Chhattisgarh Elections 2023: राज्यसभा (Rajyasabha) की कार्यवाही में बीते मंगलवार को छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए बड़ा फैसला हुआ है. 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल कर लिया गया है.जिन 12 जातियों को सूची में लाने के लिए यह संशोधन प्रस्ताव लाया गया है, उनमें से 10 जातियाँ मात्रात्मक त्रुटियों के कारण संविधान से मिलने वाले अधिकारों और लाभ से लंबे समय से वंचित थे. अब इनको एसटी सूची में शामिल करने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में क्रेडिट लेने का खेल शुरू हो गया है.
12 समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने पर सियासत
दरअसल राज्यसभा ने संविधान आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी. इसके पहले पिछले साल दिसम्बर में लोकसभा ने इस विधेयक को पारित किया था. इससे राज्य के करीब 10 लाख आदिवासियों को लाभ मिलेगा लेकिन इसपर अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी ये दावा कह रही है कि उनकी पहल से ही इन 12 समुदायों को एसटी सूची में जगह मिली है. इसपर सियासत भी तेज हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए क्रेडिट लेने का आरोप लगाया है.
बीजेपी ने सीएम भूपेश बघेल पर क्रेडिट लेने का लगाया आरोप
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सीएम भूपेश बघेल को ट्वीट कर कहा कि आपको शायद आपके राजनितिक पूर्वजों और आपके वर्तमान सांसदों ने उचित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. जिस वजह से आपको ये क्रेडिट झपटने की तेजी दिखानी पड़ रही है.10 साल मनमोहन सिंह जी की सरकार रही छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की आवाज नहीं सुन पाए.
आज जब संसद में नरेंद्र मोदी की सरकार छत्तीसगढ़ के 12 जनजातियों को संवैधानिक अधिकार दे रही थी, तब कांग्रेसी सांसद सदन से क्यों नदारद हो गए थे? क्रेडिट लेने की होड़ मे भूतकाल मे की गयी राजनीतिक प्रताड़ना याद रखनी चाहिए. इसके साथ अरुण साव ने सुझाव देते हुए कहा कि सिलगेर के आदिवासियों के न्याय के लिए प्रयास करिए बेहतर होगा.
सीएम भूपेश बघेल ने किया पहल करने का दावा
वहीं राज्यसभा में हुए फैसले पर आदिवासी वर्ग के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर आभार प्रकट किया है. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही. इस संबंध में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर मात्रात्मक त्रुटि के कारण आदिवासी समुदाय को हो रही दिक्कतों से अवगत कराया गया और उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया गया था.
इसके आगे सीएम ने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग को विभिन्न समाजों के माध्यम से जो ज्ञापन मिले, आयोग द्वारा उनकी सुनवाई कर ट्राईबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के माध्यम से अध्ययन के बाद प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा गया. राज्य सरकार की इस पहल पर जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिली है.
विधानसभा चुनाव में क्यों खास है आदिवासी?
गौरतलब है कि 2021 की जनगणना के अनुसार राज्य में 30 प्रतिशत से अधिक आदिवासी जनसंख्या है. यानी 78 लाख से अधिक आदिवासी छत्तीसगढ़ में रहते है. इस लिए राज्य को ट्राइबल स्टेट भी कहा जाता है. इसके साथ राज्य के 29 विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों में आदिवासियों को साधने की होड़ मचना लाजमी है. इसके अलावा अब 12 समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने के बाद राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या और प्रतिशत दोनों बढ़ जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक आदिवासियों की जनसंख्या अब 90 लाख के आस पास हो सकता है.