Chhattisgarh: धर्मांतरण के मुद्दे पर बंटा बस्तर का आदिवासी समाज, एक दूसरे पर लगाए ये आरोप
Bastar: बस्तर में धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर यहां का आदिवासी समाज दो भागों में बट गया हैं. छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी एक दूसरे पर आरोप पर ही आरोप लगा रहे हैं.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. इस धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर इन दिनों यहां का आदिवासी समाज दो भागों में बट गया हैं. छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. गुरुवार को सर्व आदिवासी समाज ने नारायणपुर घटना के विरोध में एक दिवसीय बस्तर बंद का आह्वान किया था. इस बंद का व्यापक असर कोंडागांव जिले को छोड़कर पूरे बस्तर संभाग में देखने को मिला.
बंद के दौरान संभाग मुख्यालय जगदलपुर में सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने दो अलग-अलग जगह इक्कठे होकर धरना प्रदर्शन किया. आदिवासियों के एक गुट ने जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर के सामने धर्मांतरण को लेकर धरना प्रदर्शन किया. वहीं दूसरे गुट ने जगदलपुर शहर के गुंडाधुर पार्क में अपने सात सूत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया. साथ ही दोनों ही गुटों ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान एक दूसरे पर आरोप मढ़ दिया.
सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने क्या कहा
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने कहा कि प्रदेश सर्व आदिवासी समाज ने गुरुवार को धर्मांतरण के विरोध में धरना प्रदर्शन किया, और मजबूरी में आदिवासियों के दूसरे गुट ने अपना धरना प्रदर्शन दूसरे जगह किया. दूसरा गुट कभी सामाजिक कार्यों के लिए आगे नहीं आता है. वो राजनीतिक रोटी सेकने का काम कर रहे हैं. जिन सात सूत्रीय मांगों को लेकर वो धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वो पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा है. सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर के ऊपर आरोप लगाते हुए राजाराम तोड़ेम ने कहा कि वो तो खुद ही ईसाई समुदाय के लोगों का समर्थन करते हैं. उनके गुट में ईसाई लोग हैं. यही कारण है कि वो धर्मांतरण के धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए. जो खुद ईसाई हैं वो कैसे धर्मांतरण का विरोध कर सकते हैं.
दूसरा गुट बोला- आदिवासी समाज में दो फाड़ नहीं
इधर दूसरे गुट में सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि आदिवासी समाज में दो फाड़ होने की बात कभी भी नहीं आती. यदि आती है तो वो राजनीति की वजह से आती है. राजनीति से जुड़े लोग ही एक दूसरे को बांटने का काम कर रहे है, हमें आवश्यकता नहीं है कि हम धर्म परिवर्तन मामले में जाएं. क्योंकि इस मामले में जिसको फायदा होगा वही आगे जाएगा. आने वाले समय में चुनाव है. चुनाव के चार साल पहले राजनीतिक व्यक्ति अपना काम करते हैं, आखरी के जब एक साल बचे हैं और उनके पास अगर कोई मुद्दा नहीं है तो वो धर्मांतरण को मुद्दा बनाकर सुर्खियां बटोरने में लगे हुए हैं.
धर्मांतरण के नाम पर हो रहा दंगा फसाद
उन्होंने कहा कि यदि उन्हें लगता है हम ईसाई हैं तो यह वो ये साबित करके दिखाएं. आदिवासी समाज के बैठक में आकर बताएं. बस्तर संभाग के सभी जिलों में आदिवासी ईसाई समुदाय में शामिल हो रहे हैं. इसके विषय में सर्व आदिवासी समाज सोचता है? जिन जिन जनजातियों के लोग शामिल हो रहे हैं, उनसे उनके समाज के लोग बातचीत कर उन्हें वापस लाने का काम कर रहे हैं. वो समाज की ओर से ही घर वापसी कर रहे हैं ना कि राजनीतिक कारणों से. धर्मांतरण के नाम पर दंगा फसाद हो रहा है. मारपीट हो रही है. कुल मिलाकर आदिवासी समाज को बदनाम करने की साजिश बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कर रही हैं.