाव में अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास मॉडल को ही प्रमुख मुद्दा बनाया था. वहीं कांग्रेस धान बोनस, किसानों का कर्ज माफी, हाफ बिजली बिल जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था. इसका असर हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी.
कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को लेकर चुनावी समर में जाने की तैयारी कर रहा है. वहीं बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाती रही है और इसी मुद्दे को इस बार भी चुनाव में आजमा सकती है. केंद्र की पीएम आवास, उज्जवला योजना, किसान मानधन जैसी योजनाओं को भी प्रमुखता से उठा सकती है.
पीडीएस मॉडल भी रहा बीजेपी का मुद्दा
2018 और उससे पहले हुए चुनावों में बीजेपी की ओर से पीडीएस मॉडल और स्काई योजना को प्रमुखता से उठाया जा रहा था. इस मुद्दे का असर भी देखने को मिला. हालांकि 2018 में यह मुद्दा कुछ ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सका. कांग्रेस ने धान बोनस और कर्ज माफी को जोर-शोर से उठाया था. कांग्रेस और बीजेपी की ओर से घोषणा पत्र पर मंथन करने की बात सामने आ रही है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि घोषणा पत्र में किए गए वादे को ही पार्टियां प्रमुख रुप से मुद्दे बनाती हैं. बीते चुनावों में यह देखा भी गया है.
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