Chhattisgarh Liquor Ban Issue: छत्तीसगढ़ में चुनावी घोषणाओं के बलबूते कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था. बिना किंतु परंतु के कांग्रेस ने 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी. लेकिन अब वही घोषणाएं सरकार के गले की हड्डी बनती जा रही है. कांग्रेस नेताओं के बयान बैकफुट पर लाने में मदद कर रहें हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के बयान पर बीजेपी हमलावर है. छत्तीसगढ़ में फिर से शराबबंदी पर सियासत तेज हो गई है. वरिष्ठ बीजेपी और आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने नाराजगी जताते हुए कांग्रेस पर बड़ा तीखा प्रहार किया है. 


कांग्रेस चाहती है आदिवासी दारू पीकर सोते रहे- बीजेपी


कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम पार्टी के डिजिटल सदस्यता अभियान शुभारंभ कार्यक्रम में अम्बिकापुर आए थे. इस दौरान उन्होंने शराबबंदी के मामले पर प्रतिक्रिया दी थी. मोहन मरकाम के बयान पर नंद कुमार साय ने कड़ी आपत्ति जताई है. साय के मुताबिक कांग्रेस घोषणापत्र के प्रति वचनबद्ध है. उन्होंने कहा था कि सरकार आने पर शराबबंदी करेंगे. साय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की शुरू नीति रही है कि आदिवासी समाज के लोग दारू पीकर पड़े रहें. उनकी कोई प्रगति ना हो, क्योंकि कांग्रेस पार्टी हमेशा से ऐसा ही करती रही है.


मोहन मरकाम के बयान को गलत ठहराते हुए साय ने कहा कि शराब को सबसे पहले जनजातीय समाज में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. जनजाततीय समाज को शिक्षित किया जाना चाहिए और इस समाज की खेती को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. बीजेपी नेता नंद कुमार साय ने आगे कहा कि आदिवासी विकास विभाग को समाज का समग्र विकास के लिए लगाना चाहिए. आदिवासी दारू पी कर सोए रहें इसके लिए कांग्रेस पार्टी समाज को विवश कर रही है. उन्होंने कहा कि मोहम मरकार कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. साय ने कल से घोषणापत्र पर अमल करने का सुझाव दिया. 


15 साल सत्ता में रहने पर भी क्या BJP ने वायदे पूरे- कांग्रेस


दरअसल, तीन दिन पहले छत्तीसगढ कांग्रेस अध्यक्ष मोहम मरकाम अम्बिकापुर आए थे. घोषणापत्र के बारे में पत्रकारों का सवालों का जवाब देते हुए मोहन मरकाम ने कहा था कि बीजेपी 15 वर्षों तक सत्ता में रही. उन्होंने वादा किया था 2100 रुपए धान का समर्थन मूल्य देंगे. हर परिवार को नौकरी देंगे और बेरोजगारी भत्ता देंगे. क्या बीजेपी ने ये सब वादे पूरे किए? इसके बाद मरकाम ने आगे कहा कि मैं भी आदिवासी क्षेत्र से हूं. हमारे यहां मरने से लेकर नेग के काम में भी महुए का फूल और सोमरस का इस्तेमाल होता है. आपने देखा होगा कि वेद पुराणों में इसका जिक्र मिलता है. अभी तो हमारी संस्कृति में ये चल रहा है. ऐसे में इन 60 प्रतिशत क्षेत्रों में (आदिवासी क्षेत्रो में) तो संभव नहीं है कि शराबबंदी हो और रही बात 40 प्रतिशत क्षेत्र की तो सरकार को इस मुद्दे पर फैसला लेना है. मोहन मरकाम सरगुजा संभाग के लिए डिजीटल सदस्यता अभियान प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने अम्बिकापुर आए थे. 


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