Bilaspur News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान आया है. उन्होंने दिव्य दरबार दिखाने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ आकर धसकती हुई जमीन को रोककर दिखाएं. तब मैं उनके चमत्कार को मैं मान्यता दुंगा. वहीं धर्मान्तरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के पक्ष में बोलने वाले या विरोध करने वालों के पीछे धार्मिक कारण नहीं है. इसके पीछे राजनीतिक कारण है.
दिव्य दरबार को लेकर शंकराचार्य क्या कहा
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि वेदों के अनुसार चमत्कार दिखाने वालो को मैं मान्यता देता हूं, लेकिन अपनी वाहवाही और चमत्कारी बनने की कोशिश करने वालों को मैं मान्यता नहीं देता. शंकराचार्य ने दिव्य दरबार लगाने को लेकर कहा कि देखिए भविष्य हमारे यहां ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फलादेश होता है. हमारे यहां जो ज्योतिष है वो त्रिस्तकंद माना गया है. उसमें एक होरा शास्त्र भी है. होरा शास्त्र का मतलब होता है जिससे जन्म कुंडली बनाई जाती है या प्रश्न कुंडली बनाई जाती है.
अविमुक्तेश्वरानंद बोलो- शास्त्र की कसौटी पर गुरु की बात
उन्होंने कहा कि ज्योतिष शास्त्र के आधार पर अगर वहां कोई भविष्य बताया जा रहा है और वह शास्त्र की कसौटी पर है, तो हम उन्हें मान्यता देते हैं. हमारा कहना है कि जो भी धर्मगुरुओं की ओर से कहा जाए वो शास्त्र के कसौटी पर कसा हुआ होना चाहिए. मनमाना नही होना चाहिए. अगर किसी गुरु के मुख से निकल रही बात शास्त्र की कसौटी पर कसी हुई है तो उसे हम मान्यता देते हैं. मनमाना बोलने के लिए ना हम अधिकृत हैं और ना हम मनमाना कहते हैं.
भारत के बंटवारे को लेकर भी दिया था बयान
पिछले दिनों जबलपुर में दिए अपने बयान में उन्होंने कहा था कि जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए थे. उस समय मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि मुसलमानों को अलग कर दिया जाए. क्योंकि वह अपनी धरती पर जाकर खुश रहेंगे. इसलिए भारत के टुकड़े किए गए थे और पाकिस्तान बनाया गया था. लेकिन उस समय भी कुछ मुसलमान भारत में ही रह गए. यदि उन्हें यहां सुख और शांति की प्राप्ति हो रही है तो फिर पाकिस्तान बनाने की क्या आवश्यकता है. इसलिए एक बार इस मामले में पुनर्विचार किया जाए.
उन्होंने कहा था कि फिर से अखंड भारत की का निर्माण किया जाए. इसी देश में रहना है. हिंदुओं के बीच रहना हिंदू और मुसलमान दोनों की नियति है, तो फिर अलग देश की आवश्यकता नहीं है. इसलिए एक बार फिर से पाकिस्तान पर पुनर्विचार कर दोनों देश को एक कर दिया जाए. इसमें कोई बहुत ज्यादा तकलीफ की बात नहीं है. केवल कागज पर दोनों देश को अपनी सहमति देनी होगी.