Bastar News: देश में क्रिसमस पर्व की तैयारी धूमधाम से चल रही है. सभी गिरजाघरों (Church) को सजाया गया है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh ) के बस्तर में भी सबसे बड़ा गिरजाघर है. जहां की अपनी अलग खासियत है और यहां हर साल क्रिसमस के मौके पर हजारों की संख्या में लोग यीशु मसीह से प्रेयर करते हैं. साथ ही इस चर्च की भव्यता को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.
दरअसल, 19वीं सदी का यह चर्च 100 साल पुराना हो गया है. इतने सालों के बाद भी इस चर्च के दीवारों में ना ही कोई दरार पड़ी है और ना ही कभी इसकी नींव हीली है. खास बात यह है कि इस चर्च की ऊंचाई इतनी है कि लगभग 10 किलोमीटर दूर से भी देखने पर इस गिरजाघर के ऊपर लगी क्रॉस नजर आती है. इसके अलावा चर्च की बेल करीब 5 से 10 किलोमीटर तक लोगों को सुनाई देती है.
इस खास वस्तुओं से बनाई गई है लाल चर्च
बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर शहर में मौजूद चंदैय्या मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च संभाग का सबसे पुराना चर्च है. जो लाल चर्च के नाम से जाना जाता है. सीबी वार्ड मिशनरी ने सन 1890 ई में इस चर्च की नींव रखी थी. तब बस्तर के तत्कालीन महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने सीबी वार्ड को लगभग एक हजार एकड़ जमीन दान में दी थी. जिसके बाद इस कैंपस में हॉस्टल, स्कूल और चर्च बनाया गया. लाल चर्च 1933 ई में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ. मसीह समाज के सदस्य और चर्च प्रॉपर्टी के अध्यक्ष रत्नेश बेजविंन ने बताया कि जब इस गिरजाघर को बनाया गया. तब इसमें बेल, गोंद, लुई और चूना से ईंट की जुड़ाई की गई और यह जुड़ाई इतनी मजबूत है कि आज भी चर्च की दीवार में कहीं भी कोई दरार नहीं पड़ी है.
हालांकि हर साल जरूर इस चर्च की रंग रोगन की जाती है, लेकिन 19वीं सदी के चर्च में आज तक कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया है. इसकी दीवारों से लेकर इसकी नींव 100 साल पुरानी है. खास बात यह है कि चर्च में किसी तरह का कोई प्लास्टर नहीं किया गया है, ना ही इस चर्च को बनाने के लिए कोई मशीन का उपयोग किया गया है. यही वजह है कि इस चर्च की दीवार यहां पहुंचने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा यहां लगे झूमर भी 100 साल पुराने हैं. खासकर क्रिसमस के मौके पर भाईचारे का परिचय देते हुए हर धर्म और हर समाज के लोग इस गिरजाघर में पहुंचकर भगवान यीशु से प्रेयर करते हैं और इस चर्च की भव्यता को भी देखते हैं.
100 साल पुरानी है इस चर्च की बेल
रत्नेश बेंजामिन ने बताया कि इस चर्च के एक और खास बात यह है कि बस्तर संभाग का सबसे ऊंचा चर्च होने की वजह से इसके शिखर में लगी क्रॉस शहर से 10 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है. इसके अलावा इस गिरजाघर में लगी बेल की आवाज 5 से 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. गिरजाघर में जो बेल लगा है वह भी मेड इन लंदन है. जो 100 साल बाद भी बिना जंग के इस चर्च की शोभा बढ़ा रही है. उन्होंने बताया कि क्रिसमस के मौके पर हर साल चर्च को खास तौर पर सजाया जाता है. जिससे इसकी भव्यता में चार चांद लग जाते हैं. इस बार पैरा से बनाई गई यीशु मसीह की कुटिया खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. रत्नेश बेजविंन ने बताया कि बस्तर संभाग का लाल चर्च बस्तर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हैं.