Chhattisgarh Result: बस्तर की 12 सीटों में से आठ पर हारी कांग्रेस, किन मुद्दों ने पलट दिया पासा?
Chhattisgarh Election Results 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को आदिवासी सीटों पर करारी हार की वजह आदिवासियों की कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से नाराजगी भी बताई जा रही है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
Chhattisgarh Assembly Elections Result 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ बीजेपी (BJP) की सरकार बनने के बाद अब कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अन्य विधानसभा सीटों के साथ-साथ बस्तर के 8 सीटों में भी मिली हार की वजह तलाश रही है. 8 में से 7 आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में कांग्रेस को बड़े मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा है. खासकर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) को चित्रकोट विधानसभा से करारी हार मिली है. इन सीटों में मिली हार की वजह आदिवासियों की कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से नाराजगी भी बताई जा रही है. लंबे समय से स्थानीय भर्ती में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन करता आ रहा था.
जानकारों की मानें तो आदिवासी समाज कई मांगों को लेकर आदिवासी बीच सड़कों में आंदोलन करते दिखाई दिये और धर्मांतरण जैसे मुद्दे पर भी मूल आदिवासियों और धर्मांतरित आदिवसियो की नाराजगी देखने को मिली. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि आदिवासियों की नाराजगी की वजह से कांग्रेस को बस्तर के 12 में से 8 सीटों पर हार मिली. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहन मरकाम, संतराम नेताम, चंदन कश्यप ,छविंद्र कर्मा, शंकर धुरवा जैसे बड़े आदिवासी चेहरो को भी अपने विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों की नाराजगी के चलते हार का सामना करना पड़ा है.
दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में विधानसभा चुनाव 2023 में 12 विधानसभा सीटों में से 8 विधानसभा सीट बीजेपी की झोली में आई है. अन्य 4 सीटों में कांग्रेस ने जीत दर्ज किया है, लेकिन इन चार में से दो सीटों में भी जीत का कुछ खास अंतर नहीं है. जिन आदिवासियों को कांग्रेस अपना वोट बैंक मानती थी, उन्हीं आदिवासी सीटों में कांग्रेस को करारी हार मिली है.
बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार श्रीनिवास रथ का कहना है कि कांग्रेस के पिछली 5 साल के सरकार में कई लोक कल्याणकारी योजनाएं तो कांग्रेस ने लाया लेकिन यह योजनाएं धरातल पर नहीं दिखीं. खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस के प्रति आदिवासियों की काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी. चाहे आदिवासियों की स्थानीय मांग को लेकर आंदोलन की बात हो या फिर इन क्षेत्रों में विकास की बात हो. इसको लेकर आदिवासी लंबे समय से स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस सरकार से भी नाराज चल रहे थे. उदाहरण के तौर पर स्थानीय भर्ती में आदिवासी युवाओं को आरक्षण नहीं मिलना इसका सबसे बड़ा खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा है. कांग्रेस के विधायकों के कार्यालय का घेराव और कई मांगों को लेकर बस्तर से राजधानी रायपुर तक आदिवासियों का पैदल मार्च करना हार की वजह बताई जा रही है.
बस्तर में छाया रहा धर्मांतरण का मुद्दा
इसके अलावा बस्तर में धर्मांतरण का मुद्दा भी कांग्रेस के लिए एक हार की वजह बनी है. श्रीनिवास रथ का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकाल में धर्मांतरण का मुद्दा काफी गर्माया हुआ था. आदिवासियों को धर्मांतरण के मामले में कांग्रेस सरकार से जिस तरह की एक्शन लेने की उम्मीद थी उस तरह से कार्रवाई नहीं होना और बढ़ते धर्मांतरण को नहीं रोक पाना साथ ही धर्मांतरण किये परिवार को भी न्याय नहीं दिलवा पाना भी हार की एक वजह मानी जा रही है. नारायणपुर विधानसभा में धर्मांतरण को लेकर हिंसक झड़प हुई. इसके अलावा खुद पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के विधानसभा क्षेत्र में भी शव दफन को लेकर धर्मांतरित आदिवासियों और मूल आदिवासियों के बीच लगातार विवाद बढ़ता रहा.
इसके अलावा अंतागढ़ विधानसभा के पखांजूर एरिया में भी धर्मांतरण का मुद्दा गर्माया रहा, जिस वजह से कांग्रेस को मिली हार की यह भी वजह बताई जा रही है. वहीं सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेस से नाराजगी के चलते ही कई बड़े नेता पार्टी से अलग हुए और खुद की पार्टी का भी गठन किया. हालांकि इन प्रत्याशियों को चुनाव में हाल मिली, लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने से इसका समाज ने स्वागत भी किया है. स्थानीय मुद्दों को लेकर और कई पुरानी मांगों को लेकर कांग्रेस शासनकाल मे कोई सुनवाई नहीं होने के चलते भी कांग्रेस को मिली हार की एक वजह है.
आदिवासियों के नाराजगी पर समीक्षा की जरूरत-बैज
हालांकि इस मामले में पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि पिछले 5 साल के कांग्रेस के कार्यकाल में आदिवासियों के हितों के लिए कई योजनाएं लागू किए गए हैं और इनका क्रियान्वयन भी किया गया. पिछले 5 सालों में आदिवासियों के जीवन में बदलाव भी आया और उनका उत्थान भी हुआ. वनोपज के समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ उनके आर्थिक विकास के लिए भी कांग्रेस सरकार ने कई योजनाएं चलाईं. हालांकि इसके बावजूद आदिवासी सीटों में आखिर कांग्रेस के प्रत्याशियों को क्यों हार का सामना करना पड़ा और कहां चूक हुई है, इसकी समीक्षा जरूर की जाने की बात पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कही है.
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