Bilaspur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में शराबबंदी (Liquor Ban) 2018 विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनावी घोषणा थी. सरकार बनने के बाद राज्य में शराबबंदी किया जाना था लेकिन तीन साल बाद भी शराबबंदी नहीं हुई है. इस वादे को याद दिलाने के लिए कांग्रेस (Congress) से जुड़े एक कार्यकर्ता ने बिलासपुर (Bilaspur) में शराबबंदी के लिए सत्याग्रह शुरू कर दिया है. पिछले 49 दिनों से उपवास रहकर शराबबंदी की मांग और जनता को शराब से हो रहे नुकसान को लेकर जागरूक कर रहे हैं.


49 दिनों से उपवास
दरअसल, बिलासपुर के नेहरू चौक पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की वेशभूषा में संजय सिघांनी धरने पर बैठे हैं. ये सिलसिला पिछले 49 दिनों से जारी है. पहले कुछ लोग वहां पहुंचते थे लेकिन अब रोजाना 200 से 250 लोग नेहरू चौक पहुंच रहे हैं. संजय बताते है कि शराबबंदी के लिए दो साल से अभियान चला रहा है और पिछले 49 दिनों से धरने पर बैठे हैं. संजय का कहना है कि गांधी जी के सिद्धांत सरकार को याद दिलाना है और जनता को जगाना है.


बिना चप्पल की थी पदयात्रा
संजय सिघांनी खुद कांग्रेस समर्थक हैं. उन्होंने बताया कि 2018 विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने राज्य में कांग्रेस सरकार लाने के लिए सात महीने तक बिना चप्पल के पदयात्रा की. इस दौरान विचार पदयात्रा में धमतरी से रायपुर तक पैदल यात्रा की. उन्होंने कहा कि गांधी कांग्रेस का समर्थन करते हैं, जिसका जनता से सरोकार है. सीएम भूपेश बघेल ने शपथ लिया तो उन्होंने मुझे चप्पल पहनाई थी. 


शराबबंदी को क्यों बताया जरूरी
संजय ने बताया कि कोरोना काल में जब देशभर में लॉकडाउन लगा उस समय शराबबंदी का अच्छा मौका था क्योंकि लंबे समय तक लोग शराब से दूर थे. लेकिन जब शराब की दुकान खुल गई, लोग ने शराब के लिए घर के बर्तन भाड़े सबकुछ बेचने लगे हैं. इस परिस्थिति को देखकर मैं विचलित हो गया है. शराब पीने वाले के घर में हिंसा होती है. शराब की लत में बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. दुकानों तक में छोटे बच्चों को शराब दी जा रही है. इसलिए समाज में सुधार के लिए शराबबंदी जरूरी है.


कैसा रहता है सत्याग्रह
बिलासपुर के नेहरू चौक में रोज सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक संजय धरने पर बैठ जाते हैं. 25 दिनों तक केवल चाय पीकर उपवास जारी रखे हुए थे. लेकिन धरना लंबा खिंच जाने के अनुमान के बाद रोजाना दो कप चाय पीते हैं. उन्होंने बताया कि चाय से भूख मार जाती है, इसलिए सुबह और शाम चाय पीते हैं. इसके साथ एक सेव और एक केला भी खाते हैं.


राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग
49 दिनों के उपवास के बाद भी न तो प्रशासन के अधिकारी पहुंचे और न ही जनप्रतिनिधि. संजय ने बताया कि जब तक शराबबंदी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा. इच्छा मृत्यु के लिए बिलासपुर कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को आवदेन किया गया है. उन्होंने बताया कि शराबबंदी की मांग की लेकर दो बार बिलासपुर से पदयात्रा की है. 


संजय सिघांनी के बारे जानिए
संजय एक मिडिल क्लास फैमली के हैं. पिता का 6 साल पहले निधन हो गया था. संजय ने बताया कि वो केवल 8वीं तक पढ़े हैं. परिवार में सबसे छोटे हैं. बड़े भाई की मोबाईल दुकान और घर में एक किराने की दुकान है, जिसमे मैं पहले बैठता था. लेकिन उपवास के बाद अब मां किराने की दुकान में बैठती है. संजय ने बताया कि परिवार का पूरा इस धरने की समर्थन मिल रहा है. पिताजी भी समाज सेवा कार्य करते थे, इस लिए घर वालों की तरफ से कोई आपत्ती नहीं है.


ये भी पढ़ें-


Chhattisgarh News: लिव-इन में रह रही युवती ने लगाई फांसी, सुसाइड के पहले पति और भाई को फोन पर कही यह बात


'उल्टा घड़ी' की कहानी, सूइयां चलती हैं राइट से लेफ्ट, जानें क्या है गोंड आदिवासियों की इसको लेकर मान्यता