छत्तीसगढ़ के बीजपुर जिले में मंगलवार से करीब 17 साल पहले नक्सलियों द्वारा तोड़े गए स्कूल में एक बार फिर से स्कूल की घंटी बजने लगी है और आसपास के गांव के बच्चे अब बेख़ौफ़ स्कूल पहुंच रहे हैं. दरअसल साल 2005 में सलवा जुडूम के दौरान बस्तर संभाग के कई इलाकों में नक्सलियों ने स्कूल,आश्रम और अस्पताल भवन तोड़ दिए थे. सड़कों को काटकर इन इलाकों में आवागमन बाधित कर दिया. करीब 17 साल बाद उन बंद स्कूलों और सड़कों को वापस बहाल करने में शासन प्रशासन के साथ संबंधित विभाग को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. बीजापुर इलाके में भी ऐसे बन्द दो स्कूलों को दोबारा शुरू करने के लिए प्रशासन को एड़ी चोटी लगानी पड़ी. 


जिले के मुनगा और पेदाकोरमा गांव में पिछले 17 सालों से घण्टी की गूंज बन्द हो गई थी और इलाके के नौनिहाल पूरी तरह शिक्षा से वंचित थे. सलवा जुडूम के दौर में स्कूल भवनों को नक्सलियों ने तोड़ दिया था और तब से लेकर अब तक यहां के बच्चे शिक्षा से पूरी तरह वंचित थे. 17 सालों बाद शिक्षा विभाग और यहां के शिक्षकों के प्रयास से इन दो जगह झोपड़ियों में स्कूल का संचालन शुरू कर दिया गया है और 17 सालों बाद स्कूलों में घंटी भी अब बजने लगी है. अब बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल पहुंचने लगे हैं.




160 बच्चे 17 साल बाद स्कूल पहुंचे


इन स्कूलों के शुरू होने से जहां ग्रामीण काफी खुश है तो वहीं शासन-प्रशासन भी अब चैन की सांस लेने लगा है. ग्रामीणों की मांग के बाद पेदाकोरमा और मुनगा गांव में स्कूल खोलने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एक दिन पहले ही रात को ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल के जरिए जंगली और पहाड़ी रास्तों से होते हुए इन गांवो तक पहुंचना पड़ा था. विभाग के अधिकारी बच्चों के शिक्षा के लिए जरूरी सामान भी अपने साथ ट्रैक्टर में लेकर आये और रात गुजारने के बाद दूसरे दिन मुनगा गांव में करीब 70 और पेदाकोरमा गांव में करीब 90 बच्चों के साथ 17 सालों बाद स्कूलों का संचालन शुरू किया गया.


इन  स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बनाये रखने के  लिए गांव के ही पढ़े-लिखे युवकों को ज्ञानदूत के पद पर नियुक्त किया गया है. जो रोजाना बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दिया करेंगे. दो दिनों तक स्कूल खोलने की इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे और स्कूल के शुरू होते ही ग्रामीणों ने अब अपने गांव में आश्रम, आंगनबाड़ी के साथ ही अस्पताल खोलने की भी मांग कर दी है.


190 स्कूलों में दोबारा शुरू हुई पढ़ाई 


इस क्षेत्र के ब्लॉक एजुकेशन ऑफ़िसर जाकिर खान ने बताया कि पूरे जिले में सलवा जुडूम के दौर में करीब 250 से ज्यादा स्कूल बंद कर दिए गए थे जिनमें से इस समय करीब 190 स्कूलों का संचालन नए सिरे से कर दिया गया है, जहां पर स्थानीय पढ़े लिखे युवाओं को ज्ञानदूत बनाकर उनकी नियुक्ति कर बच्चों को शिक्षा दिया जा रहा है. 


उन्होंने बताया कि बंद स्कूलों को शुरू करने के लिए पहले गांव वालों की सहमति लेनी पड़ती है या फिर गांव वालों के मांग के हिसाब से स्कूलों का संचालन शुरू किया जाता है. जिसके लिए गांव में ही एक झोपड़ी तैयार किया जाता है जिसमें ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार गांव के ही पढ़े-लिखे युवाओं को बच्चों को शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया जाता है. बाद में उसी झोपड़ी का निर्माण कर बच्चों के लिए स्थाई भवन का निर्माण कर उन्हें शिक्षा दी जाती है, जिसके बाद प्राथमिक शिक्षा पूरी होते ही माध्यमिक शिक्षा के लिए भी नए सिरे से भवन का निर्माण किया जाएगा.


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