Chhattisgarh Election 2023 News: छत्तीसगढ़ का सूरजपुर ज़िला काले हीरे कोयला के भंडार के लिए जाना जाता है. इस ज़िले की भटगांव विधानसभा का चुनावी इतिहास काफ़ी लंबा तो नहीं है लेकिन सरगुजा संभाग के 14 विधानसभा में इसका अपना अलग योगदान है. इस सीट मे अब चार बार विधानसभा चुनाव हुए. इसमें एक बार का उप चुनाव भी शामिल है. चार बार हुए चुनाव में दो बार बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की है तो दो बार कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंचे हैं. मध्य प्रदेश की सरहद को छूने वाले इस विधानसभा में पिछले दो चुनाव से क्षेत्र की जनता ने बाहरी प्रत्याशी को हार का स्वाद चखाया है. वहीं स्थानिय प्रत्याशी पर मतदाताओं ने भरोसा जताया है. ऐसे में इस विधानसभा का चुनावी इतिहास जानना ज़रूरी है.
सूरजपुर ज़िले की पिलखा विधानसभा टूट कर दो विधानसभा बनी थी. जिसमें से भटगांव विधानसभा एक है. इस विधानसभा में 2008 में पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ था. ज़िले की इस सामान्य सीट में हुए पहले चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुक़ाबला था. वैसे तो इस सीट पर पहले चुनाव में कुल 29 प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन बीजेपी को छोड़कर सभी 28 प्रत्याशी की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी. इसमें मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के श्याम लाल जायसवाल भी शामिल थे. 2008 के चुनावी नतीजों पर अगर नज़र डालें तो. इस चुनाव में बीजेपी के रविशंकर त्रिपाठी 17 हज़ार 433 वोट से जीत गए थे. इस जीत के साथ जहां रविशंकर त्रिपाठी पहली बार विधायक चुने गए और इस सीट पर पहले चुनाव में बीजेपी ने यहां से खाता खोला था.
सड़क हादसे में विधायक की मौत और उपचुनाव
क़रीब पौने दो साल तक भटगांव विधानसभा से विधायक रहे रविशंकर त्रिपाठी की अप्रैल 2010 में रायगढ़ ज़िले के घरघोडा के पास सड़क हादसे में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद इस विधानसभा सीट पर उप चुनाव की घोषणा हुई. अक्टूबर 2010 में इस सीट पर हुए उप चुनाव में बीजेपी ने दिवंगत विधायक रवि शंकर त्रिपाठी की धर्मपत्नी रजनी रविशंकर त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाया. दूसरी तरफ़ कांग्रेस ने मौजूदा उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के चाचा यू एस सिंहदेव को अपना प्रत्याशी बनाया था. लेकिन एक ही पंचवर्षीय में हुए दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी की बहुत बुरी हार हुई. सहानुभूति की आंधी में रजनी रविशंकर त्रिपाठी ने कांग्रेस के उमेश्वर शरण सिंहदेव यूएस बाबा तो 35 हज़ार वोटों से हरा दिया. अपने दिवंगत पति की सीट से वो भटगांव की दूसरी विधायक बनकर विधानसभा तक पहुंच गई थीं.
2013 में बाहरी प्रत्याशी को जनता ने नकारा
इस सीट पर तीसरा चुनाव 2013 में हुआ. इस दौरान कांग्रेस ने राजनैतिक समीकरण के साथ स्थानिय प्रत्याशी पारसनाथ सिंह पर दांव खेला. बीजेपी ने सिटिंग एमएलए रजनी रविशंकर त्रिपाठी को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन इस बार दांव उल्टा हो गया. क्योंकि क्षेत्रों में इस बार लोगों का झुकाव स्थानिय प्रत्याशी की ओर था. लिहाज़ा 2013 के चुनाव में कांग्रेस के पारसनाथ पर मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया. 2013 के इस चुनाव में अगर नतीजों की बात करें तो इस चुनाव में 80.64 प्रतिशत के हिसाब से 162189 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. इसमे कांग्रेस के पारस नाथ राजवाडे को 41.52 प्रतिशत वोट शेयर के हिसाब से 67339 वोट मिले. तो वहीं बीजेपी की रजनी रविशंकर त्रिपाठी को 36.98 वोट शेयर के साथ 59971 वोट से संतोष करना पड़ा. इस तरह से कांग्रेस के पारस नाथ ने 7368 वोट से जीत दर्ज की और भटगांव के तीसरे और कांग्रेस के पहले विधायक बनकर सदन तक पहुंचे. ग़ौरतलब है कि इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे. इनको 8163 और चौथे स्थान पर रहे बीएसपी प्रत्याशी नरेंद्र कुमार साहू को 5496 वोट मिले थे.
2018 में कांग्रेस ने जीत दोहराई
पिछले तीन चुनाव में दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की जीत के बाद 2018 के चुनाव में दूसरी जीत दर्ज कर कांग्रेस ने बीजेपी से जीत की बराबरी कर ली. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मौजूदा विधायक पारस नाथ राजवाडे पर फिर दांव खेला. एक बार फिर बाहरी और स्थानीय प्रत्याशी की आंधी में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. साथ ही इस बार कांग्रेस को वोट शेयर भी बढ़ा. इस चुनाव में बीजेपी की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रजनी रविशंकर त्रिपाठी को पारस नाथ सिंह ने 15 हज़ार 734 वोट से हराया था. वोटों की बात करें तो कांग्रेस के पारस नाथ राजवाडे को 74 हज़ार 623 वोट मिले. बीजेपी की रजनी रविशंकर त्रिपाठी को 58 हज़ार 889 वोट मिले. जबकि 2108 के इस विधानसभा चुनाव में सामान्य सीट भटगांव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी कांग्रेस के अलावा 21 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे.