Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में क्यूलेक्स मच्छर ने आतंक मचाया हुआ है. इस मच्छर के काटने से एक गांव के 20 से ज्यादा ग्रामीण फाइलेरिया बीमारी के चपेट में आ गए हैं. उन्हें सही इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. इस मच्छर के काटने से लगातार इस गांव के ग्रामीण फाइलेरिया बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं और मरीजों की संख्या भी बढ़ती रही है.


यह मच्छर इतना घातक हो गया है कि बच्चे, बूढ़ों से लेकर महिलाओं को भी अपने चपेट में ले रहा है. फाइलेरिया बीमारी को स्थानीय बोली में हाथी पांव कहा जाता है. इस बीमारी के चपेट में आने से हाथ पैर फुलने लगते हैं. जिसकी वजह से मरीज आम लोगो की तरह चल फिर नही पाते हैं. गांव के कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें पिछले 25 सालों से यह बीमारी है, लेकिन उनका इलाज अब तक तक नहीं हो पाया है.


लगातार फाइलेरिया बीमारी के चपेट में आ रहे लोग
चौकाने वाली बात यह है कि इस फाइलेरिया बीमारी के चपेट में लगातार लोग आ रहे हैं. कुछ सप्ताह पहले ही गांव के चार ग्रामीण फाइलेरिया के शिकार हुए हैं. उनके हाथ और पैर में लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं. करीब 25 सालों से इस बीमारी से जूझने के बावजूद भी अब तक स्वास्थ्य विभाग पीड़ित ग्रामीणों का इलाज नहीं कर पाया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फाइलेरिया दिवस पर यहां शिविर लगाकर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीणों को इस बीमारी से निजात नहीं मिल पा रही है.


क्यूलेक्स मच्छर के काटने से हो रहा फाइलेरिया
बस्तर जिले से करीब 30  किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बकावंड ब्लॉक के बेलगांव में इस बीमारी से पीड़ित 20 लोगों के मिलने की पुष्टि हुई है. यहां के ग्रामीण कुछ सालों से इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. अधिकांश ग्रामीण महिलाएं इस बीमारी के चपेट में हैं. फाइलेरिया बीमारी से उनके हाथ पैर फूल गए हैं और चलने फिरने में भी उन्हें काफी समस्या हो रही है. दरअसल यह महिलाएं सालों से इस बीमारी के चपेट में हैं. बस्तर जिले के  मलेरिया अधिकारी एस.एस टीकाम ने कहा कि फाइलेरिया क्युलेक्स मच्छर के काटने से होता है.


इस गांव में इस मच्छर के पनपने का पूरा  माहौल हैं. इस वजह से यहां अधिकांश लोग इसके काटने से बीमार हो रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए उपाय ढूंढ रही है, और ग्रामीणों का ईलाज भी कर रही है, लेकिन अब तक इस बीमारी के चपेट में आए लोग ठीक नहीं हो पाए हैं. 


मलेरिया अधिकारी का कहना है कि इस गांव की  महिलाएं  खेतों और घरों में काम करती हैं. उनका संपर्क गंदगी से सबसे ज्यादा होता है. जिसके चलते अधिकांश महिलाए ही फाइलेरिया बीमारी  से पीड़ित हो रही हैं. इंद्रावती नदी के किनारे स्थित जितने भी  गांव है, जहां बारिश का पानी गांव में ठहर जाता है. उस गांव में गंदगी रहती है, और अधिकांश ऐसे ही गांव में क्यूलेक्स मच्छर पनपने से फाइलेरिया के ज्यादा फैलने की आशंका रहती है. इस आशंका की पुष्टि बेलगांव में हुई है, क्योंकि बारिश में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है. ऐसे में नदी का पानी निकलने का भी कोई रास्ता नहीं होता है. जिसके चलते पानी जाम हो जाता है. इस रुके हुए पानी में क्यूलेक्स जैसे खतरनाक मच्छर पनपते हैं.




20 से 60 साल के उम्र के लोग पड़ रहे बीमार
ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में 25 साल पहले गांव के ही कुछ लोग इस बीमारी से पीड़ित हुए थे. पिछले 5 सालों से और भी कई लोग इसके शिकार हुए हैं. जिनमें 20 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र के लोग शामिल है. ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत के बाद भी कभी स्वास्थ्य अमला  गांव में नहीं पहुंचा. हालांकि पिछले 2 साल से इस बीमारी पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जा रही है.




अब तक नहीं मिल पाई है इस बीमारी से भी निजात
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव में आते हैं कुछ लोगों को इकट्ठा कर उन्हें बीमारी और इससे बचाव के जानकारी देकर चले जाते हैं. दवा देने के बाद मरीजों की क्या स्थिति है इसकी कोई जानकारी  भी नहीं ली जाती. ईलाज के लिए ग्रामीण गांव से 10 किलोमीटर दूर बजावंड स्वास्थ केंद्र तक जाते हैं, लेकिन वहां भी सही इलाज नहीं मिला पता, और अब तक इस बीमारी से भी निजात नहीं मिल पाई है. वहीं मरिजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है.


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