Chhattisgarh News: भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार पर मंत्री कवासी लखमा ने कसा तंज, जानिए- क्या कहा?
Chhattisgarh: कवासी लखमा भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा "आरक्षण के मुद्दे की आढ़ में आदिवासियों को कांग्रेस के प्रति भड़काने का बीजेपी का फॉर्मूला फेल हो गया."
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर में हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी की हुई जीत के बाद मंत्री कावासी लखमा ने बीजेपी की हार पर तंज कसना शुरू कर दिया है. मंत्री कवासी लखमा ने कहा "आरक्षण के मुद्दे को लेकर आदिवासियों को भड़काना उन्हें भारी पड़ा है". इसके साथ ही उन्होंने कहा "ब्रह्मानंद नेताम को प्रत्याशी बनाए जाने से बीजेपी के चुनाव प्रभारी को दिल्ली से डंडा भी पड़ा है कि, ऐसे प्रत्याशी को चुनाव में क्यों उतारा जिस पर दुष्कर्म का आरोप लगा है".
लखमा ने कहा "छत्तीसगढ़ में आदिवासी कांग्रेस से कभी नाराज नहीं हो सकते. उन्हें बहलाने की कोशिश जरूर की गई, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी हमेशा कांग्रेस के साथ ही खड़े हैं." उन्होंने कहा इस चुनाव में आदिवासियों ने कांग्रेस को भरपूर प्यार और आशीर्वाद दिया इसी का नतीजा रहा कि कांग्रेस की प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने भारी मतों से उपचुनाव में जीत दर्ज की."
बीजेपी की ओर से आदिवासियों को भड़काने की कोशिश की जा रही थी- कवासी लखमा
प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा, "इस उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने आरक्षण के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की, लेकिन बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी और हार का सामना करना पड़ा."
लखमा ने कहा, "हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि आदिवासी कांग्रेस से नाराज नहीं हैं, बीजेपी की ओर से आदिवासियों को भड़काने की कोशिश की जा रही थी". उन्होंने कहा "साजिश के तहत बीजेपी आदिवासियों को कांग्रेस से लड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन भानुप्रतापपुर की जनता ने यह दिखा दिया कि भानुप्रतापपुर की वो सोनिया गांधी की पार्टी के साथ हैं".
हमने विधेयक राज्यपाल को सौंप दिया- कवासी लखमा
उन्होंने कहा "आरक्षण के मुद्दे की आढ़ में आदिवासियों को कांग्रेस के प्रति भड़काने का बीजेपी का फॉर्मूला फेल हो गया." कवासी लखमा ने आगे कहा, "हमने आरक्षण को लेकर विधेयक पारित कर दिया है और, महामहिम राज्यपाल को भी हस्ताक्षर के लिए विधेयक सौंप दिया है."
लखमा ने कहा, "अगर बीजेपी आदिवासियों की थोड़ी बहुत भी हितेषी है, तो राज्यपाल से मिलकर जल्द से जल्द इस आरक्षण के विधेयक में हस्ताक्षर करा लें और, जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ में इस आरक्षण को लागू कराने की कोशिश करें.
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