छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा ब्लॉक को  नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है. वहीं इसी साल आजादी के 75 साल बाद चांदामेटा गांव में मतदान भी हुआ है. भले ही यह गांव नक्सल मुक्त हो चुके हैं. लेकिन आज भी इस क्षेत्र के दर्जनों गांव के ग्रामीण गांव में विकास कार्य की राह तक रहे हैं. आलम यह है कि कई गांव में ना ही बिजली पहुंची है. ना ही सड़क की सुविधा है और ना ही पेयजल की व्यवस्था. लंबे समय से यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित है. कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.


खासकर गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने की वजह से कई ग्रामीणों की त्वरित इलाज के अभाव में  जान भी जा रही है. एबीपी लाइव ने इसी दरभा ब्लॉक क्षेत्र के काचीररास.  सरगीपाल और  भैंसाधर्रा गांव की ग्राउंड रिपोर्टिंग की. जहां ग्रामीणों ने एबीपी लाइव को गांव में समस्याओं का अंबार दिखाया. तीनों ही गांव के ग्रामीण कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं. खासकर छोटे बच्चे स्कूली शिक्षा से पूरी तरह से वंचित हो रहे हैं. गांव में स्कूल तो है लेकिन काफी सालों से स्कूल बंद पड़ा है. इसके अलावा सड़क नहीं होने की वजह से ग्रामीणों ने ही वैकल्पिक तौर पर खुद ही श्रमदान कर सड़क बनाई. लेकिन यह सड़क भी अब जर्जर हालत में है. पक्की सड़क की मांग करते-करते ग्रामीण थक चुके हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.


विधानसभा चुनाव के दौरान हर बार नेता ग्रामीणों से वोट मांगने तो आ रहे हैं लेकिन अब तक इनकी एक भी मांग नेताओं ने पूरी नहीं की है. गांव में आंगनबाड़ी तो है लेकिन जर्जर भवन होने की वजह से एक झोपड़ी नुमा मकान में आंगनबाड़ी का संचालन किया जा रहा है. यही नहीं इस गांव में बीमार पड़ने पर करीब 6 किलोमीटर दूर ग्रामीण पैदल ही चलकर मरीज को कावड़ में स्वास्थ्य केंद्र  पहुंचाने को मजबूर हैं.


आजादी के 75 साल बाद भी इन गांवों में नहीं पहुंचा विकास कार्य
काचीररास गांव के ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन के अधिकारी और नेताओं से गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. खास बात है कि यह गांव संभाग मुख्यालय जगदलपुर से केवल 45 से 50 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है. ऐसे में इन गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ साल पहले पूरा गांव नक्सली मुक्त हो चुका है अब ग्रामीणों में किसी तरह का नक्सली भाई नहीं है


यहां विधानसभा चुनाव के दौरान बाकायदा सभी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे और हर बार की तरह इस बार भी गांव में विकास कार्य पहुंचने का वादा किया. लेकिन लंबे समय से गांव में सड़क पेयजल  और बिजली की सुविधा की मांग की जा रही है. इस गांव की कोई भी सुध लेने वाला नहीं है. गांव के सरपंच से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों यहां तक की खुद पूरे गांव के ग्रामीण बस्तर कलेक्टर के पास भी गांव में सड़क की मांग पेयजल की मांग और प्रायमरी स्कूल में शिक्षक की मांग कर चुके हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.


मूलभूत सुविधा पाने तरस रहे ग्रामीण
इस समस्याओं को लेकर एबीपी लाइव ने  दरभा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि इस गांव में कई विकास कार्य प्रस्तावित है. लेकिन यह काम  क्यों शुरू नहीं हो सका है इसके बारे में जरूर पता लगाया जाएगा. कुल मिलाकर  इस गांव के ग्रामीण आजादी के 75 साल बाद भी सरकारी योजनाओं के साथ-साथ सबसे जरूरी सड़क पर जल और बिजली की सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे पशुओं की  तरह जिंदगी जीने को मजबूर  हैं.


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