Chhattisgarh: विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा बस्तर का सरकारी अस्पताल, जानें क्या है वजह
Bastar Hospital: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है, जिसके चलते ईलाज के लिए अस्पताल पहुच रहे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है, जिसके चलते ईलाज के लिए अस्पताल पहुच रहे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि 115 डॉक्टरो की जगह में मात्र 60 डॉक्टर ही यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वहीं बची हुई खाली पदों पर बाहर से आकर कोई भी डॉक्टर यहां सेवा नहीं देना चाहता. अस्पताल में डॉक्टरों को पदस्थ करने के लिए जिला प्रशासन हर महीने 5 लाख का पैकेज देने को तैयार है. बावजूद इसके कोई भी डॉक्टर यहां अपनी सेवा देने नहीं पहुंच रहा है. खासकर न्यूरोसर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट के पद खाली होने की वजह से यहां गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को औऱ आपातकालीन स्थिति में भी मरीजों को बेहतर ईलाज नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से डिमरापाल जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है.
बस्तर आने को तैयार नहीं डॉक्टर्स
दरअसल आज से करीब 8 साल पहले 400 करोड़ की लागत से जगदलपुर शहर के डिमरापाल में संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बनाया गया. भवन निर्माण करने के लिए करोड़ों रुपए तो खर्च कर दिए गए, लेकिन आज भी अस्पताल में स्टाफ की कमी बनी हुई है. साथ ही जरूरी उपकरण भी नहीं होने की वजह से मरीजों को अस्पताल में बेहतर ईलाज नहीं मिल पा रहा है. पहले ही स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय की कमी से जूझ रहे इस अस्पताल में विशेषज्ञों के भी कमी बनी हुई है. खास बात यह है कि इस अस्पताल में पूरे संभाग के 7 जिलो से मरीज के ईलाज के लिए पहुंचते हैं. हर रोज करीब 200 से 300 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, हालांकि सर्दी बुखार और मौसमी बीमारी का ईलाज तो अस्पताल में हो जाता है, लेकिन विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञ नहीं होने की वजह से मरीजों को ईलाज नहीं मिल पाता है. हालांकि स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन की तरफ से कोशिश की जा रही है कि बाहर से आने वाले विशेषज्ञों के लिए महीने की अच्छी सैलरी देने के साथ रुकने की व्यवस्था की जाएगी. बावजूद इसके कोई भी विशेषज्ञ बस्तर आने को तैयार नहीं है.
डॉक्टरों के बस्तर नहीं आने की यह बन रही वजह
इधर लगातार अस्पताल पहुंच रहे मरीजों की वजह से डॉक्टर पर मरीजों का दबाव बढ़ रहा है. खास बात यह है कि अस्पताल में न्यूरो मेडिसिन, न्यूरो सर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट ,कार्डियोलॉजी जैसे पद पर डॉक्टरों की तैनाती करनी है. लेकिन अस्पताल खुले इतने साल बीतने के बाद भी इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई है. अस्पताल प्रबंधन के कुछ डॉक्टरों ने बताया कि इन पदों पर नियुक्तियों के लिए शासन से मिलने वाली सैलरी के अलावा डीएमएफटी मद से भी सैलरी देने का प्रस्ताव कई डॉक्टर को दिया गया, लेकिन कोई भी डॉक्टर बस्तर में आकर डिमरापाल अस्पताल में काम करने को तैयार नहीं है.
अस्पताल के ट्रामा सेंटर में काम करने के लिए एक न्यूरोसर्जन को 5 लाख रुपये महीना और रहने खाने की व्यवस्था का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने ऑफर को ठुकरा दिया और यहां काम करने से इंकार कर दिया. बताया जा रहा है कि विशेषज्ञ डॉक्टर बड़े शहरों में सरकारी अस्पताल के साथ-साथ प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं. ऐसे में वहां उन्हें सैलरी के अलावा भी प्राइवेट प्रैक्टिस से बड़ी रकम मिल जाती है यही कारण है कि यहां कोई विशेषज्ञ डॉक्टर आना नहीं चाहता है. वहीं पहले से ही ड₹डिमरापाल अस्पताल में डॉक्टरो की कमी बनी हुई है इसी कमी के साथ ही कांकेर और महासमुंद के मेडिकल कॉलेज को चलाने के लिए जगदलपुर से ही विशेषज्ञ डॉक्टरो का तबादला किया गया है, जिनमें से 2 महासमुंद और 6 को कांकेर भेजा गया है जहां वे अपनी सेवा दे रहे हैं.
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