Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में आरक्षण मुद्दे का अब तक नहीं निकला हल, इस साल होने वाले हैं विधानसभा चुनाव
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन के आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आरक्षण मुद्दे को लेकर उनसे मुलाकात की थी. अब तक राज्य में आरक्षण का मुद्दा नहीं सुलझा है.
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Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं. चुनाव की तारीख नजदीक भी आ रही है. यहां साल के आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनााव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल के नेता तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा ज्वलन मुद्दा है जो अब तक नहीं सुलझा तो वो है आरक्षण.
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक पारित तो कर दिया है. लेकिन यह विधेयक राजभवन में जाकर अटक गया है. अब तक राज्यपाल ने इस विधेयक पर साइन नहीं किया है. वहीं छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन (Biswabhusan Harichandan) के आने के बाद एक बार फिर सरकार के मंत्री और विधायक आरक्षण विधेयक को मंजूरी देने की गुहार लिए राजभवन पहुंचे थे.
नए राज्यपाल से भी नहीं मिला आश्वासन
नए राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा था " नए राज्यपाल से मुलाकात तो हुई मगर जैसी उम्मीद थी वैसा आश्वासन नहीं मिला है. उनकी बातचीत से लगा कि वो राजनीतिक के दबाव में हैं. राज्यपाल यही कहते रहे कि देखते हैं. समीक्षा कर रहे हैं. मगर कुछ ठोस बात नहीं हुई. हम गए तो राज्यपाल ने हमें बैठाया हम सभी की बातें तो सुनी मगर आश्वासन नहीं दिया."
सीएम बघेल भी नए राज्यपाल से कर चुके हैं मुलाकात
छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन के आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आरक्षण मुद्दे को लेकर उनसे मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद सीएम बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था "मैंने राज्यपाल से कहा विधानसभा से आरक्षण विधेयक पारित हो चुका है. आपने नया पदभार ग्रहण किया है. इसलिए इसे आपके संज्ञान में लाना जरूरी है. मैने उनसे आग्रह किया है कि इसमें त्वरित निर्णय हो ताकि प्रदेश के हित में काम हो सके.
छात्र-छात्राओं को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए." सीएम बघेल ने यह भी कहा था कि मैनें नए राज्यपाल को बताया है कि प्रदेश में सरकारी भर्ती रुकी है. सब का उद्देश्य जनता का हित है. युवा पीढ़ी का भविष्य प्रभावित हो रहा है. इसलिए इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर फैसला करें
बता दें कि 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे. तब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 फीसदी हो गया. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किया था. इसके बाद से ही सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.
चुनाव पर पड़ेगा असर
छत्तीसगढ़ में इस साल आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव होने है. जैसे - जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. लेकिन अब तक आरक्षण के मुद्दे का कोई हल नहीं निकल पाया है. जल्दी ही अगर आरक्षण पर राजभवन की ओर से कोई फैसला नहीं आता है, तो इसका कितना असर चुनाव पर पड़ेगा. ये तो चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा. फिलहाल अभी छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दे पर टकराव जारी है. बीच-बीच में राजनीतिक पार्टियां आरक्षण पर बयान देती रहती हैं.
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