Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ का जगदलपुर विधानसभा बस्तर संभाग के 7 जिलों का मुख्यालय होने के साथ संभाग के 12 सीटों में से एकमात्र सामान्य सीट है. इस वजह से हर विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें जगदलपुर विधानसभा की सीट में टिकी रहती है. शहरी क्षेत्र होने के कारण यहां BJP -कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर होती है. और सबसे अधिक प्रत्याशी भी इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं. खास बात यह है कि जगदलपुर संभाग मुख्यालय होने की वजह से यहां संभाग के सभी विभागों के हेड ऑफिस मौजूद हैं. इस वजह से इस सीट में चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी का अलग ही दबदबा होता है.
वर्तमान में जगदलपुर विधानसभा कांग्रेस के कब्जे में है और इस सीट से विधायक रेखचंद जैन है. कांग्रेस सरकार इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दोबारा चुनाव जीतकर विधायक बने इसके लिए चुनाव के ठीक 6 महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि इस सीट से चुनाव में दावेदारी के लिए BJP के भी लोग पीछे नहीं है. BJP के 10 से अधिक लोग टिकट के लिए दावेदारी कर रहे है. और अपना भाग्य आजमाने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा शुरू कर दिए है. साथ ही लोगों के हर समस्या का निवारण करने के लिए उनके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. इस बार के चुनाव में BJP- कांग्रेस के साथ ही छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और आप पार्टी भी संभाग के एकमात्र सामान्य सीट में चुनाव में दावेदारी के लिए तैयारी में जुट गई है....
क्या हैं राजनीतिक समीकरण?
जगदलपुर विधानसभा साल 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले तक आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट रहा है. और यहां बीजेपी ने 3 बार जीत का परचम लहराया है. बस्तर के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता बताते हैं कि 2008 के चुनाव में जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र को सामान्य सीट किया गया. इसके पीछे वजह यह रही कि इस विधानसभा में निकाले गए जानकारी के मुताबिक 65% सामान्य वर्ग के लोग और 35% आदिवासियो की जनसंख्या है. जिस वजह से इसे 2008 के विधानसभा चुनाव में सामान्य सीट किया गया और कांग्रेस से रेखचंद जैन प्रत्याशी बनाये गए और BJP से संतोष बाफना चुनावी मैदान में उतरे.
BJP के प्रत्याशी संतोष बाफना ने करीब 17 हजार मतों के अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशी को हराया. उसके बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जगदलपुर विधानसभा सीट से BJP ने एक बार फिर संतोष बाफना को टिकट दिया और इस बार कांग्रेस में फेरबदल करते हुए जगदलपुर विधानसभा के जमावड़ा गांव में रहने वाले श्यामू कश्यप को कांग्रेस से टिकट दिया गया.
हालांकि माना जा रहा था कि यह चुनाव कांटे की टक्कर की होगी. लेकिन संतोष बाफना ने कांग्रेस के प्रत्याशी सामू कश्यप को आसानी से चुनाव हरा दिया और साल 2003 से 2018 तक तीन बार के चुनाव में इस सीट में BJP का ही दबदबा रहा. लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से BJP के संतोष बाफना को टिकट दिया गया और कांग्रेस से रेखचंद जैन को मौका दिया गया. लेकिन इस चुनाव में रेखचंद जैन ने संतोष बाफना को भारी मतों के अंतर से हराया. हालांकि इस हार के पीछे BJP की एंटी कंबेसी भी एक वजह मानी जाती है.
विधानसभा का इतिहास
जगदलपुर विधानसभा में लगभग 1 लाख 93 हजार 167 मतदाता हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र मिलाकर मतदाता की सूची हर वर्ष थोड़ी बढ़ती जरूर है. हालांकि जगदलपुर बीजेपी का गढ़ रहा है छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जगदलपुर विधानसभा में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विधायक डॉ. सुभाउ राम कश्यप चुने गए थे. हालांकि पहले विधायक डॉ शुभाऊ राम कश्यप के समय में यह सीट आदिवसियो के लिए आरक्षित था. 2008 में अनारक्षित सीट होने से जगदलपुर विधानसभा में संतोष बाफना दो बार विधायक बने.
वहीं 2018 में जनता ने कांग्रेस के विधायक रेखचंद जैन को चुनकर सीट पर बिठाया. 2018 विधानसभा चुनाव में संतोष बाफना को 49 हजार 116 वोट मिले थे. वही कांग्रेस के रेखचंद जैन को 76 हजार 556 वोट मिले थे.2018 में इस विधानसभा की वोटिंग प्रतिशत 53% रही. जिसमे कांग्रेस के रेखचंद जैन ने 27 हजार 440 वोटों के अंतराल से जीत हासिल की थी. मनीष गुप्ता का कहना है कि जगदलपुर विधानसभा में जातिगत समीकरण नजर नही आती है. 2018 विधानसभा में कुल 21 प्रत्याशियों ने अपनी किसमत आजमायी थी. लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ सकती है. और इसके पीछे वजह यह है कि पूरे 12 विधानसभा सीट में यह एकलौता सामान्य सीट है. इसके अलावा इस विधानसभा सीट में साक्षरता का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा है.
बस्तर संभाग का मुख्यालय होने की वजह से यहां नगर निगम. विश्वविद्यालय. आईजी ऑफिस और निजी और सरकारी स्कूलों की संख्या ज्यादा है वही जगदलपुर में ही सँभाग का एकमात्र सर्व सुविधा युक्त सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल मौजूद है. वहीँ जगदलपुर विधानसभा में सबसे बड़ा उधोग एनएमडीसी नगरनार स्टील प्लांट है. इस विधानसभा का मुख्य आकर्षण का केंद्र दंतेश्वरी मंदिर है जो बस्तर की कुल देवी का मंदिर है. प्रदेश का सबसे बड़ा तालाब दलपत सागर इसी विधानसभा में मौजूद है.
क्या हैं स्थानीय मुद्दे-
वहीं स्थानीय मुद्दे की बात की जाए तो जगदलपुर विधानसभा में एकमात्र नगर निगम होने की वजह से इसके 48 वार्ड में पानी सड़क और साफ सफाई की सबसे बड़ी समस्या है. इसके अलावा ऐतिहासिक दलपत सागर में सफाई को लेकर लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन जलकुंभी के वजह से हमेशा से ही दलपत सागर विवादों में रहा है. जगदलपुर विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा दलपत सागर का ही रहता है. हालांकि कांग्रेस के कार्यकाल में जरूर दलपत सागर का सौदर्यकरण तो हुआ है लेकिन इस तालाब से जलकुंभी हटा पाने में विधायक नाकाम रहे.
वहीं इसी विधानसभा के नगरनार में एनएमडीसी स्टील प्लांट में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाना भी सबसे अहम मुद्दा है. दरअसल स्थानीय लोगों को उम्मीद जगी थी कि इस प्लांट में शैक्षणिक योग्यता के आधार पर स्थानीय युवाओं को नौकरी मिल सकेगी लेकिन इस प्लांट में अब तक नौकरी नहीं मिलने से यह भी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. बेरोजगारी के अलावा लगातार भू माफियाओं के द्वारा इस विधानसभा क्षेत्र में जमीनों का कब्जा करना सबसे बड़ी समस्या और स्थानीय मुद्दा है. यही नहीं खेल मैदानों में लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी गुणवत्ता विहीन मैदान बनने से यहां के युवाओं में भी नाराजगी है और यह भी एक बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा शहर के निचली बस्तियों में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाना. और पिछले 3 सालों से अमृत मिशन योजना का पूरा नहीं हो पाना भी प्रमुख मुद्दों में से एक है..
विधानसभा से जुड़े आंकड़े
जगदलपुर विधानसभा के अंतर्गत
निगम क्षेत्र में मतदान केंद्र-98
ग्रामीण क्षेत्र में मतदान केंद्र-147
कुल मतदान केंद्र - 245 है..
निगम क्षेत्र में महिला मतदाता-47546 तृतीय लिंग-28
पुरुष मतदाता- 43548
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ग्रामीण क्षेत्र में महिला मतदाता-52450
पुरुष मतदाता- 49595
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जातिगत समीकरण
सामान्य - 65%
आदिवासी - 35 %
65% सामान्य होने की वजह से ही बस्तर संभाग का इकलौता सीट जगदलपुर विधानसभा सामान्य सीट है..
राजनीतिक इतिहास
राजनीतिक इतिहास में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन होने के बाद और 2003 के चुनाव के बाद करीब तीन कार्यकाल तक BJP का ही दबदबा रहा. 2003 में BJP के प्रत्याशी डॉक्टर सुभाउराम कश्यप ने चुनाव जीता जिसके बाद से लगातार दो बार BJP के ही प्रत्याशी संतोष बाफना सीट से चुनाव जीत कर आए. लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रेखचंद जैन भारी मतों के अंतर से संतोष बाफना को हराया. इस बार के विधानसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस दोनों पार्टी के दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी है. कांग्रेस से करीब 10 नेता दावेदारी कर रहे हैं. तो वहीं BJP से भी 10 से अधिक BJPई इस सीट से दावेदारी करने को तैयार हैं. हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है...