Pariksha Pe Charcha 2023: कभी नक्सलियों का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का दरभा अब 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र रूपेश कश्यप  के नाम से जाना जाएगा, क्योंकि रूपेश कश्यप प्रदेश से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ((Narendra Modi) से सवाल करने वाले एकमात्र छात्र बने हैं. दरभा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र रूपेश दिल्ली में प्रधानमंत्री की परीक्षा पे चर्चा- 2023 कार्यक्रम में शामिल हुए और उनसे परीक्षा को लेकर सवाल किया.


खास बात यह रही कि आदिवासी छात्र रुपेश कश्यप ने दिल्ली जाकर भी अपनी संस्कृति नहीं छोड़ी. वो इस कार्यक्रम में बस्तर के पारंपरिक वेशभूषा में ही पहुंचे थे. यही नहीं कार्यक्रम के बाद बकायदा बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूपेश कश्यप के पहनावे की भी तारीफ की और बस्तर के बारे में भी उनसे पूछा. यही नहीं जब आदिवासी परिवेश में रुपेश कश्यप कार्यक्रम में पहुंचे और प्रधानमंत्री से सवाल करने के लिए खड़े हुए तो प्रधानमंत्री ने कैमरामैन से कहा कि छात्र को दिखाएं. जिसके बाद आदिवासी छात्र के प्रधानमंत्री से सवाल पूछा. छात्र का सवाल पूछने वाला वीडियो सोशल मीडिया में भी जमकर वायरल हो रहा है.


आदिवासी छात्र ने प्रधानमंत्री से पूछा ये सवाल
दरअसल रूपेश कश्यप दरभा ब्लॉक  के कोयेपाल गांव का रहने वाले हैं. वो स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र हैं. शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित हुए "परीक्षा पे चर्चा-2023 कार्यक्रम में रूपेश कश्यप ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि परीक्षा में अनुचित साधनों को कैसे नजर अंदाज करें ? इस सवाल के बाद पीएम मोदी ने इस विषय पर करीब 6 मिनट का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने इस सवाल को अच्छा बताते हुए कहा 'आजकल तेजी से मूल्यों में बदलाव आया है. वो गलत है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कुछ शिक्षक ट्यूशन क्लासेस चलाते हैं और उन्हें लगता है कि पैसे लिए हैं तो उनके बच्चों के अच्छे से रिजल्ट आएं. यह गलत है. उन्होंने कहा कुछ बच्चे पढ़ने में समय नहीं लगाते, लेकिन नकल करने के लिए नए-नए तरीके ढूंढने में घंटों लगाते हैं. उनका यह तरीका क्रिएटिव होता है. कुछ लोग छोटी-छोटी पर्चियां बनाते हैं. इसी टैलेंट को अगर वो पढ़ने में लगा दें तो बेहतर रिजल्ट आ जाए.'






 


छात्रों ने पीएम के लिए बजाई तालियां 
पीएम ने कहा 'अब जिंदगी और दुनिया बदल चुकी है और हर कदम पर परीक्षा चल रही है. ऐसा करके बच्चे परीक्षा तो पास कर सकते हैं, लेकिन जिंदगी के परीक्षा में फस जाएंगे. जो कड़ी मेहनत करते हैं उनकी मेहनत जिंदगी में रंग लाती है. नकल करने वाले को होने वाले फायदे को देखकर मैं भी उसी रास्ते पर निकल जाऊं ऐसा बिल्कुल मत सोचना. परिक्षाएं आएंगी और जाएंगी लेकिन जिंदगी जी भर के जीनी हैं. और जीतते- जीतते जीनी है. इसलिए शॉर्टकट नहीं अपनाना है.'  इस जवाब के बाद वहां मौजूद छात्रों ने प्रधानमंत्री के सम्मान में जमकर तालियां बजाईं.


बस्तर की पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचा छात्र
इस कार्यक्रम में शामिल हुए रुपेश कश्यप ने एबीपी न्यूज को बताया कि उसने कभी नहीं सोचा था कि अपने जीवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी और 26 जनवरी की परेड और झांकी कभी दिल्ली के  लाल किले में बैठकर देखने को मिलेगी. रुपेश कश्यप ने बताया कि उसने राष्ट्रीय बाल भवन में 3 दिन गुजारे और तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में शामिल होने का न केवल मौका मिला, बल्कि प्रधानमंत्री से सवाल पूछने का भी मौका मिला. ये उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन था. उसने बताया कि लाल किले की प्राचीन इमारत  से परेड और झांकियां देखना उसके लिए अद्भुत था. 


देश के कोने-कोने से आए बच्चों के बीच रुपेश कश्यप ने आदिवासी वेशभूषा का धारण किया था. यह वेशभूषा आदिवासी संस्कृति से जुड़ी हुई है. रुपेश कश्यप ने कोड़ी साफा और कोड़ी फेटा पहना हुआ था. दरअसल आदिवासी ये वेशभूषा तब धारण करते हैं, जब गांव में कोई त्यौहार, मंडई और मेले जैसे विशेष कार्यक्रम होते हैं. बता दें इस कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ से दो छात्रों का चयन किया गया था.


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