Chhattisgarh  Elections 2023: छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर में बसा सरगुजा संभाग की मनेन्द्रगढ़ सीट कई मायनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है. मनेन्द्रगढ़ सीट पर आजादी के बाद पहली बार 1951 में चुनाव हुआ. पहली जीत के साथ कई साल तक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में रही. पहले चुनाव के 40 साल बाद इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. चूंकि पहले मध्यप्रदेश का हिस्सा था. इसलिए अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में इस सीट पर 11 बार विधानसभा चुनाव हुआ था. और छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट पर अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट पर कांग्रेस की बादशाहत कम हो गयी है.


2003 में जब मनेन्द्रगढ़ सीट से अलग होकर सोनहत भरतपुर विधानसभा सीट बनी . तब 2008 में परिसीमन के बाद मनेन्द्रगढ़ सीट सामान्य सीट हो गई. उसके पहले मनेन्द्रगढ विधानसभा आरक्षित वर्ग के लिए रिजर्व थी. अगर मतदाताओं की बात करें तो फिलहाल मनेन्द्रगढ़ सीट मे 1 लाख 32 हजार 783 मतदाता हैं. इमने 68 हज़ार 106 पुरुष मतदाता और 64 हज़ार 675 महिला मतदाता हैं. जिसमें एक हज़ार के क़रीब दिव्यांग मतदाता और दो थर्ड डेंजरस के भी शामिल हैं.


छत्तीसगढ़ बनने के पहले मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में 11 बार विधानसभा के चुनाव हुए थे. जबकि छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब तक चार चुनाव हो चुके थे. सीट बनने के बाद इस विधानसभा में अब तक कुल 15 बार विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं. मध्यप्रदेश में रहते हुए इस विधानसभा में हुए 11 विधानसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. जबकि एक बार बीजेपी ने और एक बार जय प्रकाश नारायण की पार्टी जेएनपी ने जीत दर्ज की थी . 1951 में इस सीट पर जब पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ तो इस सीट से पहले विधायक कांग्रेस के प्रीतम कुर्रे ने जीत दर्ज की थी .


बीजेपी ने पहली बार 1990 में जीत दर्ज की थी
जिसके बाद 1951 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा . जबकि 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर जयप्रकाश नारायण की पार्टी जेएनपी के राम सिंह ने पहली बार कांग्रेस को इस सीट पर हराया था. जबकि मध्यप्रदेश के जमाने में इस सीट पर बीजेपी ने पहली बार 1990 में जीत दर्ज की थी. उस समय बीजेपी के चंद्र प्रकाश सिंह ने क़रीब साढ़े उन्नीस हज़ार वोट से कांग्रेस के विजय सिंह को हराया था. लेकिन अगले ही चुनाव में बीजेपी यहाँ से चुनाव हार गई और 1993 और 1998 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.


2008 और 2013 में बीजेपी झोली में गई
सन 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ नए राज्य का गठन हुआ तो यहां के राजनीतिक समीकरण भी बदल गए. राज्य बनने के बाद चार चुनाव में दो बार बीजेपी ने और दो बार कांग्रेस ने मनेन्द्रगढ़ सीट पर जीत दर्ज की. राज्य बनने के बाद 2003 में पहली बार इस सीट पर जब आम चुनाव हुए. पहली ही बार में कांग्रेस के गुलाब सिंह ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2008 और 2013 में जब पहली बार सामान्य हुई इस सीट पर चुनाव हुआ. तो दोनों ही बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया. 2008 में बीजेपी के दीपक पटेल और और 2013 में बीजेपी के ही श्याम बिहारी जायसवाल ने ये सीट बीजेपी की झोली में डाल दी.


बीजेपी और कांग्रेस दो-दो बार जीत दर्ज की
लेकिन 2018 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के डॉ विनय जायसवाल ने जीत दर्ज की और बीजेपी के सिटिंग एमएलए श्याम बिहारी जायसवाल को हार का सामना करना पड़ा. बहरहाल छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस के लिए सुरक्षित माने जाने वाली मनेन्द्रगढ़ सीट पर कांग्रेस का एकतरफा राज समाप्त हुआ. छत्तीसगढ़ बनने के बाद हुए चार चुनाव में दो बार बीजेपी ने तो दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की.


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