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Chhattisgarh: बस्तर में फूटा आदिवासियों का गुस्सा, अपनी मांगों को लेकर 12 कांग्रेसी विधायकों के कार्यालय का किया घेराव
Chhattisgarh Tribals Protest: आदिवासी समाज के लोगों ने शनिवार को बस्तर के सभी 12 विधानसभा सीट के विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में राज्य सरकार के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज के लोगो का गुस्सा फूट पड़ा. आज सर्व आदिवासी समाज के सैकड़ों लोगों ने बस्तर संभाग के सभी 12 विधानसभा के कांग्रेसी विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव किया. राज्य सरकार के साथ ही विधायकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सुरक्षा में तैनात पुलिस के जवानों और ग्रामीणों के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर 15 दिन के भीतर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो इससे भी बड़ा प्रदर्शन और उग्र आंदोलन करने के लिए वे बाध्य होंगे. जिसका खामियाजा राज्य सरकार को भुगतना पड़ेगा.
दरअसल सर्व आदिवासी समाज ने बीते 21 जून को संभाग के सभी सातों जिलों में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. 15 दिन के भीतर उनकी प्रमुख तीन मांग जिसमें स्थानीय आरक्षण को बहाल करने, पेशा कानून में संशोधन करने और राजस्व संहिता की धारा 165/ 6.02 पर संशोधन करने की मांग की गई थी, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी इन मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, जिसके चलते शनिवार को पूरे बस्तर संभाग के सैकड़ों आदिवासियों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में विधायक के निवास और कार्यालय का घेराव किया.जमकर नारेबाजी भी की.
मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा उनकी मांगों की अनदेखी से बस्तर के आदिवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है. इस वजह से शनिवार को विधायकों के निवास औऱ कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया गया है. अगर आने वाले 15 दिनों में उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो बस्तर के पूरे आदिवासी समाज के हजारों लोग सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय आरक्षण को बहाल नहीं किए जाने से आदिवासी युवाओं को शासकीय विभागों में निकली स्थानीय भर्ती का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से समाज के हजारों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
मुख्यमंत्री का नहीं आया जवाब
इसके अलावा पेशा कानून में भी संशोधन की मांग आदिवासी समाज के द्वारा लंबे समय से की जा रही है. बस्तर के जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का हक है. ऐसे में पेशा कानून में भी संशोधन किया जाना जरूरी है. वहीं राजस्व संहिता की धारा 165 /6 .02 पर संशोधन की भी मांग समाज ने की है, लेकिन राज्य सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद भी अब तक समाज की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से कोई बयान जारी नहीं किया है ,और ना ही इसको लेकर गंभीर नजर आ रहे है. जिस वजह से शनिवार को समाज के लोगों ने सभी विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव किया है.
पुलिस और समाज के लोगों के बीच हुई झूमाझटकी
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि सभी 12 विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव प्रदर्शन कर सरकार को चेतावनी दी गई है. अगर 15 दिनों के भीतर उनकी सभी मांग पूरी नहीं होती है तो आदिवासी समाज के युवाओं को सड़क पर उतरने को बाध्य होना पड़ेगा और उग्र आंदोलन किया जाएगा. जिसकी जवाबदारी राज्य सरकार की होगी. इधर आदिवासी समाज के लोगों के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भी सभी विधायकों के निवास और कार्यालयों में बैरिकेट्स लगाकर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे, इस दौरान पुलिस और समाज के लोगों के बीच जमकर झूमा झटकी भी हुई.
दरअसल सर्व आदिवासी समाज ने बीते 21 जून को संभाग के सभी सातों जिलों में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. 15 दिन के भीतर उनकी प्रमुख तीन मांग जिसमें स्थानीय आरक्षण को बहाल करने, पेशा कानून में संशोधन करने और राजस्व संहिता की धारा 165/ 6.02 पर संशोधन करने की मांग की गई थी, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी इन मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, जिसके चलते शनिवार को पूरे बस्तर संभाग के सैकड़ों आदिवासियों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में विधायक के निवास और कार्यालय का घेराव किया.जमकर नारेबाजी भी की.
मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा उनकी मांगों की अनदेखी से बस्तर के आदिवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है. इस वजह से शनिवार को विधायकों के निवास औऱ कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया गया है. अगर आने वाले 15 दिनों में उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो बस्तर के पूरे आदिवासी समाज के हजारों लोग सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय आरक्षण को बहाल नहीं किए जाने से आदिवासी युवाओं को शासकीय विभागों में निकली स्थानीय भर्ती का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से समाज के हजारों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
मुख्यमंत्री का नहीं आया जवाब
इसके अलावा पेशा कानून में भी संशोधन की मांग आदिवासी समाज के द्वारा लंबे समय से की जा रही है. बस्तर के जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का हक है. ऐसे में पेशा कानून में भी संशोधन किया जाना जरूरी है. वहीं राजस्व संहिता की धारा 165 /6 .02 पर संशोधन की भी मांग समाज ने की है, लेकिन राज्य सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद भी अब तक समाज की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से कोई बयान जारी नहीं किया है ,और ना ही इसको लेकर गंभीर नजर आ रहे है. जिस वजह से शनिवार को समाज के लोगों ने सभी विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव किया है.
पुलिस और समाज के लोगों के बीच हुई झूमाझटकी
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि सभी 12 विधायकों के निवास और कार्यालय का घेराव प्रदर्शन कर सरकार को चेतावनी दी गई है. अगर 15 दिनों के भीतर उनकी सभी मांग पूरी नहीं होती है तो आदिवासी समाज के युवाओं को सड़क पर उतरने को बाध्य होना पड़ेगा और उग्र आंदोलन किया जाएगा. जिसकी जवाबदारी राज्य सरकार की होगी. इधर आदिवासी समाज के लोगों के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भी सभी विधायकों के निवास और कार्यालयों में बैरिकेट्स लगाकर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे, इस दौरान पुलिस और समाज के लोगों के बीच जमकर झूमा झटकी भी हुई.
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