Chhattisgarh News: बस्तर में बीते कुछ दिनों से बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है, इस जुबानी जंग में दोनों ही दलों के नेता अपनी मर्यादा लांघ रहे हैं और अपने शब्दों के चयन को लेकर हदें पार कर रहे हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है और आरक्षण को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. दोनों ही पार्टियां खुद को आदिवासी हितैषी बताने में लगी हुई हैं और एक दूसरे पर शब्दों के बांण चला रही हैं


केदार और लखमा के बिगड़े बोल 
दरअसल कुछ दिन पहले ही जगदलपुर शहर के बीजेपी कार्यालय में केदार कश्यप ने प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आरक्षण के मुद्दे पर घेरते हुए कह दिया था कि अगर कवासी लखमा असल मां-बाप के बेटे हैं तो छत्तीसगढ़ में आरक्षण लागू करके दिखाएं, इस बयान के बाद जमकर बवाल मचा.  कवासी लखमा भी केदार कश्यप के इस बयान को लेकर उन्हें जवाब देने में पीछे नहीं हटे. कवासी लखमा ने कहा कि मैं तो मां का दूध पिया हूं और अगर केदार कश्यप ने अपनी मां का दूध पिया है तो आरक्षण को लागू करवाने के लिए राज्यपाल के पास जाकर आवेदन दें.


दम है तो आरक्षण की फाइल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर करवाकर दिखाएं


 उन्होंने कहा कि बयानबाजी से कुछ नहीं होता, हमने तो छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण के लिए विधानसभा के विशेष सत्र में विधेयक भी पारित कर दिया गया है, लेकिन अब फाइल  महामहिम राज्यपाल के पास अटकी हुई है, अगर केदार कश्यप अपने आपको आदिवासियों का हितैषी बताते हैं तो केदार कश्यप को चाहिए कि वह पहले राज्यपाल के पास जाएं और आरक्षण के विधेयक पर राज्यपाल का हस्ताक्षर करवाएं और अगर नहीं करवा पाए तो छत्तीसगढ़ के पूरे आदिवासी समझ जाएंगे कि प्रदेश में आरक्षण अब तक लागू नहीं हो पाने की वजह क्या है...


दोनों नेताओं के बीच जारी है जुबानी जंग
दरअसल बीजेपी के पूर्व मंत्री और प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा दोनों ही बस्तर के कद्दावर नेता हैं. एक तरफ जहां केदार कश्यप आरक्षण और बस्तर के अन्य ज्वलनशील  मुद्दों पर कवासी लखमा पर  तंज कसना नहीं छोड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कवासी लखमा भी केदार कश्यप के सभी बयानों पर पलटवार कर रहे हैं लेकिन इस जुबानी जंग में दोनों ही नेता अपनी मर्यादा लांघ रहे हैं.


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