Chhattisgarh Assembly Elections 2023: छत्तीसगढ़ में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जनता अपने नेताओं के बारे में जानने के लिए काफी जिज्ञासु रहती है. लोगों के मन ये सवाल हमेशा उठता है कि हमारे विधायक कितने पढ़े लिखे हैं और कितने अपराधिक मामले से जुड़े हुए विधायक हैं. नेताओं के छवि पर हमेशा जनता पैनी नजर गड़ाए रहती है. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले हम आपको बताते है कि आपके नेता कितने पढ़े लिखे हैं और कितने अपराधिक मामलों से जुड़े हुए हैं.
दरअसल, 2013 के विधानसभा चुनाव में जीते 14 नेताओं पर क्रिमिनल केस दर्ज थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में जीते 21 विधायक के नाम पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. 2013 और 2018 के 90 विधायकों की लिस्ट को देखा जाए तो सबसे ज्यादा क्रिमिनल केस वाले विधायक कांग्रेसी विधायक जयसिंह अग्रवाल रहे हैं. 2013 में उनके खिलाफ आठ केस थे. 2018 में बढ़कर 12 हो गए, लेकिन अच्छी बात ये है कि छत्तीसगढ़ विधानलभा में पढ़े-लिखे विधायकों की संख्या भा तेजी से बढ़ भी रही है. ये जानकारी विधायक प्रत्याशियों द्वारा खुद नामांकन फॉर्म में दर्ज जानकारी के अनुसार है.
छत्तीसगढ़ में ये हैं क्रिमिनल केस वाले विधायक
छत्तीसगढ़ के 21 विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. इसमें से सबसे ज्यादा 18 विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं, जिनके नाम पर क्रिमिलन केस हैं. वहीं तीन बीजेपी विधायकों का नाम भी इसमें शामिल है. वहीं सबसे ज्यादा क्रिमिनल केस मामले में रायपुर पश्चिम के विधायक विकास उपाध्याय और कोरबा के विधायक जयसिंह अग्रवाल के नाम पर है. इन दोनों के नाम पर 12 -12 क्रिमिनल केस दर्ज हैं. इसी तरह कांग्रेस विधायक आशीष छाबड़ा 10, देवेंद्र यादव नौ, भुवनेश्वर सिंह बघेल दो, सीएम भूपेश बघेल दो, विनोद चंद्राकर दो, सत्यनारायण शर्मा दो, रेखचंद जैन दो, संत राम नेताम दो, छाननी चंदू साहू दो और शैलेश पांडेय पर दो केस दर्ज हैं . वहीं लालजीत सिंह राठिया एक, द्वारिकाधीश यादव एक, बृहस्पत सिंह एक, अमरजीत भगत एक,मोहन मारकम एक, विक्रम मंडावी के खिलाफ एक क्रिमिनल केस दर्ज है. बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल, ननकी राम कंवर और शिव रतन शर्मा के खिलाफ भी एक-एक क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
ये है पांचवी-आठवीं विधायक
बस्तर संभाग के आदिवासी नेता कवासी लखमा राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं, लेकिन पढ़ाई के मामले में वो जीरो हैं. वो राज्य सरकार में मंत्री है. हालाकिं अब साक्षर हो गए हैं पढ़ना और लिखना आ जाता है. वहीं पांचवी पास विधायकों की बात करें तो बीजेपी विधायक डमरूधर पुजारी केवल पांचवी पास हैं. इसी तरह कांग्रेस के रामानुजगंज विधायक बृहस्प्त सिंह, पत्थलगांव विधानसभा रामपुकार सिंह और लैलूंगा विधानसभा चक्रधर सिदार भी पांचवी पास विधायक हैं. इसके अलावा आठवीं पास विधायकों की बात करें तो सारंगढ़ से उत्तरी जांगड़े, चंद्रपुर से रामकुमार यादव, पाली तनखार से मोहित राम केरकेट्टा और सामरी से चिंतामणी महराज आठवीं पास हैं.
90 में से केवल 34 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट
वहीं पूरे 90 विधानसभा सीटों में पढ़े लिखे विधायकों की बात करें तो केवल 34 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 12 विधायक ग्रेजुएट हैं. 13 विधायक प्रोफेशनल कोर्स में ग्रेजुएट हैं. 15 विधायक 12वीं पास है. तीन विधायक 10वीं पास हैं. चार विधायक आठवीं पास हैं. चार विधायक पांचवी पास हैं. इसके अलावा डॉ चरणदास महंत डॉक्ट्रेट्ड हैं. इसी साल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी डॉक्ट्रेट्ड की उपाधि मिल चुकी है. यानी पढ़े लिखे विधायकों की संख्या पिछले विधानसभा चुनाव से इस बार बढ़ी है. क्योंकि 2013 विधानसभा चुनाव में 22 विधायक प्रोफेशनल कोर्स से ग्रेजुएट थे. 30 पोस्ट ग्रेजुएट विधायक थे और 36 विधायकों में पांचवी, आठवीं और 12वीं पास विधायक थे. गौरतलब है कि ये सभी क्रिमिनल केस नेताओं द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान अपने नामांकन फॉर्म के साथ निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी है.