Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे नक्सली बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इसी वजह से बस्तर के नक्सली अब अपने संगठन के विस्तार के लिए नई जगह तलाश कर रहे हैं. हाल ही में इंटेलिजेंस ब्यूरो से मिली रिपोर्ट के मुताबिक एक खुलासा हुआ है कि नक्सली देश के अन्य राज्यो में नक्सलवाद को बढ़ाने के लिए दक्षिण बस्तर में नए युवाओं की भर्ती कर रहे हैं, जिन्हें लोकल गुरिल्ला स्क्वायड का प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है. इन नए जुड़ रहे युवाओं को किसी राज्य में नक्सली संगठन को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. 


जानकारी के मुताबिक, मध्यप्रदेश में भी लोकल गुरिल्ला स्क्वायड की टीम को बस्तर से भिजवाया गया है. कुल मिलाकर इन दिनों नक्सली बस्तर के युवाओं को नक्सल संगठन से जोड़ने और इनसे पूरे देश में नक्सलवाद फैलाने की कवायद कर रहे हैं. मध्यप्रदेश के बालाघाट इलाके में कुछ दिन पहले हुई मुठभेड़ के बाद इस बात से जुड़े तथ्य सामने आए हैं.


संगठन में शामिल ग्रामीण युवाओं को सरेंडर करने की अपील


बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने खुद इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि नक्सली बस्तर के अंदरूनी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने की कवायद में  जुट गए हैं, लेकिन पुलिस फोर्स के माध्यम से गांव-गांव में युवाओं को नक्सली संगठन से दूर रहने और नक्सलियों के दलम में शामिल हो चुके लोकल युवाओं से अपील कर रहे हैं कि वह सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा में वापस लौट आएं, वरना अंजाम बुरा हो सकता है. 


आईजी ने बताया कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस लगातार नक्सलियों पर दबाव बनाए हुए है. यही वजह है कि नक्सली नया एमएमसी (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़) जोन बनाकर मध्यप्रदेश में नया कॉरिडोर तैयार करने की जुगत में लग गए है, ताकि नये इलाकों में संगठन का विस्तार हो सके और 2 राज्यों में दबाव झेल रहे नक्सली अपने लोगों को यहां शिफ्ट कर संगठन विस्तार कर सेफ जोन में जा सकें. लेकिन बस्तर पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस नक्सलियों के इस प्लान में पानी फेरने के लिए लगातार जॉइंट ऑपरेशन चला रही है.


नक्सलियों द्वारा बनाये गए नए प्लान के तहत एमएमसी जोन में छत्तीसगढ़- महाराष्ट्र के कुछ जिलों में नक्सलियों की अच्छी खासी पैंठ है. ऐसे में अब नक्सली मध्यप्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं. एमएमसी जोन में फिलहाल नक्सली महाराष्ट्र की तुलना में छत्तीसगढ़ में सबसे मजबूत स्थिति में हैं. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लाल आतंकियों का कोई खास आधार तैयार नहीं हो सका है. वहीं बीते 1 साल में मध्यप्रदेश के बालाघाट इलाके में हुई 4 मुठभेड़ों में 8 नक्सली मारे गए हैं, जिनमें से 6 नक्सली बस्तर के ही रहने वाले थे. 22 अप्रैल की तड़के सुबह हुए मध्यप्रदेश की हॉक फोर्स ने बालाघाट जिले के गढ़ी थाना क्षेत्र के अंतर्गत कदला के जंगल में मुठभेड़ के दौरान 2 महिला नक्सलियों को ढेर कर दिया था और इनके पास से हथियार भी बरामद किए थे. महिला नक्सली कमांडर सुनीता और सरिता के मारे जाने के साथ ही इस बात का खुलासा हुआ था कि वह दोनों मध्य प्रदेश में संगठन विस्तार का काम कर रही थी. दोनों ही मारी गईं नक्सली बस्तर की ही रहने वाली थी. 


खास बात यह है कि शिफ्टिंग के बाद बस्तर में खाली हो  रहे एलजीएस (लोकल गोरिल्ला स्क्वायड) कमांडरों के पदों पर भी बस्तर के स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है. दक्षिण बस्तर के एलजीएस को ही मध्यप्रदेश भेजने के लिए चुना जा रहा है. इस साल नक्सली अपने टीसीओसी अभियान में जिन नए लड़ाकू की भर्तियां कर रहे हैं, उन्हें दक्षिण बस्तर के एलजीएस टीम में जगह दिया जा रहा है. वहीं सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश में रेड कॉरिडोर बनाने की जिम्मेदारी दक्षिण बस्तर की लीडरशिप को सौंपी गई है. गौरतलब है कि एलजीएस में 10 से 12 लड़ाके होते हैं, जिन्हें छोटी-छोटी घटनाएं कर दहशत फैलाने में माहिर माना जाता है. हालांकि नक्सलियों के नए प्लान को तोड़ने के लिए बस्तर  पुलिस के आला अधिकारी जल्द ही अपना नया प्लान बनाने की बात कह रहे हैं.


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