Bastar News: प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के प्रति देशवासियों को जागरूक करने के लिए एक युवा ने पिछले सालभर में 16 राज्यों का पैदल भ्रमण किया है. इस दौरान ये नागपुर निवासी युवा रोहन अग्रवाल रविवार को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला बीजापुर पहुंचा. रोहन ने लगभग दस हजार किलोमीटर पैदल और चालीस हजार किलोमीटर का सफर लिफ्ट मांग कर तय किया है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर पहुंचने के बाद युवक का कांग्रेसियों और शहरवासियों ने स्वागत किया. युवक ने बताया कि जागरूकता के लिए भारत के सभी राज्य की यात्रा करने का उसने लक्ष्य रखा है.
16 राज्यों में पैदल भ्रमण
युवक रोहन अग्रवाल ने बताया कि वह नागपुर के कामटी का रहने वाला है. 25 अगस्त 2020 को उसने अपनी यात्रा शुरूआत की थी. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गोवा, पांडुचेरी, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश समेत 16 राज्यों में पद यात्रा पूरी कर छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया. इस यात्रा में कई जगह लोगों ने मदद की तो कई जगह सड़क के किनारे या फिर जंगल में पेड़ों के नीचे उसने रात गुजारी. भूख लगती तो पानी पीकर गुजारा कर लेता था. लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी क्योंकि देश को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करने का जुनून सवार था.
प्रभावित हुए लोग
रोहन को अपनी इस यात्रा के दौरान रास्तों में कई कठिनाई भी आई. उन कठिनाइयों का डट कर सामना किया. रोहन ने बताया कि वह अपने यात्रा के दौरान विभिन्न राज्यों में रुककर वहां के सार्वजनिक जगहों पर खड़ा होकर लोगों को प्लास्टिक के नुकसान के बारे में बताते थे. इसके अलावा उन्होंने संदेश दिया कि प्लास्टिक का उपयोग कम करें तो देश में स्वच्छता भी बरकरार रहेगी. कई लोग उनके बातों से प्रभावित भी हो रहे हैं.
विदेशों में जागरूकता अभियान
रोहन ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा, बिहार, झारखंड, सिक्किम समेत बचे हुए राज्यों की यात्रा पूरी करनी है. वहां के लोगों को भी जागरूक करना है. रोहन ने पूरे भारत देश का भ्रमण करने के बाद विदेश यात्रा पर निकलने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, चाइना, हॉन्गकॉन्ग, रसिया समेत अन्य देशों का भ्रमण करने की उनकी मंशा है. वहां के लोगों को भी प्लास्टिक के नुकसान के प्रति जागरूक करना है.
चंबल घाटी में डकैत से हुआ सामना
रोहन ने बताया कि अपने पदयात्रा के दौरान जब वह चंबल घाटी पहुंचा तो उसका सामना एक डकैत से भी हुआ. डकैत ने बंदूक दिखाकर उसके पास बैग में रखे सामान को दिखाने को कहा रोहन ने बताया कि वह काफी डर गया था. वो डकैत को समझा रहा था कि बैग में कुछ खास समान नहीं है, बस कपड़े और जरूरत के थोड़े बहुत सामान हैं. डकैत एक ही बातों पर अड़ा रहा कि सामान दे दो वरना जान से मार दूंगा. फिर रोहन ने कहा कि मुझे दो मिनट अपनी बात रखने का मौका दो. जब रोहन ने उसे अपने लक्ष्य के बारे में बताया तो वह खुश हो गया और खुश होकर उसने रोहन को बदले में एक हजार रुपए दिए. खाना भी खिलाया फिर अपनी मोटर साइकिल में बिठाकर चंबल घाटी को पार करवाया.
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