Ambikapur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सत्तारूढ़ कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के विधायक चिंतामणि महाराज (Chintamani Maharaj) ने मंगलवार को बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया. सरगुजा (Surguja) जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में एक समारोह के दौरान बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर (Om Mathur) और प्रदेश इकाई के महामंत्री (संगठन) पवन साय की मौजूदगी में महाराज ने सदस्यता ग्रहण की. 


कांग्रेस के वह तीसरे विधायक हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद बागी तेवर अपनाए हैं. माथुर ने संवाददाताओं से कहा, ''यह चिंतामणि महाराज की ‘घर वापसी’ है. पूर्व में कोई कारण रहा होगा, इसलिए उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी. आज हमें बहुत खुशी है कि क्षेत्र में पार्टी को स्थापित करने वाला हमारा पूर्व कार्यकर्ता पार्टी में वापस लौट आया है. पूरी पार्टी उनका स्वागत करती है.'' चिंतामणि महाराज पहले बीजेपी में थे. 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे.


क्या लोकसभा चुनाव में मिलेगी महाराज को मौका
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी महाराज को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी, इस पर माथुर ने कहा कि इसके लिए इंतजार करें. महाराज वर्तमान में बलरामपुर जिले की सामरी सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस ने इस बार विजय पैकरा को चुनाव मैदान में उतारा है. बीजेपी ने इस सीट से उधेश्वरी पैकरा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो बलरामपुर जिला पंचायत की सदस्य हैं. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लुंड्रा सीट से 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक चुने गए थे. 


2018 में सामरी से महाराज ने लड़ा था चुनाव
वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने महाराज को  सामरी सीट से मैदान में उतारा था जहां उन्होंने बीजेपी के सिद्धनाथ पैकरा को 21,923 मतों के अंतर से हराया था. पिछले सप्ताह बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने सामरी क्षेत्र में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान महाराज से मुलाकात की थी. बैठक के बाद महाराज ने संवाददाताओं से कहा था कि यदि उन्हें अंबिकापुर सीट (कांग्रेस के उम्मीदवार और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव के खिलाफ) से मैदान में उतारा जाता है तो वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं.


महाराज ने लोकसभा चुनाव को लेकर किया यह दावा
महाराज ने यह भी कहा था कि बीजेपी उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने अंबिकापुर से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की शर्त रखी है. अंबिकापुर सीट से बीजेपी ने नए चेहरे राजेश अग्रवाल को मैदान में उतारा है. महाराज प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और संत स्वर्गीय रामेश्वर गहिरा गुरु के पुत्र हैं. गहिरा गुरु का उत्तर छत्तीसगढ़ में विशेषकर आदिवासियों के बीच काफी प्रभाव था. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से दो अन्य विधायकों-अनूप नाग और किस्मत लाल नंद ने भी बागी तेवर अपनाए हैं.


निष्कासित होने के बाद इस पार्टी में शामिल हुए किस्मत लाल नंद
नाग के अंतागढ़ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. वहीं, नंद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) में शामिल हो गए हैं और अपनी मौजूदा सीट सरायपाली से चुनाव लड़ रहे हैं. राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा.


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