Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले बीजेपी की राजनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं. पिछले एक महीने में बीजेपी के टॉप लीडरशिप ने छत्तीसगढ़ में दौरा किया है. इसके साथ ही अमित शाह (Amit Shah) लगातार छत्तीसगढ़ की राजनीतिक रणनीतियों को लेकर बैठक कर रहे हैं. इस पर अब छत्तीसगढ़ में सियासत गरमा गई है. कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेताओं को नाकाबिल घोषित करने में लग गई है, तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस को राष्ट्रीय नेताओं के आने से घबराने की बात कह रही है.


अमित शाह की मीटिंग में क्या रणनीति बनी?


एक महीने के भीतर केंद्रीय गृह मंत्री अमित 3 बार छत्तीसगढ़ दौरे पर आ चुके हैं. इसके साथ-साथ पीएम मोदी, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा ने भी छत्तीसगढ़ में आम सभाएं की हैं. इसके अलावा 22 जुलाई रात को हुए अमित शाह की बैठक में भी कई बड़ी रणनीतियां बनाया गई हैं. इसमें प्रमुख रूप से बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने पर रणनीति बनी है. इसके लिए बीजेपी के बड़े नेताओं को छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक भेजा. इसके अलावा जिस तरह पिछले एक महीने में बीजेपी के टॉप लीडरशिप का छत्तीसगढ़ में दौरा हुआ, उसी तरह अब फिर से बड़े प्रोग्राम तैयार करने के लिए कहा गया है. इस दौरान नेता आम नागरिकों से वन-टू-वन बात करेंगे और केंद्र सरकार और राज्य में 15 तक बीजेपी सरकार की उपलब्धियों को बताएंगे. 


'बीजेपी के नेता नाकाबिल और अक्षम हैं'


छत्तीसगढ़ में बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं की सक्रियता पर कांग्रेस सवाल उठा रही है. कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेताओं को बीजेपी के राष्ट्रीय नेता अक्षम और नाकाबिल समझ रही है. इसी कारण हर सप्ताह बैठक लेने के लिए स्वयं अमित शाह को आना पड़ रहा है. शुक्ला ने ये भी कहा कि बीजेपी अपने चुनाव समिति का अध्यक्ष राज्य के बाहर के व्यक्ति को बनाना पड़ रहा है. अमूमन ऐसा होता है कि जिस राज्य में चुनाव होता है उसी राज्य के नेता को चुनाव का बागडोर सौंपा जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ बीजेपी की एक भी नेता इतनी काबिलियत नहीं रखता कि चुनाव समिति का अध्यक्ष हो और चुनावी रणनीति बना पाए. इसलिए अमित शाह खुद यहां की बागडोर संभाले हुए हैं.


'सोनिया-राहुल को सुनना नहीं चाहती जनता'


वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के सरगुजा संभाग के प्रभारी संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी कहीं जाते हैं. इसका मतलब कांग्रेस असक्षम हो गई? इनको केवल और केवल लफ्फाजी करना आता है. संगठन कैसे चलता है? सरकारी कैसे बनती है? कार्यकर्ताओं का क्या महत्व है? यह कभी नहीं जानते. बीजेपी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, कांग्रेस नेता आधारित पार्टी है. कांग्रेस के नेताओं के बंगले पर भीड़ रहती है, कांग्रेस भवन में भीड़ नहीं रहती है. यहां बीजेपी कार्यालय में भीड़ रहती है, व्यक्तिगत वाला विषय नहीं है. हमारे केंद्रीय नेता है वह नहीं आएंगे तो चुनाव के समय कौन आएगा ? अमित शाह को प्रदेश की जनता सुनना चाहती है. लेकिन प्रदेश की जनता राहुल गांधी और सोनिया गांधी को नहीं सुनना चाहती है.


BJP को मिल रहे चुनाव जितने लायक फीडबैक


इसके अलावा संजय श्रीवास्तव ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए दावा किया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में हम पराजित हुए थे.उसी दिन से विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई थी. यह सत्य है कि चुनाव के 3 महीने बाकी है. जो फीडबैक आ रहा है, हम सबके लिए उत्साहजनक है. उसके लिए कार्यकर्ता से लेकर जो नेता है सब लोगों को टास्क दिया जा रहा है. चुनावी मूड में हम सब आ गए है. चुनाव के लिए जो आवश्यकता है होती है. उस दिशा में सब काम प्रारंभ हो गया है. मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि जो रिपोर्ट आ रही है. निश्चित तौर पर हम 2023 में सरकार बनाने जा रहे है. इसमें सबसे बड़ा कारण है जो हमारी पुरानी सरकार ने जो काम किया है और इस भूपेश सरकार की असफलता है. 4 साल में लॉ एंड ऑर्डर की बात हो या भ्रष्टाचार की यह भूपेश सरकार की हार का सबसे बड़ा कारण बनेगा.