छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण बढ़ाने के लिए विधेयक तो पास हो गया है, लेकिन राजभवन से इसे मंजूरी मिलने में देरी हो रही है. इसके लिए अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतक जंग शुरू हो गई है. कांग्रेस ने राजभवन के आचरण को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. कांग्रेस ने राजभवन को बीजेपी के इशारों में काम करने का आरोप लगा दिया है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने आरक्षण के नाम पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजनीति तेज
दरअसल 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में 58 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया है. इसके बाद राज्य में आदिवासी समाज सड़क में उतर गई जमकर बवाल मच फिर सरकार ने चुनाव के ठीक पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कराया है और 2 दिसंबर को ही सरकार की तरफ से मंत्रिमंडल के सदस्यों ने राज्यपाल को विधेयक हाथ में सौप दिया. लेकिन आज 5 दिन बीत जाने के बाद भी राजभवन से विधेयक को मंजूरी नहीं मिली है.
बीजेपी ने कहा -विधेयक से कोई फायदा नहीं होगा
इसके चलते कांग्रेस और बीजेपी में सियासत छिड़ गई है. बीजेपी के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधेयक जिस प्रकार से नियमों, कानूनों व संविधान को तोड़कर लाया और अवैधानिक कृत्य किया है, इससे इस वर्ग को कोई फायदा नही होगा, उल्टा भानुप्रतापपुर चुनाव को प्रभावित करने हड़बड़ी में लाया गया है. यह विधेयक कानूनन सही नही है व कही टिकेगा नहीं. यह सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही, इस सरकार की मंशा कभी भी अनुसूचित जनजाति समाज को फायदा पहुंचाने की नहीं रही है. सितंबर 2022 में उच्च न्यायालय का निर्णय है 3 महीने ने किया क्या? क्यों अध्यादेश नहीं लाया गया?
इधर, कांग्रेस ने राजभवन के आचरण पर सवाल उठाया है और राजभवन को बीजेपी के एजेंडे के अंगार करना बताया है. कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर विलंब करना. अनेक कुशंकाओ को जन्म देता है. राजभवन के आचरण से कभी भी ऐसा महसूस नहीं होना चाहिए कि किसी दल विशेष के एजेंडे के अनुसार काम कर रहा है. आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित हो गया तो राजभवन को उसमे तत्काल मंजूरी देना चाहिए. कांग्रेस ने याद दिलाया है कि इससे पहले भी कृषि संशोधन विधेयक पारित हुआ था तो तब भी हस्ताक्षर करने में विलंब हुआ था. ऐसा बिलकुल भी नहीं लगना चाहिए की राजभवन बीजेपी के इशारों पर चल रहा है.
76 फीसदी आरक्षण का विधायक राजभवन में अटका
गौरतलब है कि आरक्षण संशोधन विधेयक के अनुसार आदिवासी आरक्षण फिर से 32 प्रतिशत, इसी के साथ ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया है. इसके अलावा अनुसूचित जाति ने 16 फीसदी आरक्षण को घटाकर 13 फीसदी किया गया है. वहीं ईडब्ल्यूएस 4 फीसदी आरक्षण पर अटके हुए हैं. पर जब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होंगे भर्ती परीक्षा और एडमिशन प्रक्रिया में छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
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