Chhattisgarh  Election 2023 News: छत्तीसगढ़ में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. हालांकि चुनावों की तारीखों का एलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश की सभी सियासी जमातों ने जोरशोर से तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में बीजेपी ने चुनाव से लगभग तीन माह पहले ही 21 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. माना जा रहा है कि इन 21 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी कमजोर है, इसलिए चुनावों से पहले बेहतर तैयारी और परिणामों के लिए पार्टी ने तीन महीने पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिससे प्रत्याशियी अभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर दें.


बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जिन 21 सीटों पर उम्मीदवार के नामों पर मुहर लगा दी है, उन्हीं में से एक खुज्जी विधानसभा सीट भी है. खुज्जी विधानसभा सीट से बीजेपी ने गीता घासी साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर पिछले 15 सालों से कांग्रेस का कब्जा रहा है. खुज्जी विधानसभा सीट पर पिछली बार 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कामयाबी हासिल हुई थी. उसके बाद बीजेपी ये कामयाबी नहीं दोहरा पाई है. वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस विधायक छन्नी साहू हैं. जिन्होंने 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हीरेंद्र कुमार साहू को लगभग 27 हजार वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. 


गीता घासी साहू वर्तमान हैं जिला पंचायत अध्यक्ष


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए खुज्जी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने चुनाव से लगभग 3 महीने पहले गीता घासी साहू को प्रत्याशी बनाया है. गीता घासी साहू वर्तमान में अभी राजनांदगांव जिला पंचायत की अध्यक्ष है. उनके पति भी बीजेपी के सक्रिय नेता हैं. गीता घासी साहू की राजनीति सफर की बात की जाए तो उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं है, उन्होंने करीब तीन साल पहले अपने रजीनितक करियर की शुरुआत की है. हालांकि इन तीन सालों में गीता घासी साहू ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन, धरना प्रदर्शन अन्य गतिविधियों में सक्रिय रही है. शायद यही वजह है कि पार्टी हाईकमान ने खुज्जी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के तौर पर गीता घासी साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है. 


खुज्जी से 4 में से 3 चुनाव में कांग्रेस को मिली है कामयाबी


अब बात करते हैं खुज्जी विधानसभा क्षेत्र पर हार जीत के आंकड़ों की. वर्तमान में खुज्जी विधानसभा सामान्य सीट है. इस सीट पर 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के उम्मीदवार रजिंदर भाटिया थे और कांग्रेस से भोलाराम साहू को उम्मीदवार बनाया था. 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रजिंदर भाटिया ने कांग्रेस उम्मीदवार भोलाराम साहू को लगभग 11 सौ वोटों से हराकर जीत दर्ज किया था.


इसके बाद प्रदेश में हुए तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी को कभी कामयाबी नहीं मिली है. साल 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर भोलाराम साहू को मैदान में उतारा था, जहां उनके खिलाफ बीजेपी ने जमुना देवी को अपना उम्मीदवार बनाय था. इस चुनाव में भोलाराम साहू ने बीजेपी उम्मीदवार जमुना देवी को लगभग 16 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. 2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने भोलाराम साहू को टिकट दिया था, वहीं बीजेपी ने इस सीट से टिकट के दावेदारों में शामिल और 2003 में विधायक रहे रजिंदर भाटिया को बीजेपी ने नजरअंदाज कर दिया. जिससे रजिंदर भाटिया ने बीजेपी से बगावत करके निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू ने लगभग 8600 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी और इस चुनाव में बीजेपी  तीसरे नंबर पर थी.


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