Exclusive Report: बस्तर पुलिस के हाथ लगी नक्सलियों के बजट की कॉपी, कहां और किन चीजों पर होता है खर्च, जानें
Bastar News: साल 2021 में नक्सलियों ने सबसे ज्यादा खर्चा दवाई और इलाज पर किया, पुलिस ने बताया कि इनका सालभर का बजट करोड़ों रुपए में होता है और इस पैसे की उगाही वे जनता को डरा धमकाकर कर करते हैं.
![Exclusive Report: बस्तर पुलिस के हाथ लगी नक्सलियों के बजट की कॉपी, कहां और किन चीजों पर होता है खर्च, जानें Chhattisgarh: Bastar Police got Naxalites budget copy, know on what things they spend the most ann Exclusive Report: बस्तर पुलिस के हाथ लगी नक्सलियों के बजट की कॉपी, कहां और किन चीजों पर होता है खर्च, जानें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/10/19/82783d4869aee9289b3aca4690d1f9e51666163663701371_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और कांकेर जिले की सीमा पर हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में बस्तर पुलिस को नक्सलियों के अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिसमें साल 2021 में नक्सलियों द्वारा खर्च की गई राशि का ब्यौरा भी शामिल है. नक्सली संगठन की नॉर्थ बस्तर टीम डिवीजन ने एक साल में कितनी राशि खर्च की है, इसका ब्यौरा दस्तावेज में मौजूद है. दरअसल कुछ दिन पहले हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों के कैंप को ध्वस्त करने में सफलता हासिल की थी, यहां सर्चिंग के दौरान जवानों को नक्सलियों का दैनिक सामान और विस्फोटक बरामद हुआ था, साथ ही नक्सलियों के अहम दस्तावेज भी हाथ लगे थे. दस्तावेजों में साल 2021 में नक्सलियों के बजट (Budget) की कॉपी भी हाथ लगी, जिसमें नक्सलियों ने अपने साल भर का ब्यौरा नोट किया है. बजट के अनुसार सबसे अधिक खर्च दवाई और ईलाज पर 6 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.
किस सामान पर कितना खर्च किया
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि घटनास्थल से जवानों द्वारा बरामद नक्सलियों के NBT (नार्थ बस्तर टीम डिवीजन) के साल 2021 के बजट ब्यौरा में लगभग 35 लाख रुपए का जिक्र है, जिसमें 29 लाख रुपये खर्च किए गए हैं और 5 लाख शेष राशि डिवीजन के पास जमा है. आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इस राशि को नक्सलियों ने अपने अलग-अलग कार्यो के लिए खर्च किया है और बजट के कागज में इसे दर्शाया है. 2021 में नक्सलियों ने सबसे ज्यादा खर्च (6 लाख) दवाई और इलाज पर किया है. साथ ही हथियार और गोला बारूद पर 2 लाख रुपये खर्च किए हैं.
इसके अलावा फैटीम्यु जिसमें नक्सलियों के वर्दी और अन्य एक्यूमेंट शामिल हैं इस पर नक्सलियों ने साल भर में 4 लाख रुपये खर्च किए हैं. यही नहीं धूम्रपान पर नक्सलियों ने 11 हजार रुपये खर्च किया है, इसके साथ ही सिविल कपड़ों की खरीददारी में 1 लाख 20 हजार रुपये खर्च किए हैं. इसके अलावा राशन और अपने खाने पीने के सामान में 3 लाख खर्च किए हैं. संगठन के प्रचार-प्रसार में 3 लाख रुपये और अधिवेशन, मीटिंग पर 52 हजार, साथ ही इक्विपमेंट पर 1 लाख 10 हजार और ई उपकरण पर 1 लाख रुपये खर्च किए हैं.
वहीं डिवीजन में शामिल अपने लोगों की सहायता में 93 हजार व जेल कोर्ट में 40 हजार, साबुन, तेल और अन्य जरूरी सामानों पर लगभग 76 हजार रुपए खर्च किए हैं. आईजी ने कहा कि हालांकि नक्सलियों का यह बजट एक ही डिवीजन का है, बस्तर संभाग में 8 डिवीजन और 2 सब डिवीजन हैं, ऐसे में इनका बजट करोड़ों का होता है और नक्सली इस राशि की वसूली लोगों को डरा धमकाकर करते हैं. पुलिस के द्वारा कोशिश की जा रही है कि बस्तर के किसी भी कांट्रेक्टर, आम आदमी, किसान और अन्य लोगों से नक्सली पैसा उगाही न कर सकें, इसके लिए पुलिस उनके संगठन को कमजोर करने में जुटी है.
पुलिस को अपने अभियान में काफी हद तक सफलता भी मिली है. आईजी ने बताया कि जिस तरह से नक्सलियों ने साल भर में 6 लाख रुपये दवाई और इलाज में खर्च किए हैं, ऐसे में कोरोना का असर उनमें भी देखने को मिला है. साथ ही वे अन्य बीमारियों से भी जूझ रहे हैं. फिलहाल पूरी तरह से नक्सलियों की उगाही बंद हो और आर्थिक रूप से उन्हें किसी तरह का सहयोग ना मिले इसके लिए बस्तर पुलिस पूरी तरह से जुटी हुई है और लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में ऑपरेशन चला रही है.
हर साल लाखों रुपए चंदा इकट्ठा करते हैं नक्सली
दरअसल बस्तर में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती है और इस सरकार का अपना खुद का बजट होता है. यह किस तरह से तैयार किया जाता है इसका डॉक्यूमेंट पुलिस के हाथ लगा है. डॉक्यूमेंट में नक्सलियों के साल भर का ब्यौरा मिला है, जिसमें नक्सली किस तरह से अपने संगठन के अंदर इस राशि को खर्च करते हैं, उसका विवरण लिखा हुआ है. इस डॉक्यूमेंट को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर साल लाखों रुपए का चंदा नक्सली इक्कठा करते हैं और उसका इस्तेमाल अपने संगठन को मजबूत बनाने में करते हैं.
नक्सलियों के डॉक्यूमेंट में सबसे खास बात है कि इस खर्चे के हिसाब में खाने-पीने के साथ-साथ सिगरेट- तंबाकू पर भी किए गए खर्च का हिसाब भी मौजूद है. इतना ही नहीं ग्रामीणों की गिरफ्तारी पर कानूनी तरीके से रिहाई के लिए किए जाने वाले खर्च का भी जिक्र इसमें दिखाई दे रहा है. पूरे ब्यौरे में सबसे ज्यादा खर्च दवाइयां और खाने पीने के सामानों में किया गया है, इस पर्चे में छोटी से छोटी चीजों जैसे स्मोकिंग, कपड़ा, साहित्य, प्रचार-प्रसार को लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीज का भी जिक्र है.
यह भी पढ़ें:
Chhattisgarh में इस साल 60 हजार नए किसान बेचेंगे धान, इस दिन से शुरू होगी खरीदी, रकबा भी बढ़ा
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)