Chhattisgarh News: आदिवासी छात्रावास में लाखों का भ्रष्टाचार, शिक्षा के नाम पर अधीक्षक व मंडल संयोजक पर गबन का आरोप
Bastar News: बास्तानार ब्लॉक के बिरचेपाल गांव में बालक छात्रावास में कुछ दिन पहले ही विभाग की टीम यहां जांच करने के लिए गई थी. छात्रावास में एक भी बच्चे नहीं थे. कमरे में पंखा टूटकर नीचे गिरा हुआ था.
Bastar Corruption In tribal Children Hostel: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक और मंडल संयोजक के द्वारा लाखों रुपए गबन करने का मामला सामने आया है, आदिवासी बालकों को छात्रावास में रहकर शिक्षा देने के नाम पर मिलने वाली राशि में करीब 36 लाख रुपए गबन करने का आरोप अध्यक्ष और मंडल संयोजक पर लगा है. दरअसल जिले के बास्तानार ब्लॉक के बिरचेपाल गांव में स्थित 50 सीटर बालक छात्रावास में बच्चे कई महीनों से नही रह रहे है.
यहां रहने वाले छात्र घर से ही स्कूल आना-जाना करते हैं, लेकिन इस छात्रावास के अधीक्षक और मंडल संयोजक ने फर्जी तरीके से छात्रों की रजिस्टर मेंटेन कर पिछले कुछ सालो से छात्रो के लिए शासन से मिलने वाली पूरी राशि गबन कर ली. प्रशासन ने अपनी जांच में पाया कि कुल 36 लाख रुपये अधीक्षक और मंडल संयोजक ने मिलकर डकार लिया है. मामले की जांच के बाद आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त ने फर्जी तरीके से निकाले पैसे वसूलने का आदेश जारी किया है.
अधिकारियों ने निरीक्षण में पाया अनियमितता
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त राजेश भाटिया ने बताया कि बास्तानार ब्लॉक के बिरचेपाल गांव में बालक छात्रावास में कुछ दिन पहले ही विभाग की टीम यहां जांच करने के लिए गई हुई थी. छात्रावास में एक भी बच्चे नहीं थे. कमरे में पंखा टूटकर नीचे गिरा हुआ था. छात्रों के बिस्तर फटे हुए मिले. साथ ही पूरे छात्रावास की स्थिति काफी खराब थी.
टीम ने निरीक्षण में पाया कि यहां कई महीनो से बच्चे नहीं रह रहे हैं, लेकिन फर्जी तरीके से छात्रावास अधीक्षक बच्चों की उपस्थिति दर्ज कर बच्चों के नाम से शासन से मिलने वाली राशि गबन कर रहा है, और बकायदा मंडल संयोजक भी अधीक्षक के इस भ्रष्टाचार में संलिप्त है. सहायक आयुक्त ने बताया कि आस-पास के ग्रामीणों से भी बातचीत की गई, जिसमें पता चला कि यहां बच्चे रहते नहीं हैं. हां, लेकिन स्कूल टाइम में आना-जाना जरूर करते हैं, उन्होंने कहा कि इस छात्रावास की दर्ज संख्या 50 है, बच्चे घर से आते हैं. स्कूल में मध्यान्ह भोजन खाते हैं और शाम को घर चले जाते हैं. जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बच्चे छात्रावास में नहीं रहते हैं.
एक बच्चे के पीछे एक महीने में मिलते हैं 1500 रुपये
इधर छात्रावास का निरीक्षण करने के बाद इस मामले की विभागीय जांच की गई जिसमें पता चला कि छात्रावास अधीक्षक फर्जी तरीके से रजिस्टर मेंटेन कर रहा था. कैश बुक, वाउचर में भी गड़बड़ी पाई गई, पिछले कुछ सालों में करीब 36 लाख रुपए गबन कर लिए. जांच के बाद इस मामले को बस्तर कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया. जिसके बाद कलेक्टर ने अधीक्षक और मंडल संयोजक से 36 लाख रुपए वसूली करने के निर्देश दिए हैं.
दरअसल छात्रावास में रहने वाले एक बच्चे के पीछे एक महीने में 1500 रुपए मिलते है, जिसमे बच्चों के लिए राशन, तेल, साबुन, कॉपी किताब समेत अन्य जरूरी सामान के लिए ये पैसे खर्च किए जाते हैं. इसी राशि को फर्जी तरीके से छात्रावास अधीक्षक और मंडल संयोजक ने गबन कर लिया.
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