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Chhattisgarh News: तीर-धनुष लेकर सिलगेर कैंप के सामने ग्रामीणों का उग्र आंदोलन, जानें क्या है उनकी मांग?

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सिलगेर गांव में पुलिस कैम्प के विरोध ने उग्र रूप ले लिया है. आंदोलनरत 10 ग्रामीणों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. यहां जानें पूरा मामला.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सिलगेर गांव में नये पुलिस कैम्प के विरोध और 4 ग्रामीणों के हत्यारों को सजा देने की मांग को लेकर पिछले 8 महीने से सिलगेर कैम्प के सामने धरने पर सैकड़ों आदिवासी बैठे हैं. इस आंदोलन के कुछ प्रमुख लोग छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करने जा रहे थे इसी दौरान 10 आदिवासियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. बताया जा रहा है कि इन सभी आदिवासियों को कोंडागांव जिले की पुलिस ने पकड़ा है. जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा है वे सिलगेर, पुसनार, सिंगारम में चल रहे आंदोलन को लीड कर रहे थे.

शनिवार को मूलवासी बचाओ मंच ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी मीडिया को दी है. हालांकि इस मामले में पुलिस की तरफ से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है. वहीं 10 आदिवासियों को पुलिस द्वारा अपने साथ ले जाने से सिलगेर आंदोलन में बैठे ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है.

10 ग्रामीणों को हिरासत में लेने का आरोप

दरअसल छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में पुलिस कैंप के विरोध में पिछले 8 महीने से ग्रामीण तंबू बांधकर आंदोलन में बैठे हुए हैं. वहीं शनिवार को तीर-धनुष समेत पारंपरिक हथियार लेकर ग्रामीण कैंप के सामने तक पहुंच गए थे. जिन्होंने एक बार फिर कैंप के सामने जमकर नारेबाजी की.आंदोलन पर बैठे ग्रामीण आदिवासियों का कहना है कि पुलिस कैम्प के लिए हम अपनी जमीन हड़पने नहीं देंगे. साथ ही सिलगेर में बने नये पुलिस कैंप को भी हटाने की मांग ग्रामीण कर रहे है.जैसे ही ग्रामीणों को इस बात का पता चला कि राज्यपाल से मिलने जा रहे 10 आंदोलनकारियों को पुलिस जबरन अपने साथ उठाकर ले गयी है ऐसे में आंदोलन पर बैठे ग्रामीणों का गुस्सा और फूट पड़ा है और ग्रामीण कैम्प के सामने जमकर नारेबाजी भी कर रहे हैं.

मृतकों को मुआवजा राशि देने की मांग

सिलगेर में आंदोलन में बैठे ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें न तो इलाके में पुलिस कैंप चाहिए और न ही पक्की सड़कें, यदि सड़क बनती है तो उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.जवान उन पक्की सड़कों के माध्यम से आसानी से गांव तक पहुंचेंगे और जंगल में लकड़ी लेने या फिर शिकार पर गए ग्रामीणों को नक़्सली बताकर फर्जी एनकाउंटर कर दिया जाएगा या फिर उन्हें नक्सली बताकर गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाएगा. ग्रामीणों ने सड़क और कैम्प के विरोध के साथ साथ पुलिस की गोलीबारी से मारे गये 4 मृतकों को 1-1 करोड़ रुपए का मुआवजा राशि देने की मांग ग्रामीणों ने की है. ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस की गोलियों से 3 लोगों की और भगदड़ में एक गर्भवती महिला की मौत हुई थी. कई ग्रामीण घायल भी हुए थे. सरकार मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए और घायलों को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा दें, साथ ही सिलगेर में हुए गोलीकांड की न्यायिक जांच भी की जाए...

क्या हुआ था सिलगेर में 

दरअसल मई 2021 में नक्सल प्रभावित इलाके सिलगेर में नया पुलिस कैंप खोला गया था. यहां कैंप खुलने के दूसरे दिन ही इलाके के हजारों ग्रामीण आंदोलन में बैठ गए थे. इस बीच सुरक्षा बलों के साथ ग्रामीणों की झड़प हुई थी. ऐसे में जवानों ने फायरिंग भी की थी. जिससे गोली लगने से 3 लोगों की और भगदड़ में एक महिला की जान चली गई थी.पुलिस का कहना था कि इस भीड़ में नक्सली भी मौजूद थे. जबकि ग्रामीणों ने मारे गए लोगों को निर्दोष आदिवासी बताया था. इधर ग्रामीणों को कोंडागांव पुलिस द्वारा उठाए जाने के सवाल पर पुलिस की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है. वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि सिलगेर आंदोलन के मामले को लेकर ग्रामीण राज्यपाल से मिलने जा रहे थे और पुलिस ने राज्य सरकार के इशारे पर साजिश के तहत उन्हें आधे रास्ते से ही उठा लिया है और ग्रामीणों को कहां रखा गया है इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.

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