Bastar News: दशहरा की अनोखी रस्म, यहां देवी-देवता कतार में लगकर लेते हैं राशन, निभाई जाती है सालों पुरानी परंपरा
Bastar News: पूरे संभाग से देवी-देवता बस्तर दशहरे में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. राशन पाने के लिए सभी को लाइन में लगना होता है. बस्तरवासी सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
Bastar News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व को यूं ही अनूठा और एतिहासिक नहीं कहा जाता. इस पर्व में निभाई जाने वाली रस्में और यहां की परम्पराएं इसे एतिहासिक बनाती हैं.पूरे संभाग से देवी देवता बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra) में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. यहां देवी देवताओं को राशन की लाइन में लगना होता है. जी हां संभागभर के गांव-गांव से जो देवी देवता दशहरा पर्व में शामिल होने पहुंचते हैं, उनको लाइन में लगकर राशन और पूजा का सामान लेना होता है.
देवी-देवताओं को लाइन में लगाकर दिया जाता है राशन
जब देवी देवताओं को लेकर पुजारी लाइन लगाकर प्रशासन के अधिकारी के पास पहुंचते हैं तो अधिकारियों को देवी-देवताओं के चिह्न जिसमें मंदिर का छत्र, तोड़ी और टंगिया आदि की एंट्री करवानी होती है, तब जाकर पूजा सामान मिलता है. इस पूजा के सामान में 2 किलो चांवल, दाल, तेल, घी, नमक, नारियल समेत अन्य जरूरत के सामान दिए जाते हैं.
तहसील कार्यालय में प्रशासन करता है इंतजाम
बस्तर दशहरा पर्व को बेहतर तरीके से मनाने के लिए एक व्यवस्था तैयार होती है जिसे दशहरा समिति के नाम से जाना जाता है. इस समिति के अध्यक्ष बस्तर के सांसद और सचिव तहसीलदार होते हैं. समिति के सचिव पर पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है और पर्व में शामिल होने के लिए पहुंचने वाले देवी देवाताओं को पूजा के सामान के साथ राशन की व्यवस्था भी तहसील कार्यालय से होती है. हर साल की तरह इस साल भी दशहरे की रस्म के दौरान यहां देवी देवताओं को लाइन में लगाकर राशन दिलाया गया.
देवी देवताओं के छत्र और चिन्ह से मिलती है एंट्री
ग्रामीण पुजारी ने बताया कि वे अपने गांव के कुल देवी देवताओं को लेकर यहां पहुंचे हैं. वे हर साल ऐसे ही लाइन में लगकर पूजा की सामाग्री और राशन लेते हैं. खास बात ये है कि इस लाइन में अपने साथ देवी देवताओं की छत्र, तोड़ी और अन्य चिन्हों को लेकर भी पुजारी खड़े होते हैं जिसके आधार पर तहसील कार्यालय में उनकी एंट्री की जाती है और इसी आधार पर यह कहा जाता है कि देवी देवता भी लाइन में लगकर सामान ले रहे हैं. इस प्रक्रिया के बाद ही उन्हें पूजा का सामान और राशन दिया जाता है.
700 से ज्यादा देवी देवताओं को दिया जाता है राशन
ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए पूरे संभाग के 7 जिलों से 800 से अधिक देवी देवता यहां पहुंचते हैं. पिछली बार कोरोना की वजह से 250 के करीब ही देवी देवता यहां पहुंचे थे, लेकिन इस बार कोरोना का डर नहीं है तो ऐसे में बड़ी संख्या में देवी देवता गांव-गांव से पहुंच रहे हैं. बीते मंगलवार की देर रात तक करीब 700 से अधिक देवी देवता पहुंच चुके थे. इस तरह अब आने वाले 4 दिनों तक रोज देवी देवता यहां पूजा सामाग्री और राशन लेने के लिए तहसील कार्यालय पहुंचते रहेंगे.
सालों से निभाई जा रही है परंपरा
तहसील कार्यालय में पूजा सामान और राशन बांटने का काम पटवारी और अन्य कर्मचारी करते हैं, पटवारी सत्यनारायण सेठिया ने बताया कि हर साल इसी तरह लाइन से ही पूजा का सामान दिया जाता है जिससे देवी देवता लेकर पहुंचे पुजारियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. देवी देवताओं को पूजा के सामान के लिए लाइन लगाकर खड़े देख हर कोई हैरान हो जाता है. आज के दौर में भी इस परंपरा को यहां के लोग जिंदा रखे हुए हैं, यह अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है.
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