Bastar News: आजाद के बाद भी का छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक ऐसा इलाका जो बुनियादी सुविधाओं से अछूता रहा है. ग्रामीणों के पक्के मकान का सपना अब जाकर साकार हो रहा है. छत्तीसगढ़ के बस्तर के अबूझमाड़ जहां न सड़कों का पता है न ही राज्य सरकार के सर्वे का, लेकिन इस इलाके में जवानों की पहुंच के बाद नक्सली लगातार बैकफुट में आए और अब इन इलाकों में प्रशासन की टीम पहुंच रही है और सरकार की योजना का लाभ भी पहुंचा रही है इसी के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अब इन क्षेत्रों के ग्रामीणों तक पहुंच रहा है और पक्के मकान पाकर अबूझमाड़ के ग्रामीणों के चेहरे खिल उठ रहे हैं.


नक्सगढ़ में बुनियादी सुविधाओं का था अभाव


छत्तीसगढ़ का नारायणपुर जिला सबसे पिछड़े जिलों में माना जाता है क्योंकि इस जिले का माढ़ इलाका आज भी विकास से अछूता है और यहां के गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है, लेकिन कुछ महीनों से इस माढ़ इलाके की तस्वीर बदल रही है और इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है.


इसी के तहत आजादी के 75 साल बाद पहली बार यहां के वन वासियों को पक्के मकान मिले हैं ,इससे पहले यहां के ग्रामीण झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर थे और खासकर बरसात के मौसम में इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, हमेशा ही सरकार से उम्मीद लगा कर बैठे इन ग्रामीणों की 4 साल से सपने साकार हो रहे हैं, और पक्का मकान भी मिल रहा है.


नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित गांव गारंजी के रहने वाले संतेर कोर्राम ने बताया कि उनके गांव में नक्सलियों की मौजूदगी होने की वजह से सरकार की कोई योजना नहीं पहुंच पाती थी.


उनका परिवार सालों झोपड़ी में ही रहकर गुजारा, लेकिन 3 साल पहले उनके झोपड़ी का सर्वे हुआ और बकायदा उनका बैंक अकाउंट खोला गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें 1 लाख 30 हजार रुपये मिला और अब उनका मकान पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है, इसी के साथ प्रधानमंत्री  उज्ज्वला योजना और स्मार्ट कार्ड का भी लाभ उन्हें मिला है.


सालों बाद पक्के मकान का सपना हुआ साकार


वहीं गरांजी गांव के ही रहने वाले गंगाराम नेताम ने बताया कि वह खेती किसानी का काम करते हैं, और अपने परिवार को एक झोपड़ी में रहकर पाल रहे थे, उनके गांव तक कभी विकास नहीं पहुंचा, सड़क ,बिजली और ना ही पेयजल की सुविधा थी, पक्का मकान तो उनके लिए एक सपना ही था, लेकिन इस इलाके में पुलिस कैंप खुला और कैंप खुलने के बाद अब सड़क बन रही है, और उन्हें सरकार की तरफ से पक्का मकान भी मिला.


उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी आधी जिंदगी झोपड़ी में ही गुजारी जहां ना बिजली की सुविधा थी और ना ही शौचालय की ,लेकिन अब उन्हें पक्का मकान भी मिला है. शौचालय भी बन गया है ,और सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है.


नक्सल प्रभावित इलाके के ग्रामीणों को मिल रहा लाभ


नारायणपुर जिले के कलेक्टर अजीत वंसत ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जितने भी मकान पहले स्वीकृत है उन सभी मकानों को पूरा किया जा रहा है. वहीं इस योजना के तहत ऐसे इलाकों में मकान बनाया जा रहा है जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से सालों से कभी विकास नहीं पहुंच सका. ऐसे में इस इलाके के  ग्रामीणों को चिन्हाकित कर सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है.


कलेक्टर ने बताया कि 2016-17 से 2019- 20 तक जिले के 633 हितग्राहियों को करीब 1 करोड़ 61 लाख रुपए मकान के लिए जारी किया गया है, साल 2011 से 2020 तक अब तक नक्सल प्रभावित गांव के ग्रामीणों को 2 हजार 217 पक्के मकानों की सौगात प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी जा चुकी है.


वहीं प्रशासन कोशिश कर रही है कि साल 2020 से 2023 तक अबूझमाड़ के कई गांवो तक प्रशासन की टीम पहुंचे और वहां के रहने वाले वनवासियों के भी घरों का सर्वे कर साथ ही उनका बैंक खाता खुलवा कर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जा सके, कलेक्टर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को इस इलाके तक पहुंचाने के लिए प्रशासन पूरी तरह से प्रयास कर रहा है, वहीं इस इलाके से अब बड़ी संख्या में पक्के मकानों के लिए आवेदन भी आ रहे हैं.


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