(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh Assembly Elections 2023: चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में मची होड़, अंबिकापुर में सामने आए बीजेपी के कई दावेदार, ऐसे कर रहे प्रचार
Chhattisgarh: अम्बिकापुर सीट पिछली तीन विधानसभा से कांग्रेस के लिए अभेद किला बनी हुई है. इसको ध्वस्त करने के मंसूबे से बीजेपी काम भले ना करें. पर विधायक बनने के सपने कई लोग देखने लगे हैं.
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में चुनाव (Election) की नजदीकियों ने नेताओं की सक्रियता को बढ़ा दिया है. खासकर अपने आपको विधायक के रूप में देखने वाले नेता इन दिनों सड़कों से लेकर दीवारों तक नजर आने लगे हैं. किसी ना किसी बहाने वो अखबार और टेलीविजन की सुर्खियां बनना चाहते है. खासकर संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर (Ambikapur ) विधानसभा की हाई प्रोफाइल सीट मे तो इन दिनों बीजेपी (BJP) के दर्जनों दावेदार सामने आने लगे हैं. इसमें कुछ नौसिखिया हैं.
वहीं कुछ मुझे हुए राजनैतिक खिलाड़ी हैं. लेकिन बात कांग्रेस (Congress) की करें तो उसमें एक दावेदार के अलावा कोई नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि कांग्रेस के लिए यहां की सीट पैलेस ही इर्द गिर्द घूमती है. ये सीट पिछले तीन विधानसभा से कांग्रेस यानी मौजूद स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (T. S. Singh Deo) की झोली में है.
वॉल पेंटिंग के बहाने दावेदारी
सरगुजा संभाग की अम्बिकापुर सीट पिछली तीन विधानसभा से कांग्रेस के लिए अभेद किला बनी हुई है. इसको ध्वस्त करने के मंसूबे से बीजेपी काम भले ना करें. पर विधायक बनने के सपने कई लोग देखने लगे हैं. अम्बिकापुर विधानसभा के ग्रामीण इलाको में इन दिनों बीजेपी नेताओं में आपसी खींचतान नजर आने लगी है. ये खींचतान वॉल राईटिंग के रूप में दीवारों पर देखी जा सकती है. बीजेपी के कुछ युवा तो कुछ उम्रदराज नेता ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर के गली मोहल्लों की दीवारों में अपने आप को छपवा रहें हैं. या ये कहें कि ये नेता अपने आपको विधानसभा चुनाव लड़ने का दावेदार बताकर ताल ठोंक रहे हैं.
बीजेपी के ये नेता हैं सक्रिय
जिन नेताओं के नाम वॉल राईटिंग के कारण सार्वजनिक चर्चा का विषय बने हैं. उसमें सबसे ऊपर आलोक दुबे का नाम है. विधानसभा का ब्राह्मण चेहरा और वर्तमान में नगर निगम अम्बिकापुर के पार्षद आलोक दुबे के नाम की वॉल राईटिंग सबसे अधिक देखी जा रही है. खासकर कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले उदयपुर इलाके में कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए इनकी वॉल राइटिंग और चर्चा सबसे अधिक है. आलोक दुबे को वर्तमान विधायक और केबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है. इसके बाद गोपाल सिन्हा नाम के नए और विकास पांडे नाम के युवा नेता भी वॉल राइटिंग की होड़ में आगे ही नजर आ रहे हैं. गोपाल सिन्हा फिलहाल बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश सह कार्यालय मंत्री हैं. वहीं एबीवीपी से अपने छात्र राजनीति की शुरूआत करने वाले विकास पांडे सरगुजा बीजेपी के जिला मंत्री हैं.
जगह जगह ले रहे हैं मीटिंग
वॉल राईटिंग के माध्यम से विधानसभा की दावेदारी करने वाले नेताओं के अलावा कुछ ऐसे बीजेपी नेता हैं, जो अंदरूनी इलाकों में जा जाकर ना केवल गांव वालों से मुलाकात कर रहे हैं. ब्लिक समय और तारीख तय कर मीटिंग भी ले रहे हैं. इस दौरान केन्द्र सरकार के बलबूते वो विधानसभा चुनाव में भी अपना खोया जनाधार वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं. इन नेताओं में बीजेपी नेता अखिलेश सोनी, स्वास्थ्य मंत्री के बड़े विरोधी कैलाश मिश्रा का नाम शामिल है. ऐसा नहीं है कि जो बीजेपी नेता वॉल राइटिंग कर अपने आपको चमका रहे हैं, वो सिर्फ वहीं तक सीमित हैं. वो लगातार सामाजिक आयोजनों के साथ लोगों के सुख दुख में पहुंच कर भी अपने आप को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे इन सब के बीच सवाल ये है कि क्या अब बीजेपी में जनाधार नहीं केवल वॉल राइटिंग ही टिकट बंटवारे का पैमाना रह गया है. तभी तो वॉल राइटिंग की होड़ मची है.
दो स्लोगन किए गए हैं तय
सरगुजा बीजेपी के जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह ने बताया कि पार्टी के निर्देश के मुताबिक दो स्लोगन जो तय किए गए हैं. उसके साथ कोई भी बीजेपी नेता या आम जन विनीत में अपने नाम लिए सकते हैं. तय स्लोगन के मुताबिक छत्तीसगढ़ में “अबीर बार बीजेपी सरकार”. “फिर से एक बार मोदी सरकार” वॉल राईटिंग में लिखवा सकते हैं. इसके साथ वो नीचे विनीत में अपना नाम डाल सकते हैं. इसके अलावा वो अगर इसके माध्यम से अपनी दावेदारी करेंगे. तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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