Chhattisgarh Assembly Elections 2023: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. बीजेपी (BJP),कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की कर रही हैं, लेकिन आज हम आपको उस विधानसभा सीट का समीकरण बताएंगे, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरे 90 सीटों में सबसे कम अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था.
दरअसल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 77 किलोमीटर दूर धमतरी (Dhamtari) जिले की धमतरी विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ की राजनीति और इतिहास में अहम रही है. 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूरे प्रदेश में करारी हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने सत्ता गंवाई और 15 सीटों पर अटक गई. इसी में से एक धमतरी सीट पर बीजेपी की जीत हुई, लेकिन हार जीत का फैसला बेहद कम मार्जिन 464 वोट से हुआ. बीजेपी को 36.64 और कांग्रेस को 36.37 फीसदी वोट मिले. इसलिए 2018 में धमतरी विधानसभा सीट में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी.
2018 विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या था
धमतरी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 9 हजार 652 है. इसमें से 1 लाख 72 हजार 482 मतदाताओं ने मतदान किया, जोकि 82.27 फीसदी है. बीजेपी प्रत्याशी रंजना दीपेंद्र साहू को 63 हजार 198 वोट मिले, यानी 36.64 फीसदी वोट शेयर. वहीं कांग्रेस के गुरमुख सिंह होरा को 62 हजार 734 वोट मिले. यानी 36.37 फीसदी वोट शेयर. बीजेपी और कांग्रेस के बीच हार जीत का मार्जिन केवल 464 वोट का रहा. दरअसल, इस हार जीत के मर्जिन को निर्दलीय प्रत्याशी आनंद पवार ने घटाया. पवार को 29 हजार 163 वोट मिले. यानी उनका वोट शेयर 16.91 रहा. इन आंकड़ों को देखने समझने पर ये साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि धमतरी विधानसभा सीट इस बार काफी दिलचस्प रहने वाली है.
पांच चुनावों कांग्रेस तीन बार जीती
धमतरी विधानसभा कांग्रेस के पक्ष में रहा है. 1998 से 2018 तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में से तीन बार यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की और दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की. इस दौरान कांग्रेस की तरफ से गुरमुख सिंह होरा दो बार विधायक रहे. वहीं बीजेपी यहां से लगातार अपने प्रत्याशी बदलती रही है. 1998 के अविभाजित छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस की जीत हुई थी. वहीं राज्य गठन के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2003 में बीजेपी ने धमतरी विधानसभा पर कब्जा जमाया.
ओबीसी वोट बैंक का दबदबा
इसके बाद लगातार गुरमुख सिंह होरा ने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में गुरमुख सिंह होरा केवल 464 वोट से हार गए. धमतरी विधानसभा में ओबीसी वोट बैंक का दबदबा है. खासकर साहू वोटर धमतरी में हार जीत का फैसला करते हैं, लेकिन पिछले पांच साल में विकास के लिए धमतरी तरसता रहा है. इसलिए विकास का मुद्दा इस क्षेत्र में बड़ा है. क्योंकि धमतरी खेती किसानी पर निर्भर रहने वाला विधानसभा क्षेत्र है. वहीं जातिगत समीकरण की बात करें तो धमतरी का इतिहास इसको नकारता है. क्योंकि गुरमुख सिंह होरा इस क्षेत्र में दो बार विधायक रह चुके हैं.
धमतरी विधानसभा का इतिहास
बीजेपी ने इससे पहले भी साहू प्रत्याशी को मैदान में उतरा था, लेकिन जीत नहीं पाई थी. वहीं 2018 में बीजेपी की प्रत्याशी रंजना दीपेंद्र साहू को जीत मिली थी. धमतरी विधानसभा का इतिहास आजादी की लड़ाई और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है. क्योंकि 1920 में इसी क्षेत्र के कंडेल गांव में किसानों ने अंग्रेजों के खिलाफ कंडेल सत्याग्रह किया था. इसमें शामिल होने के लिए महात्मा गांधी ने रायपुर से कंडेल तक पदयात्रा की थी. तब अंग्रेजों ने किसानों पर लगाए पानी चोरी का आरोप वापस लिया था. उसी समय महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी. इसलिए धमतरी क्षेत्र को स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ कहा जाता है.
इसी इलाके से छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े नेताओं की राजनीति में सक्रियता रही है. इसमें बाबू छोटे लाला श्रीवास्तव और पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ का देश में प्रतिनिधित्व किया. सुंदरलाल शर्मा ने ही महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ दौरे का आयोजन किया था. महात्मा गांधी ने पंडित सुंदरलाल शर्मा को अपना गुरु बताया. इसके बाद शर्मा को छत्तीसगढ़ का गांधी कहा जाने लगा.