Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का सीधा मुकबला कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच है. लेकिन इस बार चुनाव में दो राष्ट्रीय पार्टियों और अन्य क्षेत्रीय दलों ने इनकी परेशानी बढ़ा दी है. आदिवासी समाज,छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की राजनीतिक पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की एंट्री से चुनावी मैदान में हलचल तेज हो गई है. आम जनता अब कांग्रेस बीजेपी के बाद तीसरे मोर्चे की सेना का भी आकलन कर रही है.


दरअसल कांग्रेस पार्टी से अलग होकर अरविंद नेताम ने सर्व आदिवासी समाज की तरफ से हमर राज पार्टी बनाई है. जो राज्य में 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है और अबतक 19 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम जारी किया जा चुकी है. पहले चरण के 20 में से 7 सीटों पर हमर राज पार्टी ने प्रत्याशी मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि हमर राज पार्टी का असर आदिवासी बहुल क्षेत्र में है. पहले चरण की अधिकांश सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र में आते हैं. इसके अलावा गोड़वाना गणतंत्र पार्टी और सीपीआई की सक्रियता को हल्के में नहीं लिया जा सकता है.


छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की जोहर छत्तीसगढ़ पार्टी
इसके बाद जोहर छत्तीसगढ़ पार्टी की बात करें तो ये छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने बनाई है. 21 अक्टूबर को राजनीतिक पार्टी की घोषणा की गई है और प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी गई है. इसमें 31 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम जारी किए गए है.छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का असर राज्य के मैदानी इलाकों में है. यानी दुर्ग,रायपुर और बिलासपुर संभाग में है और पार्टी ने इन्हीं क्षेत्रों के लिए अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं.


छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी JCCJ
इसके अलावा राज्य की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी का 2016 में कांग्रेस से अलग होने के बाद गठन किया. 2018 के विधानसभा चुनाव में पहली बार जोगी कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरी और 7.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 5 सीट जीतने में सफल रही है. हालांकि जोगी कांग्रेस ने बसपा के साथ गठबंधन किया था. दोनों पार्टी मिलकर केवल 7 सीट जीतने में सफल हुए थी. इस बार भी जोगी कांग्रेस अकेले एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. वहीं जोगी कांग्रेस अबतक 16 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम जारी कर चुकी है.


बसपा और आम आदमी पार्टी किसका बिगाड़ेगी खेल
 बहुजन समाज पार्टी विधानसभा चुनाव में परंपरा के अनुसार 1 से 2 सीट जीतती रही है. 2018 में बसपा को पामगढ़ और जैजैपुर विधानसभा सीट में जीत मिली थी. इसके अलावा आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में संगठन विस्तार के साथ बड़ी चुनावी सभाएं कर रही है. अरविंद केजरीवाल लगातार छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इन सभी राजनीतिक पार्टियों की चुनावी सक्रियता से विधानसभा में क्या असर होगा?


2018 में क्षेत्रीय दलों को मिले 14 प्रतिशत वोट
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक एक्सपर्ट डॉ अजय चंद्राकर ने बताया कि 2018 के परिणाम को देखा जाए तो कांग्रेस का वोट शेयर 43 प्रतिशत था और बीजेपी का 32 प्रतिशत के आसपास यानी 10 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर रहा है. लेकिन इसका विधानसभा सीटों पर भारी असर दिखाई दिया है. कांग्रेस 67 सीटों पर चुनाव जीती और बीजेपी 15 सीटों पर अटक गई. उधर जोगी कांग्रेस,बसपा, सीपीआई के गठबंधन को 11 प्रतिशत वोट मिले और बाकी अन्य को जोड़ दिया जाए तो दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा बाकी सभी पार्टियों का वोट शेयर 14 प्रतिशत के आसपास था.


इन दलों की सक्रियता से कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटने की संभावना
जब कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट शेयर का अंतर कम रहा यानी 2 प्रतिशत के आसपास तो पिछला 3 विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीती है. 2018 में 10 प्रतिशत,2013 में 0.75 प्रतिशत,2008 में 1.7 प्रतिशत और 2003 में 2.55 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर रहा है. लेकिन 2018 में वोट शेयर में अंतर बढ़ा तो कांग्रेस को फायदा हुआ. इस बार कांग्रेस के वोट शेयर को क्षेत्रीय राजनीतिक दल प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि 2003 से 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 39 से 41 प्रतिशत के आसपास वोट पाती रही है. लेकिन 2018 में बीजेपी के वोट शेयर 9 से 10 प्रतिशत के बीच घट गया. 


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